कब रुकेंगे जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले ? 

जम्मू-कश्मीर में पिछले दिनों एक और आतंकवादी हमला हो गया जिसमें आधा दर्जन से अधिक लोग मारे गए। यह नृशंस वारदात किसकी शह पर हुई और किसकी नीतिगत लापरवाही से हुई, यह पुन: विमर्श का विषय है, क्योंकि हमारे देश में ऐसी घटनाएं आए दिन की बात हो चली हैं और राष्ट्र के किसी न किसी हिस्से में घटित होती रहती हैं। आखिर कब ऐसी दुखद घटनाओं का खात्मा होगा और इससे लिए ज़िम्मेदार लोगों पर ठोस कार्रवाई कब सुनिश्चित की जाएगी ताकि ऐसी वारदातों पर पूर्ण विराम लग सके। यदि नहीं, तो क्यों नहीं?
उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में आतंकियों ने एक और कायराना हमला करते हुए 7 मेहनतकश लोगों की उस वक्त जान ले ली जब वे खाना खाने के लिए मैस में बैठे हुए थे। इस आतंकी वारदात में मरने वालों में एक स्थानीय डॉक्टर और टनल निर्माण में लगे 6 कर्मचारी शामिल थे, जिनमें 5 लोग बाहरी राज्यों से थे। उनमें 2 अधिकारी वर्ग के और 3 श्रमिक वर्ग के थे। इस हमले में 5 अन्य कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं जिन्हें इलाज के लिए श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस में भर्ती कराया गया है। इसके बाद बारामूला में भा आतंकी हमले में दो सैनिक शहीद हो गए और दो शहरी भी मारे गए।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह हमला सोनमर्ग इलाके में हुआ और घटना के बाद सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मिलकर इलाके में सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में हुए आतंकी हमले में 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गईए जबकि एक अन्य व्यक्ति ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया। यह हमला रात करीब 8:30 बजे हुआए जब सभी कर्मचारी खाना खाने के लिए मेस में एकत्र हुए थे। चश्मदीदों के मुताबिकए जब कर्मचारी मेस में भोजन कर रहे थे, तभी 3 आतंकी वहां पहुंचे और अचानक गोलीबारी शुरू कर दी। समाचारों के अनुसार इस हमले की ज़िम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली है जिसकी अविलम्ब कमर तोड़ देनी चाहिए।
प्रारंभिक जांच में यह तथ्य सामने आया है कि जिन श्रमिकों पर हमला हुआ, वे जेड मोड़ सुरंग परियोजना में काम कर रहे थे जो गगनगीर घाटी को सोनमर्ग से जोड़ने वाली एक सुरंग है। सवाल है कि जब धारा 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हाल ही में नई सरकार का गठन हुआ है और नेशनल कांफ्रैंस प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने घाटी में सरकार बनाई है, तब यह बड़ा सवाल है कि आखिर में आतंकियों के असल निशाने पर क्या था क्योंकि नई सरकार बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहली आतंकी वारदात हुई है। दूसरा सवाल यह है कि क्या आतंकियों के निशाने पर घाटी के विकास कार्यों को रोकना है?
यह पहला ऐसा मौका है जब विकास की परियोजना पर आतंकियों ने सीधे हमला किया है। जिस टनल के लिए यह मजदूर काम कर रहे थे वो भारत सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट में से एक है। इस साल कश्मीर में टीआरएफ  का ये बड़ा हमला है। जानकारों का कहना है कि इस साल जितने भी बड़े आतंकी हमले हुए हैं, वह जम्मू में हुए हैं, लेकिन यह पहली बार है जब कश्मीर में इस साल इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ है। पहली बार ऐसा हुआ है कि स्थानीय और बाहरी दोनों तरह के लोगों को टारगेट किया गया है। इससे साफ है कि विकास की परियोजनाओं में शामिल लोगों के हौसले को पस्त करने की खौफनाक रणनीति अब आतंकी संगठन अपना रहे हैं जिसका मुंहतोड़ जवाब देने की ज़रूरत है। 
एक सुलगता हुआ सवाल यह भी है कि जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला की सरकार के गठन के महज चार दिनों के बाद ही आतंकवादियों ने मुख्यमंत्री के ही विधानसभा क्षेत्र गांदरबल में इतना बड़ा आतंकी हमला क्यों किया? दरअसलए यह आतंकी हमला सियासी रूप से भी काफी अहम है ण् विधानसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला की पार्टी ने बहुमत हासिल कर सरकार का गठन किया है। क्या 370 की बहाली पर चुप्पी साधकर और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलवाए जानें की सीएम उमर की रणनीति से आतंकवादी बौखालए हुए हैं क्योंकि जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने के उमर कैबिनेट के प्रस्ताव को अब एलजी की मंजूरी का इंतजार है जो देर-सबेर मिल ही जाएगी। समझा जा रहा है कि चूंकि जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन के बाद उमर अब्दुल्ला लगातार जम्मू-कश्मीर के लोगों की बात कर रहे हैं। उन्होंने लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने का वादा किया है। वह जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों को साथ लेकर चलने की बात कर रहे हैं। साथ ही वह कश्मीर से विस्थापित हुए पंडितों की बात कर रहे हैं। इसलिए आतंकी आका उनकी इस नई नीति से परेशान हैं।  (एजेंसी)