सेना को और बलवान बनाएगा एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन 

पिछले साल 21 से 24 जून 2023 को पहली बार अमरीका की स्टेट विजिट पर गये प्रधानमंत्री मोदी ने 31 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन की डील प्रक्रिया शुरु की थी, वह सम्पन्न हो गई है। 32 हजार करोड़ रुपये की इस डील के चलते भारत को कुल 31 प्रीडेटर ड्रोन मिलेंगे, जिनमें 15सी गार्जियन ड्रोन नौसेना के लिए और 8-8 स्काई गार्जियन थल और वायु सेना के लिए होंगे। भारत और अमरीका के बीच सम्पन्न यह ड्रोन डील इसलिए इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है, क्योंकि एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन को अब तक का सबसे खतरनाक ड्रोन समझा जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह दुश्मन पर निगरानी रखने, उसकी टोह लेने के साथ-साथ उस पर घातक हमला करने में भी सक्षम है। 1900 किलोमीटर तक की दूरी तय करने वाला यह 12.6 फीट ऊंचा और 1800 किलोग्राम ईंधन कैपिसिटी वाला ड्रोन, 25000 फीट की ऊंचाई से लेकर 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है, इसलिए यह दुश्मन की पकड़ से आसानी से दूर रह सकता है। 
यह ड्रोन जिसे रीपर भी कहते हैं, इसलिए बेहद खतरनाक है, क्योंकि यह अपने साथ 1700 किलोग्राम के घातक हथियार लेकर उड़ता है। इसकी लंबाई 36.1 फीट तथा इसका विंगस्पैन 65.7 फीट है। इसमें हवा से जमीन पर मार करने वाली एजीएम-114 हेलफायर मिसाइलें लगी होती हैं, जो इसके 4 हार्ड प्वाइंट पर लगायी जाती हैं, ये दुश्मन के ठिकानों पर बेहद सटीक हमले कर सकते हैं। इसमें जीबीयू-12 पेववे प्प् लेजर गाइडेड बम होते हैं, जिनके लक्ष्य भेदने की सटीकता 90 प्रतिशत से ज्यादा है। यही नहीं इसमें जीबीयू-38 जेडीएएम (ज्वाइंट डायरेक्ट अटैक एम्यूनिशन) और ब्रीम स्टोन मिसाइलें भी लगायी जा सकती हैं। आश्चर्यजनक बात ये है कि यह 50,000 फीट की ऊंचाई से दुश्मनों पर नज़र ही नहीं रखता बल्कि उतनी ऊंचाई से हमला भी कर सकता है। 482 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से उड़ने वाला यह अत्याधुनिक मानव रहित हवाई वाहन यानी अनमैंड एरियल व्हीकल (यूएवी) है। 
भारतीय सेनाओं के इस रिमोट से संचालित प्रीडेटर ड्रोन से लैस होने के बाद उनकी ताकत में कई गुना इजाफा होगा। सबसे बड़ी बात ये है कि भारत में अमरीका से खरीदे गये इस ड्रोन के साथ इसकी मैंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल सुविधा हासिल करने का भी अनुबंध किया है। इस ड्रोन की अनेक खासियतों में से एक यह भी है कि यह जहां 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है, वहीं टारगेट तक पहुंचने के लिए जमीन से 250 मीटर की ऊंचाई पर भी उड़ सकता है। जहां यह एक तरफ दुश्मन पर निगरानी रखने और उसकी टोह लेने का काम करता है, वहीं उस पर भयानक हमला बोलने की भी क्षमता रखता है। अमरीका की जनरल एटॉमिक्स द्वारा निर्मित यह ड्रोन पनडुब्बीरोधी और सतहरोधी युद्ध के लिए बराबर उपयोगिता रखता है। क्योंकि यह 40 से 50 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ता है और 40 घंटे तक हवा में रह सकता है, इसलिए यह सटीक और रियल टाइम जानकारी देता है। चूंकि भारत ने इस डील के साथ इसके रख-रखाव मुरम्मत और ओवरहाल भी सुविधा हासिल की है, इसलिए भारतीय सेनाओं के लिए न सिर्फ इसका इस्तेमाल आसान होगा बल्कि भारतीय इंजीनियर इसकी तकनीक को समझकर भविष्य में इसके भारतीय संस्करण को भी आसानी से विकसित कर सकेंगे।
