कांग्रेस को महाराष्ट्र में अधिक सक्रिय रहना होगा

कांग्रेस को अपने ‘इंडिया’ गठबंधन सहयोगियों की आलोचना का सामना करना पड़ा है, क्योंकि उसने हाल ही में सम्पन्न हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव गम्भीर होकर नहीं लडे, जिससे भाजपा को दस साल की सत्ता विरोधी लहर के बावजूद तीसरी बार जीत हासिल करने का मौका मिल गया। अधिकांश एग्ज़िट पोल ने कांग्रेस की स्पष्ट जीत की भविष्यवाणी की थी, लेकिन भाजपा ने 90 में से 48 सीटें हासिल कीं। यह एक ऐसी जीत है जिसने भाजपा को भी चौंका दिया। 
यदि कांग्रेस हरियाणा में जीत जाती तो उसका मनोबल बढ़ना निश्चत था। हालांकि कांग्रेस ने हाल ही में आंतरिक कलह के कारण यह पांचवां विधानसभा चुनाव गंवा दिया। इसके पहले वह पंजाब, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार चुकी थी। अब यह निश्चित नहीं है कि ‘इंडिया’ गठबंधन में उसकी सहयोगी राजनीतिक पार्टियां भाजपा के खिलाफ  लड़ाई में उसके साथ देंगी या नहीं। हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के लिए ‘आप’ के साथ गठबंधन फायदेमंद होता या नहीं, इस पर बहस होती रही है। हरियाणा के नतीजों का असर दिल्ली, महाराष्ट्र और झारखंड में होने वाले विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे पर पड़ने की संभावना है। आगामी चुनावों में कांग्रेस और ‘आप’ के बीच गठबंधन होगा या नहीं, यह भविष्य बताए। ‘आप’ पहले ही कह चुकी है कि वह अकेले चुनाव लड़ेगी।
अपनी अनुकूलता और समझौते की वजह से 2024 के लोकसभा चुनावों में ‘इंडिया’ ब्लॉक ने अच्छा प्रदर्शन किया था। गठबंधन का मुख्य उद्देश्य भाजपा के साथ सीधा मुकाबला करना था। भाजपा विरोधी वोट को विभाजित नहीं होने देना था। गठबंधन ने गैर-ज़रूरी मुद्दों को पीछे छोड़ दिया और इसके कारण चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने में कामयाब रहा। उन्होंने भाजपा को हराने के एकमात्र उद्देश्य से काम किया और कुछ हद तक इसमें सफल भी रहे। भाजपा का बहुमत कम हो गया और जेडी (य) और टीडीपी की मदद से उसे सरकार बनानी पड़ी। हरियाणा की हार ने गठबंधन के भीतर की स्थिति को बदल दिया है, जिसके बाद ‘इंडिया’ ब्लॉक की अन्य राजनीतिक पार्टियों को कांग्रेस पर बढ़त मिल गयी है। साझेदार शायद थोड़ी अधिक संयमित और समझ-बूझ से निर्णय करते हुए अब कांग्रेस के साथ काम करेंगे।
अभी तक किसी राजनीतिक पार्टी ने यह नहीं कहा है कि ‘इंडिया’ ब्लॉक खत्म हो गया है। इसके विपरीत हार के एक दिन बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के बयान से संकेत मिलता है कि कांग्रेस के साथ सपा का गठबंधन जारी रहेगा। अखिलेश ने कहा, ‘मैं कहना चाहता हूं कि ‘इंडिया’ ब्लॉक बना रहेगा। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस-सपा का गठबंधन बरकरार रहेगा।’
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि वह दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ेगी जबकि उसने कुछ महीने पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। कांग्रेस तथा ‘आप’ को कोई सीट नहीं मिली थी। अन्य सहयोगियों ने कांग्रेस की अति आत्मविश्वास और सीट बंटवारे के प्रति उसके कठोर रवैये की आलोचना की। लोकसभा चुनाव में अपनी संख्या दोगुणा करने वाली कांग्रेस हरियाणा में मिली हार के बाद कमजोर पड़ गयी है। अधिकांश एग्ज़िट पोल ने हरियाणा में कांग्रेस की जीत का संकेत दिया तथा क्योंकि भाजपा को 10 साल की सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा और असंतुष्ट लोगों के एक वर्ग से निपटना पड़ा। हालांकि, भाजपा ने सबको चौंका दिया और हरियाणा में अपनी सबसे प्रभावशाली जीत दर्ज की। इस राज्य में इससे पहले किसी भी पार्टी की लगातार तीसरी बार सरकार नहीं बनी थी। महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के बीच सीटों के बंटवारे पर 85-85 सीटों पर सहमति बन गई है। कांग्रेस को सीट बंटवारे के फॉर्मूले और चुनाव से पहले ही ठाकरे को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश करने की शिवसेना की मांग पर अधिक संवेदनशील होने की ज़रूरत थी।‘आप’ ने हरियाणा चुनाव में कोई सीट नहीं जीती, लेकिन उसे लगभग 1.78 प्रतिशत वोट मिले। अगर कांग्रेस ने ‘आप’ के साथ गठबंधन किया होता तो नि:संदेह यह प्रतिशत ‘इंडिया’ ब्लॉक की झोली में पड़ जाता। शिवसेना नेता संजय राऊत के अनुसार कांग्रेस ने छोटी पार्टियों और उनके सहयोग के प्रस्ताव को नज़रअंदाज़ कर दिया। तृणमूल कांग्रेस, ‘आप’, शिवसेना (उद्धव), नैशनल कॉन्फ्रैंस, आरजेडी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और अन्य पर्टियों के नेताओं ने हरियाणा चुनाव में गड़बड़ी के लिए कांग्रेस की आलोचना की।  लोकसभा चुनाव के दौरान सीट बंटवारे के लिए अपनाये गये फॉर्मूले को दोहराना महत्वपूर्ण है। कम से कम महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में तो यही होगा। कमज़ोर कांग्रेस अपने अधिकांश सहयोगियों के साथ सीट बंटवारे में बढ़त नहीं बना पायेगी। कांग्रेस को भाजपा के साथ सीधी लड़ाई में लोकसभा की 286 सीटों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। 2024 के चुनावों ने साबित कर दिया कि भाजपा के खिलाफ कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 2019 के 8 प्रतिशत से बढ़कर 29 प्रतिशत हो गया है। गौरतलब है कि कांग्रेस ने भाजपा के साथ 286 सीटों पर चुनाव लड़ाए जो 2014 की 370 से कम है।
कांग्रेस 2004 और 2009 में अपने सहयोगियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों के कारण सत्ता में आयी थी। ‘इंडिया’ गठबंधन को बनाये रखने की ज़िम्मेदारी मोटे तौर पर कांग्रेस पर है। उसे यह समझना चाहिए कि प्रत्येक सहयोगी, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, उसकी ज़रूरत है। (संवाद)