कोरोना से निपटने हेतु सख्त हुई हिमाचल सरकार

हिमाचल प्रदेश में गत करीब एक माह से कोरोना संक्रमण तेजी से फैला है। जनसंख्या घनत्व की तुलना में हिमाचल प्रदेश देश के उन गिने चुने राज्यों में है जहां पर कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश सरकार इससे निपटने के लिए और सख्त हो गई है। सरकार ने इसके लिए कई कड़े कदम उठाए हैं। साथ ही सरकार ने अपने लिए फैसलों को अगले ही दिन बदल भी दिया जिससे लोगों और विपक्ष को सरकार के खिलाफ  बोलने का मौका भी मिला। राज्य में सामाजिक कार्यक्रमों विशेषकर शादियों मेें कोरोना ने विकराल रूप लिया है। इसे देखते हुए सरकार ने सभी सामाजिक व राजनीतिक कार्यक्रमों में लोगों की संख्या को 50 कर दिया है यानी शादी आदि कार्यक्रमों में अब यदि 50 से अधिक लोगों को बुलाया तो 5 हजार रुपए का जुर्माना भरना होगा। दूसरा फैसला सरकार ने सरकारी कार्यालयों को 50 फीसदी तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के साथ खोलने का निर्णय लिया था ताकि कार्यालयों में अधिक भीड़ न हो। लेकिन अगले ही दिन सरकार ने सभी कर्मचारियों को कार्यालय बुला दिया तथा फाइव डे वीक कर दिया। यानी अब सभी कर्मचारी सोमवार से शुक्रवार तक कार्यालय आएंगे तथा शनिवार को वर्क फ्राम होम करेंगे व रविवार को अवकाश रहेगा। सरकार ने बसों को भी 50 प्रतिशत केपेस्टी पर चलाने का निर्णय लिया है। इसी तरह प्रदेश मंत्रिमंडल ने प्रदेश के उन चार जिलों शिमला, कांगड़ा, कुल्लू व मण्डी में रात का कर्फ्यू लगाया है। पहले कर्फ्यू रात को 8 बजे से सुबह 6 बजे तक लगाया गया था लेकिन अगले ही दिन रात के समय को 8 बजे से 9 बजे कर दिया गया। राज्य में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने अब मास्क नहीं लगाने पर जुर्माने की राशि को 500 से बढ़ाकर एक हजार रुपए कर दिया है। सरकार ने कोरोना से निपटने के लिए और भी कई कदम उठाए हैं। इसमें सरकार ने लोगों की सुविधा और गंभीर स्थिति से निपटने के लिए सभी जिला, क्षेत्रीय और नागरिक अस्पतालों में बिस्तरों की क्षमता में वृद्धि करने का निर्णय लिया है। प्रदेश में निर्मित होने वाले सभी प्री-फैब्रिकेटिड कोविड केंद्रों का निर्माण जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश जारी किए गए हैं। सरकार ने मरीजों के इलाज के लिए कोविड वार्ड के प्रभारी के रूप में एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त करके अस्पतालों में त्रुटि-रहित व्यवस्था करने का भी फैसला लिया है। प्रदेश में कोविड रोगियों के परीक्षण और उपचार के लिए निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं को भी शामिल किया जा रहा है। सरकार ने वरिष्ठ चिकित्सकों को कोविड-19 रोगियों का मनोबल बढ़ाने के लिए वार्ड में कम से कम तीन राउंड सुनिश्चित करने को कहा है। कोविड-19 के मरीजों के अधिक मामलों वाले स्वास्थ्य संस्थानों में कर्मचारियों की कमी को आउटसोर्स से तैनाती कर पूरा किया है। इसके अलावा सरकार अब कोरोना से निपटने के लिए सख्त दिशा निर्देश जारी कर रही है। 
सर्वदलीय बैठक : गेंद सरकार के पाले में
प्रदेश सरकार ने विधानसभा का शीतकालीन सत्र 7 दिसम्बर से 11 दिसम्बर तक धर्मशाला में आयोजित करने का फैसला किया था जिसे राज्यपाल ने भी अपनी सहमति दे दी थी। लेकिन राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण सत्र करवाने को लेकर कई तरह की बातें सामने आने लगीं। कुछ इसे रद्द करवाने तथा कुछ शिमला में आयोजित करवाने की मांग करने लगे। वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी शीतकालीन सत्र शिमला में ही करवाने का मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को सुझाव दिया है। इसी बीच जिला कांगड़ा के विधायक व मंत्री सत्र को धर्मशाला में आयोजित करने की वकालत कर रहे हैं। इसके पीछे उनका तर्क है कि साल में एक ही सत्र धर्मशाला में होता है। इन सब के बीच सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई। बैठक में सत्र करवाने पर सहमति बनी लेकिन सत्र शिमला या धर्मशाला कहां करवाना है, यह गेंद सरकार के पाले में डाल दी गई, यानी सरकार इसको लेकर फैसला करे।
भाजपा नेत्रियों पर सत्ता का नशा
देवभूमि कहे जाने वाले हिमाचल में भी भाजपा नेत्रियों पर  सत्ता का नशा सिर चढ़ कर बोलने लगा है। एक महंगी गाड़ी के लिए महिला सुरक्षा से जुड़ी एक महिला नेत्री ने महिला प्रशासनिक अधिकारी को प्रताड़ित ही नहीं किया बल्कि उसका तबादला भी करवा दिया। हालांकि सत्ता के बहुत ही करीबी मानी जाने वाली इस भाजपा नेत्री को उसकी मनपसंद नई गाड़ी मिल गई है, लेकिन हिमाचल प्रदेश पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहा है। सरकार को कर्ज के सहारे अपनी नाव को पार लगाना पड़ रहा है। कोरोना काल में निजी क्षेत्र में युवाओं की नौकरियां जा रही हैं। बेरोजगारी के इस दौर में जहां इस महिला नेत्री को महंगी गाड़ी की सवारी करने का भूत सवार है, वहीं गाड़ी मिलने में देरी का खमियाजा प्रशासनिक अधिकारी को अपने तबादले से चुकाना पड़ा। अब यह अधिकारी अपना दुखड़ा लेकर घूम रहे हैं लेकिन उनकी कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है। इस बारे में मुख्यमंत्री को मंथन अवश्य करना चाहिए क्योंकि दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनावों में जनता के वोट से ही सरकार का गठन होना है।
मंत्री की पत्नी को प्रमोशन नियमों में  छूट
प्रदेश मंत्रिमंडल ने एक मंत्री की पत्नी को प्रमोशन देने के लिए नियमों में छूट प्रदान कर दी। मामला शिक्षा विभाग का है। यहां पर मंत्री की पत्नी टीजीटी के पद पर तैनात है। मंत्री की पत्नी  टीजीटी थर्ड डिवीजन से पास है। विभाग के नियमों के अनुसार थर्ड डिवीजन में पास अध्यापक को पदोन्नति नहीं मिलेगी। नियमों में यह प्रावधान शिक्षा में गुणवत्ता के लिए किया गया था लेकिन मंत्री जी की पत्नी को पदोन्नत करने के लिए केबिनेट ने नियमों में छूट प्रदान कर उनके साथ-साथ अन्य तीन से चार दर्जन अध्यापकों की पदोन्नति का रास्ता खोल दिया जो इस नियम के कारण पदोन्नत नहीं हो पा रहे थे। अब सवाल उठ रहे हैं कि यदि मंत्री की पत्नी की पदोन्नति में यह नियम रोड़ा न बनते तो क्या सरकार अन्य शिक्षकों के लिए नियमों में छूट देती। साथ ही यह भी सवाल उठ रहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता से इस तरह का समझौता करना कितना सही है।