रक्षा सचिव गिरधर अरामने की मौजूदगी में अमरीकी सरकार के साथ सम्पन्न इस अनुबंध में, रक्षा मंत्रालय ने प्रदर्शन आधारित लॉजिस्टिक के लिए जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक अलग अनुबंध पर भी हस्ताक्षर किए हैं। इन्हीं के चलते इन ड्रोनों की भारत में डिपोस्तरीय रखरखाव, मुरम्मत और ओवरहाल की सुविधा सुनिश्चित की जायेगी। इतनी घातक क्षमताओं से युक्त होने के कारण इसे अगर मानवविहीन लड़ाकू विमान कहें तो कुछ गलत नहीं होगा। वैसे भी यह भारत के सबसे महंगे लड़ाकू विमान राफेल की करीब आधी कीमत का है। जहां राफेल लड़ाकू विमान 1800 करोड़ रुपये का है, वहीं एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन की कीमत 800 करोड़ रुपये है, जो करीब करीब एक औसत लड़ाकू विमान के बराबर की ही कीमत है। निश्चित रूप से भारतीय सेनाओं के इस किलर ड्रोन से सुसज्जित हो जाने के बाद चीन और पाकिस्तान के विरूद्ध हमारी युद्धक क्षमता में जबर्दस्त इजाफा होगा। 
हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन पहले से ही अपनी सेनाओं को उन्नत ड्रोन तकनीक से लैस कर रखा है। चीन ड्रोन माध्यम से ही अपनी दूरदराज के क्षेत्रों तक फैली सरहद की निगरानी करता है और दुश्मन पर हर समय हमला करने की क्षमता रखता है। जबकि पाकिस्तान की ड्रोन क्षमता भारत या चीन के स्तर की नहीं है और जो है भी, वह भी उधार के जरिये हासिल की गई है। जबकि भारत भले एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन खरीद रहा हो, लेकिन हमारे पास दर्जनों दूसरे ड्रोन पहले से ही हैं और ये सभी हमारी निजी तकनीकी से निर्मित हैं। ड्रोन को इसलिए भी भविष्य का शक्ति संतुलन साधने वाला हथियार माना जा रहा है, क्योंकि यह आधुनिक युद्ध क्षेत्रों में बेहद खतरनाक और जटिल भूमिकाएं निभाने में सक्षम हैं। एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन की शक्ति से लैस होने के बाद भारत, चीन और पाकिस्तान के साथ किसी भी संभावित संघर्ष में भारी पड़ने की क्षमता रखता है। 
आज की सामरिक रणनीति में ड्रोन इसलिए भी केंद्रीय भूमिका निभा रहे हैं, क्योंकि इनकी लड़ाकू विमानों के मुकाबले कीमत बहुत कम है और क्योंकि ये मानवरहित विमान होते हैं, जिन्हें रिमोट के जरिये संचालित किया जाता है, इसलिए ये सेनाओं को बड़े से बड़े जोखिम लेने के लिए सक्षम बनाते हैं। ड्रोन का उपयोग दुश्मन के क्षेत्र में गहरी पैठ बनाने और सटीक हमलों के लिए किया जाता है। यह निगरानी और खुफिया जानकारी एकत्र करने के मामले में भी अब तक का सबसे कारगर हथियार है। क्योंकि भारत की सीमाएं, चीन और पाकिस्तान से बहुत लंबी लगी हुई हैं, इसलिए हमें भी अपनी संवदेनशील सरहद पर निगरानी के लिए एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन की लंबे समय से ज़रूरत थी, जो अब पूरी हो गई है। जल्द ही इसे भारत, चीन और पाकिस्तान की संवदेनशील सरहद पर निगरानी के लिए लगाया जायेगा। ड्रोन साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तथा सटीक हमलों के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। हाल में इज़रायली सेना ने एक खंडहर पड़ी बिल्डिंग के भीतर घुसकर जिस तरह से हमास के नेता याह्या शिनवार की हत्या की और इसके पहले जिस तरह से अलकायदा के खूंखार मुखिया अल-जवाहिरी की हत्या की गई थी, वह ड्रोन से ही की गई थी। अल-जवाहिरी की हत्या में तो यही एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन शामिल था। इसलिए कहा जा सकता है कि न सिर्फ इस ड्रोन डील से भारत की सेना ताकतवर हुई है बल्कि यह भी माना जा सकता है कि ड्रोन जैसा हथियार ही इन दिनों सेनाओं की शक्ति संतुलन का केंद्र बन गया है, इसलिए यह ड्रोन भारत के लिए बेहद जरूरी था।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर