जैव प्रौद्योगिकी व जीनोमिक्स में है शानदार कॅरियर
जैव प्रौद्योगिकी और जीनोमिक्स का क्षेत्र आने वाले सालों में बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकि तेजी से विकसित होती आधुनिक स्वास्थ्य सेवा तथा कृषि और पर्यावरण संरक्षण में इसके जबरदस्त उपयोग हैं। यही वजह है कि आने वाले समय के रोज़गार क्षेत्रों पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि साल 2025-26 में भविष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण और फ्यूचरस्टिक कॅरियर में से एक जैव प्रौद्योगिकी और जीनोमिक्स क्षेत्र में कॅरियर होगा। मगर यह कैसे होगा? आइये इसे कुछ तथ्यों से समझते हैं-
* बायोटेक्नोलॉजी और जीनोमिक्स के जरिये स्वास्थ्य सेवाओं में बड़े पैमाने पर सुधार लाने का लक्ष्य है। इन दिनों जो ‘पर्सनलाइज्ड मेडिसिन’ विकसित की जा रही है, वह हर व्यक्ति को उसके अपने गुण धर्मों के लिहाज से उसका इलाज करेगी। जाहिर है यह इलाज बेहद सटीक होगा और इस पर्सनलाइज्ड मेडिसिन के विकास में सबसे बड़ी भूमिका जीनोमिक्स की होगी।
* बायोटेक्नोलॉजी के अधिकाधिक इस्तेमाल से अब ऐसी फसलें उगाये जाने की योजना है, जो लोगों की सिर्फ भूख ही नहीं मिटाएंगी बल्कि उन्हें स्वस्थ भी रखेंगी। यह जैव प्रौद्योगिकी के जरिये होने वाला है। आने वाले सालों में कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा बायोटेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होने जा रहा है। खासकर भारत में हो रही जलवायु परिवर्तन को देखते हुए सूखा, कीट और कुछ क्षेत्रों में ज्यादा बारिश को ध्यान में रखकर इन्हीं परिस्थितियों के अनुकूल कृषि फसलें विकसित होंगी।
* साल 2025-26 तक दुनिया में जीनोम एडिटिंग तकनीक आ जायेगी, जिसका इस्तेमाल मानव रोगों का इलाज करने में ही नहीं बल्कि उन्हें जेनेटिकली स्वस्थ बनाने में होगा। छात्र इस तकनीक में विशेषज्ञता हासिल करके भविष्य के इस बेहद मांग वाले क्षेत्र में अपना शानदार कॅरियर ढूंढ़ सकते हैं।
* हम सब जानते हैं कि डिजिटल बायोलॉजी और बायोइंफॉर्मेटिक्स के साझे उदय ने किस तरह से जीनोमिक डाटा को संग्रहित करने, उसे विश्लेषित करने को ज़रूरी बना दिया है, क्योंकि आने वाले सालों में ज्यादातर क्षेत्रों में इस तरह के डाटा बहुत काम के होंगे। जाहिर है अगले एक दो सालों में डिजिटल बायोलॉजी और बायोइंफॉर्मेटिक्स के एक्सपर्ट्स की बहुत बड़ी मांग होगी। इसके अलावा भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार, नैतिकता और जैव सुरक्षा, पब्लिक हेल्थ और स्टार्टअप तथा इस क्षेत्र में बढ़ने वाली टीचरों की मांग।
शैक्षिक योग्यता : बायोटेक्नोलॉजी, बायोलॉजी, जीनोमिक्स, माइक्रोबायोलॉजी, जैव रसायन (बायोकेमिस्ट्री), बायोमेडिकल साइंसेज या इनसे संबंधित विज्ञान विषयों में बीएससी की डिग्री कम से कम होनी ज़रूरी है। तभी इस क्षेत्र में प्रवेश संभव है। एमएससी, एमटेक या एमबीबीएस छात्रों के लिए बायोटेक्नोलॉजी, जीनोमिक्स या बायोमेडिकल में विशेषज्ञता उनके कॅरियर को सोने में सुहागा बना देती है। इस क्षेत्र में प्रोफेसर, वैज्ञानिक या उच्चस्तरीय शोधकर्ता बनना है तो कम से कम पीएचडी की डिग्री होनी चाहिए।
पढ़ाई का खर्च, प्रमुख डिग्रियां : अगर सरकारी संस्थान से पढ़ना संभव होता है तो यहां 10 हजार रुपये से 1 लाख रुपये वार्षिक का खर्च है। पीएचडी और शोध कार्यक्रमों में छात्रवृत्ति भी मिलती है। जबकि निजी विश्वविद्यालयों में पढ़ने के लिए कम से कम 2 से 8 लाख रुपये प्रतिवर्ष चाहिए होंगे। इसमें प्रारंभिक वेतन 4 से 8 लाख रुपये वार्षिक और अनुभव के तुरंत बाद 10 से 20 लाख रुपये वार्षिक आसानी से संभव है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर