शरीर में खून कितनी तेज़ी से बहता है ? 

‘दीदी, मिज़र्ा ़गालिब का एक शेर है- रगों में दौड़ने फिरने के हम नहीं काइल/जब आंख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है। इसे सुनते हुए मैं सोच रहा था कि हमारी रगों में खून अगर दौड़ता है या तेज़ बहता है तो उसकी रफ्तार क्या होगी?’
‘मानव शरीर में खून उस तरह से नहीं बहता है जैसे पाइपों में पानी बहता है।’
‘अच्छा! फिर किस तरह से बहता है?’
‘हमारे दिल से पंप होकर जो रक्त बाहर वेसल्स में निकलता है उन्हें आर्टरीज कहते हैं। लेकिन आर्टरीज जो दिल से कुछ दूरी पर होती हैं वह निरंतर शाखाओं में विभाजित होती रहती हैं जब तक कि वह सूक्ष्म वेसल्स न बन जायें, जिन्हें कैपिलरीज़ कहते हैं। आर्टरीज की तुलना में कैपिलरीज़ में लहू बहुत ही धीरे-धीरे बहता है।’
‘कैपिलरीज़ ऐसे कितनी पतली होती हैं?’
‘तुम्हारे सिर का जो बाल है, उससे 50 गुना अधिक पतली होती हैं, इसलिए खून के कॉर्पुस्क्लस उनमें से सिंगल फाइल में पास करते हैं। एक कैपिलरी से पास होने में खून को एक सेकंड का समय लगता है।’
‘और दिल से जो निरंतर ब्लड फ्लो करता है उसमें कितना समय लगता है?’
‘लगभग 1.5 सेकंड। दिल से फेफड़े तक और वापस दिल में आने के लिए रक्त को लगभग 5 से 7 सेकंड का समय लगता है।’
‘और दिल से ब्रेन तक का सफर खून कितने समय में तय करता है?’
‘इसमें 8 सेकंड लगते हैं। लेकिन रक्त का सबसे लम्बा सफर दिल से टांगों की उंगलियों तक और वहां से वापसी का होता है, जिसमें लगभग 18 सेकंड लगते हैं।’
‘खून तो पूरे शरीर का चक्कर लगाता है...।’
‘हां, दिल से फेफड़े तक, फिर वापस दिल से शरीर तक और फिर दिल में लौटकर आना। इस पूरे सफर में लगभग 23 सेकंड लगते हैं।’
‘हमारे शरीर की जो स्थिति होती है, क्या उसका प्रभाव भी रक्त की गति पर पड़ता है?’
‘हां। अगर बुखार है या आप काम कर रहे हैं तो दिल की धड़कनों की संख्या बढ़ जाती है और खून शरीर में दुगनी तेज़ी से बहने लगता है। रक्त की एक कोशिका एक दिन में शरीर के लगभग तीन हज़ार चक्कर लगाती है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर