हमारी दूधिया आकाश गंगा

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जिन्हें ब्रह्मांड में हमारी लोकल ग्लैक्सियों जितना ही स्थान मिला। ग्लैक्सियों का वह झुंड हमसे 1100 किलोमीटर प्रति सैकेंड के हिसाब से दूर जा रहा है। कई ग्लैक्सियां तो 2000 किलोमीटर की गति से अधिक हमारे से दूर दौड़ती जा रही हैं। प्रकृति का आश्चर्यजनक खेल देखते हुये हमें अपनी ग्लैक्सी एक छोटी-सी नगरी जैसी लगती है और हमारी धरती एक छोटा-सा घर। दूधिया आकाश गंगा का प्रभाव एक लाख 70 हज़ार से 2 लाख प्रकाश वर्ग डायामीटर में फैला हुआ है। जिसकी एक बाजू की लम्बाई 3 हज़ार प्रकाश वर्ग है। इसके केन्द्र का डायामीटर 20 हज़ार प्रकाश वर्ग है। हमारी यह सुन्दर परी अब 14 बिलियन वर्ष की आयु बिता चुकी है। हमारा सूर्य इसके केन्द्र के गिर्द 230 से 250 मिलियन वर्षों में एक चक्कर पूरा करता है। तब तक धरती पर कितनी जीव-जातियां आ-जा चुकी होती हैं या फिर यह भी कह सकते हैं कि हमारे सूर्य के चक्कर निकालने की रफ्तार 8 लाख 28 हज़ार किलोमीटर प्रति घंटे के लगभग है। हमारी दूधिया आकाश गंगा एक कुंडलीदार ग्लैक्सी है। इसके केन्द्र में सुपर मैसिव ब्लैक होल है, जिसका पुंज 4 मिलियन सूर्य के समान होने का अनुमान है। हमारी ग्लैक्सी 50 स्थानीय ग्लैक्सियों का एक समूह हिस्सा है।  एंड्रोमीडा, ट्रैंगुलम बी. इस ग्रुप की कुंडलदार ग्लैक्सियां हैं। हमारी यह ग्लैक्सी 270 किलोमीटर या 168 मील प्रति सैकेंड के हिसाब से अपनी दूरी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है और घूमने वाले केन्द्र ग्लैक्टीकल सैंटर कहा जाता है। सूर्य के स्थान पर घूमने वाली गति 230 किलोमीटर प्रति सैकेंड है। हमारी इस कुंडलीदार ग्लैक्सी की 6 भुजाएं जिनमें से 4 मुख्य हैं। यह दीवाली वाली रात चलाई जाने वाली चक्री की तरह निरन्तर घूमती रहती है। ये भुजाएं हैं परसिस आर्म, नौरमा आर्म, स्कूटम आर्म, करीना सैजेटेरियस आर्म, उराइन आर्म और आऊटर आर्म। इनमें से चार प्रमुख हैं। हमारे सौर मंडल उराइन आर्म में स्थित है। हमारी आकाश गंगा में 90 प्रतिशत डार्क मैटर है, जो इसके गिर्द 2 मिलियन प्रकाश वर्ग में फैला हुआ है। राइन भूजा अकेली ही 10 हज़ार प्रकाश वर्ग में स्थित है। इसके केन्द्र के आंतरिक सुपर मैक्सिस ब्लैक होल, सीजेटेरियस ए. के साथ जानी जाती है। इस ब्लैक होल का पुंज हमारे 4 मिलियन सूर्य के समान है। बहुत सारे स्टार कलस्टर हमारी ग्लैक्सी का हिस्सा हैं, जिनमें सुपर विरगो स्टार कलस्टर और लैनकिया सुपर स्टार कलस्टर भी शामिल हैं। चांदनी रात के समय हमारी यह धरती 30 के कोण पर झुकी मोतियों की तरह लगती है। इतना कुछ होते हुये भी दिमाग उस समय घूम जाता है कि मिल्की-वे ग्लैक्सी अपने लोकल ग्रुप में भी पहले स्थान पर नहीं, अपितु दूसरे स्थान की ग्लैक्सी है। एंड्रोमिडा इससे आकार में डेढ़ गुणा बढ़ी है। जैसे कोई बड़ी मछली छोटी को निगलती है। एंड्रोमिडा भी हमारी ग्लैक्सी को एक दिन निगल जाएगी, जो हमारी तरफ 100 से 140 किलोमीटर प्रति सैकेंड  की गति से आ रही है। यह गति 2 लाख 20 हज़ार से तीन लाख 10 हज़ार किलोमीटर प्रतिघंटा कही जा सकती है। तीन से चार बिलियन वर्षों तक ये दोनों ग्लैक्सियां आपस में टकरा जाएंगी। इस भयानक दुर्घटना के बाद एक नई ग्लैक्सी बनेगी, जिसका नाम मिलकोमैडा भी हो सकता है। परन्तु तब तक तो मानवीय नस्ल धरती से आलोप हो चुकी होगी। हमारा सूर्य लाल दानव बन चुका होगा और उर्जिक मृत्यु की और बढ़ रहा होगा। ब्रह्मांड में ऐसे व्यवहार अक्सर होते रहते हैं। प्राकृतिक का प्रसार अनंत है। व्यक्ति की तो क्या इस ब्रह्मांड में हमारी दूधिया आकाश गंगा का भी कोई अधिक महत्त्व नहीं है। जैसे लाखों की भीड़ में कोई छोटा बच्चा चलता-फिरता हो। बस ऐसे ही समझ लें। अब तक देखने योग्य ब्रह्मांड में 200 अरब ग्लैक्सियों का पता लगाया जा चुका है। इसके आगे क्या है कोई नहीं जानता। बहुत-सी थ्यूरियों के द्वारा ब्रह्मांड को समझने के प्रयास हो रहे हैं। कई वैज्ञानिक हमारे ब्रह्मांड जैसे कई अन्य ब्रह्मांड होने की बातें करते हैं। अर्थात् पैरलल यूनिवर्सिटी होने की। उसके आगे क्या है? इस भेद को कोई नहीं जानता। देखने योग्य ब्रह्मांड  को पार करने के लिए 63 बिलियन प्रकाश वर्ग चाहिए। अगर कोई अन्य यूनिर्वसल हुई तो कितने खरब प्रकाश वर्ग दूर होगा? उसमें कितनी ग्लैक्सियां और तारामंडल होंगे, कितनी धरतियां होंगी, कोई नहीं जानता। अमरीकन वैज्ञानिक मिचीयू काकू इसको अपनी स्टरिंग थ्यूरी से समझने के प्रयास करते हैं। मनुष्य की आयु तो बहुत कम है इसे जानने के लिए। (समाप्त)