सुर्खियों में है ‘काला हिरण’ आइये, जानें सब कुछ

जब से एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई है और इसकी जिम्मेदारी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गुट ने यह कहते हुए लिया है कि सिद्दीकी काले हिरणों के हत्यारे सलमान खान का दोस्त था, तब से सलमान खान और बिश्नोई समाज तो सुर्खियों में हैं ही, लोगों को उन काले हिरणों के बारे में जानने की भी बेहद जिज्ञासा है, हरियाणा और राजस्थान में मौजूद बिश्नोई समाज, जिनकी रक्षा के लिए अपनी जिंदगी तक को दांव में लगा देता है। यही नहीं काले हिरणों के कमजोर और बीमार बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए ज़रूरत पड़ने पर बिश्नोई समाज की महिलाएं इन्हें दूध तक पिलाने के लिए तैयार रहती हैं ताकि उनकी जान बचायी जा सके। शाकाहारी बिश्नोई समाज यूं तो बेहद जीवप्रेमी है ही, लेकिन काले हिरण की सुरक्षा के लिए वह जिस तरह तन मन से समर्पित रहता है, उसके पीछे एक वजह यह भी है कि बिश्नोई समाज काले हिरण को अपने गुरु और जन्मदाता गुरु जम्भेश्वर का अवतार मानता है। गौरतलब है कि बिश्नोई कोई धर्म नहीं है बल्कि गुरु जम्भेश्वर महाराज के 29 सिद्धांतों पर आधारित जीवन जीने का तरीका है। कहा जाता है कि जब गुरु जम्भेश्वर महाराज अपनी देह त्याग रहे थे, तब उन्होंने कहा था कि उनके बाद बिश्नोई समाज काले हिरण को उनका अवतार मानकर पूजा करे। तब से बिश्नोई समाज अपनी जान की बाजी लगाकर भी काले हिरण की रक्षा करता है। 
खैर, यह तो एक समाज की आस्था की बात हुई, मगर सवाल है कि क्या यह काला हिरण बाकी हिरणों से अलग है? क्या यह चमत्कारी जीव है? आखिर काले हिरण की समूची जैविक प्रोफाइल क्या है? आज इसे जानने की हर किसी को जबर्दस्त जिज्ञासा है। काला हिरण, जिसका वैज्ञानिक नाम एंटीलोप केरवीकैप्रा है। शायद दुनिया में अकेला भाग्यशाली जानवर है, जिसे कोई समाज, उसकी पूजा करने की हद तक प्यार करता है। बहरहाल यह भारतीय उपमहाद्वीप के विशिष्ट शाकाहारी स्तनधारियों में से एक है। इसकी सुंदरता, अनोखी शारीरिक संरचना और पलभर में हवा से बातें करने वाली इसकी तूफानी रफ्तार वाली चाल, इसे बाकी हिरणों से अलग और खास बनाती है। इसका बायोडाटा कुछ इस प्रकार है- कुल का नाम बोवीडा, यानी गौ-जातीय, वर्ग स्तनधारी, गण खुरधारी, वंश एंटीलोप और जाति केरवीकैप्रा है। यह आमतौर पर 100 से 150 सेंटीमीटर तक लंबा, लगभग 74 से 84 सेंटीमीटर तक ऊंचा और नर काला हिरण करीब 34 से 45 किलोग्राम तथा मादा काला हिरण 31 से 39 किलोग्राम वजन का होता है। नर काले हिरण का रंग काला और सफेद होता है। इसके शरीर के ऊपरी हिस्से का रंग गहरा काला, जबकि पेट और अंडरबेली सफेद होती है। इसके शावक यानी बच्चे हल्के भूरे रंग के होते हैं। काले हिरण में सिर्फ नर हिरण के सींग होते हैं, जो 45 से 65 सेंटीमीटर तक बढ़ सकते हैं और एक विशिष्ट घुमावदार आकृति में होते हैं।
काला हिरण साल में आमतौर पर दो बार प्रजनन कर सकता है, लेकिन ज्यादातर एक ही बार, मानसून के समय प्रजनन करते हैं। इसकी गर्भधारण अवधि 5 से 6 महीने की होती है और एक बार में आमतौर पर एक ही बच्चा पैदा होता है, किसी दुर्लभ मामले में दो भी हो सकते हैं। काले हिरण के बच्चे जन्म लेने के कुछ घंटों में ही उठकर चलने फिरने लगते हैं। जहां तक इनके आवास का संबंध है, तो ये खुले घास के मैदानों, सूखे क्षेत्रों, झाड़ियों से भरे स्थानों आदि में रहना पसंद करते हैं। दुनिया में ये वर्तमान में भारत के अलावा नेपाल में पाये जाते हैं, जबकि कभी पाकिस्तान व अफगानिस्तान में भी पाये जाते थे। लेकिन अब ये भारत के अलावा असंरक्षित यानी खुली जगह में सिर्फ नेपाल में ही हैं। नेपाल में इनकी संख्या 1000 से 1500 के बीच है। भारत में ये राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के एक छोटे से हिस्से में पाये जाते हैं। अपने यहां इनकी कुल आबादी 50,000 से 80,000 के बीच मानी जाती है।
चूंकि अब ये भारत और नेपाल के अलावा कहीं भी खुली जगह में नहीं पाये जाते, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ (आईयूसीएन) ने काले हिरण को ‘नियर थ्रेटेंड’ श्रेणी में शामिल किया हुआ है। कहने का मतलब यह कि जैव पारिस्थितिकी में काला हिरण लुप्त होने के खतरे वाली कैटेगिरी का हिस्सा हैं। भारत में  इसे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए बनाये गये वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के दायरे में रखा गया है, जिस कारण कोई इसका शिकार, तस्करी आदि नहीं कर सकता। काला हिरण पूर्णत: शाकाहारी होता है, यह मुख्यत: घास, छोटी मोटी झाड़ियाें और पौधों के कोमल हिस्से खाते हैं। आमतौर पर इसका जीवनकाल 10 से 15 साल होता है, लेकिन अपने यहां जिस तरह से बिश्नोई समाज इन्हें अतिरिक्त रूप से सुरक्षा देता है और हर तरह की बाधाओं से इनको बचाता है, उससे इनका जीवनकाल 18 से 20 साल तक हो जाता है। 
भारत में जहां बिश्नोई समाज इनकी सुरक्षा के लिए नहीं है, वहां इन्हें बाघ, तेंदुआ, भेड़िए और लकड़बग्घा अपना शिकार बना लेते हैं। जबकि इनके बच्चों का शिकार कई शिकारी पक्षी भी कर लेते हैं। आमतौर पर काले हिरण समूह में रहते हैं। एक समूह में 20 से 25 हिरण हो सकते हैं, जिसकी अगुवाई सबसे ताकतवर नर हिरण करता है। ये हिरण संकट के समय 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से भाग सकते हैं। काले हिरण पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इस तरह देखा जाए तो भले बिश्नोई समाज के लिए काला हिरण कोई अवतारी महत्व रखता हो, लेकिन जीवविज्ञान की नज़र में यह दूसरे जानवरों की तरह का एक जानवर है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर