ज्येष्ठ माह के वे नौ दिनजब भट्टी की तरह सुलगती है धरती

नौ तपा सनातन संस्कृति की पंचांग कालगणना के मुताबिक ज्येष्ठ माह के वे नौ दिन ऐसे होते हैं, जब धरती आग की भट्टी की तरह सुलगती है। ज्येष्ठ माह में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो पहले नौ दिनों तक उसके तेवर बहुत तीखे होते हैं। वास्तव में यही वे गर्मी के प्रचंड दिन होते हैं, जिन्हें हम नौतपा या ज्येष्ठ माह कहते हैं। वैसे तो सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनाें तक रहता है, लेकिन पहले नौ दिन तक ही इसके तेवर बेहद तीखे होते हैं। अगर इन नौ दिनों में इस तीव्र गर्मी के कारण बारिश हो गई तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहते हैं और इसे व्यवहारिक तौर पर सही नहीं मानते। क्याेंकि इससे उस साल वर्षा ऋतु में होने वाली बारिश प्रभावित होती है। ज्येष्ठ माह के कारण मानसून कमजोर हो जाता है। इसलिए देश के किसान और पंचांग कालगणना को जानने, समझने वाले लोग नहीं चाहते कि नौतपों में गर्मी कम हो या कि इन दिनों गर्मी के कारण बारिश हो जाए। क्याेंकि ऐसा होना खेती के लिए नुकसानदायक होता है। 
इस साल ज्येष्ठ माह 25 मई 2023 को तड़के सुबह 4 बजे से शुरु हो रहे हैं, क्योंकि ठीक इसी समय पर सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 2 जून 2023 तक नौतपा रहेंगे। चूंकि इस वर्ष लगातार मौसम पश्चिमी विक्षोभ के कारण पारंपरिक रूप से जैसे रहता है, वैसे नहीं रहा। आशंका है कि इस साल ज्येष्ठ माह  भी नौ दिन तक शायद बेहद गर्म न रहें और अगर ऐसा हुआ तो वर्षा ऋतु कमजोर हो सकती है, जिसकी एक मौसम एजेंसी (स्काईमेट) ने घोषणा भी की है, हालांकि उसका आधार ये ज्योतिषीय कालगणना नहीं है। ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की दशमी से नौतपा शुरु होते हैं। सूर्य के इन दिनों रोहिणी नक्षत्र में होने के कारण सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी काफी कम हो जाती है। इस कारण सूर्य की किरणें सीधी पृथ्वी पर पहुंचती हैं, जिस कारण भयानक गर्मी का एहसास होता है। 
ज्योतिष कालगणना के आधार पर यदि ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष में आद्रा नक्षत्र से लेकर दस नक्षत्रों तक बारिश हो, तो वर्षा ऋतु में इन नक्षत्रों में बारिश नहीं होती। लेकिन यदि इन नक्षत्रों में तीव्र गर्मी पड़े तो उस साल बारिश के मौसम में जमकर बारिश होती है। सूर्य ताप और चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। इसलिए जब सूर्य चंद्रमा के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तो वह इसे अपने प्रभाव में ले लेता है, जिससे रोहिणी नक्षत्र का तापमान बहुत बढ़ जाता है। इन दिनों इस तापमान के कारण आंधी और तूफान की आशंका भी बढ़ जाती है। लेकिन आंधी या तूफान आने से वर्षा ऋतु कमजोर हो जाती है इसलिए देश के किसान नहीं चाहते कि नौतपा में किसी भी तरह का खलल पड़े, जो लोग इनके भारतीय जीवन में महत्व को समझते हैं, वे सब यही चाहते हैं कि नौतपा जितनी भीषण गर्मी वाले हों, उतना ही अच्छा है।  रोहिणी नक्षत्र के बाद सूर्य वृष राशि में प्रवेश करता है, इसके 10 अंश से 23 अंश 40 कला तक भी नौतपा की स्थिति रहती है। इस दौरान भी अगर बारिश हो गई तो फिर वर्षा ऋतु कमजोर हो जाती है। कुल मिलाकर देखा जाए तो नौतपा का जितना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, उससे कहीं ज्यादा इसका भारत की कृषि जीवन पद्धति में वर्षा की भविष्यवाणी से रिश्ता है। किसानों के लिए नौतपा बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए विशेषकर उत्तर और मध्य भारत में किसान हर साल नौतपा का बेसर्बी से इंतजार करते हैं और कामना करते हैं कि इनमें कोई बाधा न पड़े। लेकिन हाल के सालों में ग्लोबल वार्मिंग के कारण जिस तरह से मौसम की पारंपरिक गतिविधि बेतरतीब हुई है, उससे किसान लगातार डरे और परेशान रहते हैं। क्योंकि पिछले दो सालों से कोई ऐसा महीना नहीं जा रहा जब एक दो बार हल्की फुल्की बारिश न हो जाए।
जहां तक नौतपा का धार्मिक और कर्मकांड से रिश्ता है तो धार्मिक लोग नौतपा के दिनों में सुबह और शाम नियमित रूप से पूजा अर्चना करते हैं। इस दौरान बिल्कुल सात्विक जीवन जीते हैं। कई लोग नौ दिन तक अर्धउपवास रखते हैं यानी दिन में एक बार खाना खाते हैं। कुछ लोग नौतपों के धार्मिक महत्व को प्रश्रय देते हुए इन दिनों रोज शाम सुबह नहाते हैं। पूजा करते हैं। एक समय भोजन करते हैं और ईश्वर से धन धान्य की कामना करते हैं।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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