दुनिया के हर हिस्से में पाये जाने वाले टोड

टोड एक उभयचर है और देखने में पूरी तरह मेंढक जैसा मालूम पड़ता है। वास्तव में मेंढक और टोड दोनों शब्द एक-दूसरे से इतना घुल मिल गए हैं कि इन्हें अलग नहीं किया जा सकता। मेंढक और टोड का वर्गीकरण रीढ़ की हड्डी की संरचना के आधार पर किया जाता है। इसके साथ ही इन दोनों में दो प्रमुख अंतर और हैं। मेंढक की त्वचा नम और चिकनी होती है तथा ये हमेशा पानी में या पानी के पास रहते हैं, जबकि टोड की त्वचा खुरदरी होती है एवं इनके शरीर पर गुमड़े होते हैं तथा ये प्राय: जलस्रोतों से दूर शुष्क स्थानों पर रहते हैं। 
टोड आस्टे्रलिया और मेडागास्कर को छोड़कर पूरे विश्व में पाया जाता है। इसकी दो सौ से अधिक जातियां हैं। कुछ जातियाें के टोड मेंढक के समान लम्बी छलांगें भी लगा सकते हैं। प्राय: सभी टोडों की शारीरिक संरचना और आदतें लगभग एक जैसी होती हैं। टोड किसी एक विशेष स्थान पर रहने वाला जीव नहीं है। यही कारण है कि यह पूरे विश्व में फैल गया है। सामान्यतया टोड खुले स्थानों पर मिलते हैं और इसके साथ ही जंगलों में भी। कुछ टोड तो रेगिस्तानी क्षेत्रों में भी देखने को मिल जाते हैं।
अमरीका का सामान्य टोड उत्तर अमरीका के पूर्व के लगभग आधे भाग में पाया जाता है। यह बाग-बगीचों से लेकर पहाड़ी क्षेत्रों तक में मिलता हैं। सामान्य टोड की लंबाई 7.5 सेंटीमीटर से 12.5 सेंटीमीटर तक एवं रंग लाल कत्थई होता है। दक्षिण अमरीका का सामान्य टोड एक सीमित क्षेत्र में ही पाया जाता है। अफ्रीका में 21 जातियों के टोड पाए जाते हैं। इनमें सामान्य टोड प्रमुख हैं। इसे अफ्रीका में चौकोर निशान वाला टोड कहते हैं। यह केप से लेकर मिस्र तक पाया जाता है। दक्षिण अफ्रीका के सामान्य टोड की लंबाई लगभग 10 सेंटीमीटर होता है एवं शरीर का रंग हल्का होता है तथा इस पर गहरे कत्थई रंग के धब्बे होते हैं। सामान्य टोड का समागमकाल अगस्त से आरंभ होता है और गर्मियों के अंत तक चलता है। इसकी मादा चौबीस हजार तक अंडे देती है। अंडे मात्र चार दिन में फूटते हैं और इनसे टेडपोल बाहर निकल आते हैं तथा एक माह में ये वयस्क हो जाते हैं।
दक्षिण अफ्रीका में ही विश्व का एकमात्र ऐसा टोड पाया जाता है जो जंगल में रहता है। इसे ब्यूफाएनोटिस कहते हैं। यह पानी से दूर रहता है तथा जमीन पर अंडे देता है। इसके अंडे काफी बड़े होते हैं और इनका विकास भी जमीन पर ही होता है। विश्व के सबसे छोटे टोड दक्षिण अफ्रीका में मिलते हैं। इनमें धारीदार पहाड़ी टोड प्रमुख है। यह बड़ा तेज और फुर्तीला होता है। धारीदार टोड की लंबाई लगभग 3 सेंटीमीटर तथा रंग कत्थई होता है। पिग्मी टोड इतना छोटा होता है कि इसकी विष ग्रन्थियां तक ठीक से दिखाई नहीं देतीं। इसके अंडों का बड़ी तीव्र गति से विकास होता है और अंडे देने के मात्र 16 दिन बाद 6 मिलीमीटर लंबे टोड तैयार हो जाते हैं। उत्तर अमरीका का ओक टोड विश्व का सबसे छोटा टोड है। ओक टोड की लंबाई 2 सेंटीमीटर से 3.2 सेंटीमीटर के मध्य होती है। 
टोड की अनेक जातियां मलाया प्रायद्वीप और बोर्नियो में भी मिलती हैं। इनकी त्वचा वास्तविक टोड के समान खुरदुरी होती है,किन्तु पैरों में झिल्लियां पायी जाती हैं। 
दक्षिणी एशिया में पाए जाने वाले नेक्टोफाइंग वंश के टोड की आदतें वास्तविक टोड से भिन्न होती हैं। इनकी उंगलियों के सिरों पर छोटी-छोटी चूषक डिस्क होती हैं, जिनकी सहायता से ये झाड़ियों और छोटे-छोटे वृक्षों पर चढ़ जाते हैं। अफ्रीका में पाए जाने वाले नेक्टोफ्लाईनाइड्स वंश की दो जातियों के टोड सर्वाधिक विलक्षण होते हैं। इनके अंडों एवं टेडपोल का विकास मादा के शरीर के भीतर ही होता है, अर्थात् मादाएं अंडे न देकर बच्चों को जन्म देती हैं। इंग्लैंड के वास्तविक टोड का जीव वैज्ञानिक नाम ब्यूको-ब्यूको है। यह इंग्लैंड का सामान्य टोड है। इसमें नर की लंबाई 6.2 सेंटीमीटर तक और मादा की लंबाई लगभग 8.7 सेंटीमीटर होती है। कुछ गर्म क्षेत्रों में भोजन की अधिकता वाले स्थानों 13.7 सेंटीमीटर तक लंबे टोड मिल जाते हैं। इंग्लैंड के सामान्य टोड का रंग हल्का कत्थई होता है तथा कभी-कभी इस पर गहरे कत्थई, काले या लाल रंग के धब्बे भी देखे जा सकते हैं।
विश्व का सबसे बड़ा टोड ब्राजील का रोक्कोगो टोड है। यह 25 सेंटीमीटर से भी अधिक लंबा होता है। भारत में वास्तविक टोड बहुतायत में पाया जाता है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर