वायु प्रदूषण और केन्द्र सरकार

चाहे प्रदूषण कोई भी हो, वह धरती पर बसने वाले सभी जीवों के लिए हानिकारक होता है। इसे रोकना सरकारों का दायित्व है परन्तु यह काले कानून बना कर नहीं रोकना चाहिए जैसे कि मोदी सरकार ने पंजाब तथा हरियाणा के किसान आन्दोलन से नाराज़ होकर काला कानून रातो-रात पारित कर दिया है। इस कानून को सिर्फ ग्रीन ट्रिब्यूनल में ही चुनौती दी जा सकती है किसी अदालत में नहीं। क्या केन्द्र सरकार ने अपना यह दायित्व पूरा किया है जिसमें सुप्रीम कोर्ट में यह आदेश दिया था कि किसानों को पराली की संभाल हेतु 2500 रुपये प्रति एकड़ या 100 आरपीए प्रति क्विंटल के हिसाब से मुआवज़ा दिया जाए। किसान तो मजबूरी में सिर्फ आधिक से अधिक एक महीना ही पराली जलाते हैं जिसका धुआं उतना ज़हरीला नहीं होता जितना कि फैक्टरियों, मोटर-गाड़ियों का ज़हरीला होता है। 

 -मा. जसपिन्दर सिंह गिल