प्रेरक प्रसंग-स्वतंत्रता के पुजारी
अंग्रेजों को शासन व्यवस्था की बागडोर संभालने की लालसा बढ़ती ही जा रही थी। यही कारण था कि कमजोर, निरकुंश राजा व जागीरदार को आसानी से अपना शिकार बना लेते थे। राजस्थान में भाटना के जागीरदार नत्थू सिंह देवड़ा के पास अंग्रेजों का एक अधिकारी गया और बोला- ‘हमारे सरकार हुजूर ने कर मांगा है। फौरन कर दो। अन्यथा परिणाम भुगतने के लिए तैयार हो जाओ।’ उसकी बातें सुनकर नत्थू सिंह का खून खौल उठा। वे क्रोधित स्वर में बोले- ‘कौन हो तुम और कौन है तुम्हारी सरकार हुजूर? मैं तुम्हारी धमकियों से डरने वाला नहीं हूं। किस बात का कर! मैं तुम्हें कर नहीं दूंगा।’
अंग्रेज अधिकारी बोला- ‘हिन्दुस्तान पर हमारी हुकूमत है और सभी राजा- महाराजा हमारे अधीन हैं। तुम भी हमारी अधीनता स्वीकार कर, हमें कर दो। ‘इतना सुनते ही नत्थू सिंह आग-बबूला हो गये और बोले- ‘क्या तुम्हें और तुम्हारी सरकार हुजूर को मालूम नहीं कि हम स्वतंत्रता के पुजारी हैं और अपनी धरती को मां समझते हैं। मां की आन पर आंख उठाने वाले की हम जान ले लेते हैं।’
‘तुम हमारी सरकार से जीत नहीं सकते’, अंग्रेज अधिकारी बोला।
‘जाओ और अपनी सरकार हुजूर से कह दो हम मुंह से नहीं तलवार से बात करते हैं।’ अंग्रेज अधिकारी चला गया। अंग्रेजों ने शीघ्र ही भाटना पर हमला कर दिया। नत्थू सिंह वीरता से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। लेकिन आज भी राजस्थान के लोक गीतों में नत्थू सिंह का नाम अमर हो गया।
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