रिकॉर्ड परी स्मृति मंधाना पर डब्ल्यूपीएल में बरसा पैसा!

वीमेन प्रीमियर लीग (डब्लूपीएल) के 2025 सत्र के लिए रॉयल चैलेंजर्स बेंग्लुरु का कुल पर्स 15 करोड़ रूपये है, जिसमें से उसने 3.4 करोड़ रूपये स्मृति मंधाना को रिटेन करने के लिए खर्च किये हैं यानी पर्स का 22 प्रतिशत से भी अधिक। यह राशि भारतीय टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर के कांट्रेक्ट से भी 1.5 करोड़ रूपये अधिक है, जोकि सबसे महंगी खिलाड़ियों की सूची में दूसरे स्थान पर हैं। ज़ाहिर है स्मृति डब्लूपीएल की सबसे महंगी रिटेंड खिलाड़ी बन गईं हैं। इस बीच, अक्तूबर में स्मृति ने न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध सीरीज़ जीतने वाला शतक लगाया जोकि उनके ओडीआई करियर का 8वां शतक था और इस तरह उन्होंने इस फॉर्मेट में मिथाली राज के 7 शतकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्मृति को अपनी बल्लेबाज़ी से प्रभावित करते हुए अब एक दशक से भी अधिक समय हो गया है। 28 वर्षीय स्मृति जनरेशन-ज़ेड की लड़कियों के लिए रोल मॉडल हैं और उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित कर रही हैं। एक लेफ्ट-हैंड क्रिकेटर के तौर पर उनके खेल में आकर्षण व स्टाइल है और मखमली टच जैसी टाइमिंग है।
स्मृति मात्र 9 वर्ष की थीं जब उनका चयन महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम में हुआ था। 11 साल का होने पर वह अंडर-19 की टीम में खेल रही थीं। वह 16 बरस की हुईं तो अंडर-19 टीम की कप्तान हो गईं। यह 2012 की बात है और उसी साल उन्होंने अपना अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू भी किया। एक यंग प्लेयर के रूप में उन्होंने कहा था कि उनकी पसंदीदा खिलाड़ी डायना एडुल्जी (जो अब 68 वर्ष की हैं), शांता रंगास्वामी (70), झूलन गोस्वामी (41) व हरमनप्रीत कौर (35) हैं। यह दिलचस्प है कि स्मृति ने अपनी आदर्श गोस्वामी के साथ क्रिकेट खेली है और कौर के साथ खेल रही हैं। लेकिन एडल्जी व रंगास्वामी की तरह उन्हें घर-घर जाकर फंड्स एकत्र नहीं करने पड़े हैं और न ही दिखायी देने के लिए अकेले, अक्सर असफल, संघर्ष करने पड़े हैं। 
दरअसल, महिला क्रिकेट आज जिस मकाम पर है, वहां तक पहुंचने के लिए उसे बहुत लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। आज तो वह फूल की तरह खिल उठी है और स्मृति की सफलता इसका सबूत है कि जब खेल प्रशासन महिला खेलों को अनदेखा करना बंद कर देता है, तो क्या होता है? महत्वपूर्ण परिवर्तन 2014 में आया था जब 8 साल की लम्बी लापरवाही के बाद महिला क्रिकेट कैलेंडर को फिर से स्थापित किया गया था। जब महिलाएं लंदन में लॉर्ड्स से एक घंटे की ड्राइव पर वोर्म्सले में खेल रही थीं तो किसी को मालूम न था कि उनकी यह आउटिंग लगभग एक दशक बाद हुई थी। वहां 18 साल की हो चुकीं स्मृति भी थीं अर्द्धशतक लगाते हुए राज के साथ ऐतिहासिक 181 की चेज़ को पूरा करते हुए। फिर 2016 में एक और दरवाज़ा खुला। बीसीसीआई ने महिलाओं को ग्लोबल फ्रैंचाइज़ी लीगों में खेलने की अनुमति दे दी। कौर कांट्रेक्ट हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। वह ऑस्ट्रेलिया की टी-20 बिग बैश लीग (बीबीएल) में सिडनी थंडर के लिए खेलीं। उनके बाद स्मृति ने बीबीएल में ही ब्रिसबेन हीट के लिए साइन किया। 
स्मृति ने 2017 के ओडीआई विश्व कप में 90 रन का स्कोर किया, जिससे एक अन्य क्रांति आरंभ हुई कि 200 मिलियन से अधिक भारतीयों ने अपने अपने टीवी सेट्स खोले अपनी महिला टीम को फाइनल खेलते हुए देखने के लिए। स्मृति 2019 में जब 22 साल की हुईं तो भारत की सबसे युवा टी-20 कप्तान बनीं, क्योंकि चोट के कारण कौर इंग्लैंड के विरुद्ध घरेलू सीरीज़ के लिए उपलब्ध न थीं। भारत हारा, लेकिन कप्तान हार से सबक लेने की इच्छुक थीं, ‘एक कप्तान के तौर पर मैं उन गलतियों से सीखने के लिए तैयार हूं जो आज मैंने कीं वर्ना एक कप्तान के रूप में मुझमें कोई सुधार नहीं आयेगा।’ आज भारतीय महिला क्रिकेट में जो परिवर्तन आया है, स्मृति उसका प्रमुख चेहरा हैं। वह भारत की टॉप बैटर हैं, राष्ट्रीय टीम की उप-कप्तान हैं, डब्लूपीएल का चेहरा हैं। चूंकि 2014, 2016 व 2017 में बड़ी बाधाएं पार हो गईं, इसलिए अब अधिक खेल की गुंजाइश है, ओवरसीज़ भी अधिक खेला जा रहा है और फिर डब्लूपीएल भी है। इस साल दिसम्बर-जनवरी में भारतीय महिलाएं (स्मृति, दीप्ति शर्मा, जेमिमा रोड्रिग्स, शेफाली वर्मा, राधा यादव व ऋचा घोष) बीबीएल में भी हिस्सा लेंगी। 
रासायनिक वितरक की बेटी स्मृति की परवरिश मुंबई व सांगली में हुई। महाराष्ट्र उनका गृह मैदान है, लेकिन उनकी कहानी में बेंग्लुरु की भी प्रमुख भूमिका है। इस साल जून में स्मृति ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ बेंग्लुरु में महिला ओडीआई में 117, 136 व 90 के स्कोर किये। अब वह लगातार तीसरे साल आरसीबी की कप्तान होंगीं। कप्तानी उनके लिए अग्निपरीक्षा रही है। डब्लूपीएल के पहले सत्र (2023) में वह लगातार 5 मैच हारीं। फिर भी उन्होंने टीम को एकजुट रखा और इससे अगले वर्ष आरसीबी चैंपियन बनी।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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