मूंछ की शान और त्याग के दीपदान का बूंदी महोत्सव
हर साल नवम्बर-दिसम्बर का महीना राजस्थान के बूंदी शहर को एक नया जीवन देने के लिए आता है। रंग बिरंगे, रीति-रिवाजों, परंपराओं, शान और अभिमान से सज्जित कलाओं के उत्सव का शानदार संगम होता है, बूंदी महोत्सव। इस साल बूंदी उत्सव 18 से 20 नवम्बर 2024 के बीच मनाया जायेगा। कला और संस्कृति प्रेमी पर्यटकों के लिए राजस्थान के इस बूंदी महोत्सव में सबकुछ है। दिल को कलेजे से निकाल देने वाला लोकसंगीत, हर किसी को थिरकने के लिए उत्तेजित कर देने वाला लोकनृत्य, आंखों को चौंधिया देने वाले हस्तशिल्प और पुरुषों की आन, बान और शान के प्रतीक पगड़ी और मूंछों के झकझोर देने वाले करतब। आखिर बूंदी उत्सव में क्या नहीं है?
बूंदी उत्सव में आंखों को भाने वाली, दिल को छूने वाली और कानों को मदमस्त कर देने वाली अनेक ऐसी गतिविधियां हैं, जिन्हें हम बस देखते ही रह जाएंगे। यहां पारंपरिक खेलकूद प्रतियोगिताएं होती हैं, जिनमें रस्साकशी और मूंछ प्रतियोगिता सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। रस्साकशी में दो अलग-अलग पार्टियां एक दूसरे के साथ रस्सा खींचती हैं और दोनों में से कोई नहीं हारना चाहती। इसलिए कई बार बल्कि कहें तो अकसर रस्सा ही टूट जाता है। जहां तक मूंछ प्रतियोगिता का सवाल है तो मूंछें राजस्थान का सांस्कृतिक गौरव हैं। मूंछों के बिना राजस्थान में पुरुष अपने आपको सम्पूर्ण नहीं पाते। मूंछें उनमें पौरुष का ओज भरती हैं और आन, बान व शान की दृढ़ता जगाती हैं। अपनी घनी, चौड़ी और लंबी मूंछों को ऐंठनें, उन्हें संवारने और करीने से संभालने की इस प्रतियोगिता में पता चलता है कि मूंछों के साथ संवेदनशीलता रखना कितना बड़ा अनुशासन है।
बूंदी महोत्सव में पगड़ी बांधने की भी प्रतियोगिता होती है, साथ ही बर्तन दौड़, घुड़ दौड़ और ऊंट दौड़ भी यहां देखने को मिलती है। लेकिन तीन दिन तक चलने वाले इस उत्सव की सबसे सुनहरी यादें इसके शास्त्रीय संगीत और नृत्य के कार्यक्रम होते हैं। सूरज ढलते ही संगीत की जो स्वर लहरियां बिखरती हैं, पर्यटक उन लहरियों में मुग्ध होकर खो जाते हैं। बूंदी उत्सव हालांकि बहुत बड़े पैमाने पर राज्य के सहयोग से नहीं मनाया जाता है, बस इसमें शासन प्रशासन की जिम्मेदारी इसे नियंत्रित करने भर की होती है। लेकिन यह उत्सव इतने अनुशासित और इतने समर्पित भाव से तीन दिनों तक अपने मेहमानों को खुश और आह्लादित रखता है कि एक बार यहां आने वाला पर्यटक जीवन में कम से कम एक और बार तो ज़रूर ही आना चाहता है। इस उत्सव की बहुत सारी खूबियां हैं जो आकर्षित करती हैं। इस उत्सव के दौरान यहां स्थानीय शिल्पग्राम एवं उद्योग मेला लगता है, जिसमें आप स्थानीय शिल्प के बेजोड़ परिधान खरीद सकते हैं। बूंदी उत्सव के दौरान आर्ट एग्जिविशन भी लगती है, जिसमें स्थानीय कलाओं का प्रदर्शन होता है। इस दौरान यहां हेरिटेज वॉक भी होती है, ऐतिहासिक स्मारकों का निर्देशित पर्यटन आगंतकों का अपनी भव्यता से मन मोह लेता है। बूंदी उत्सव के दौरान यहां विलेज सफारी के साथ-साथ बूंदी टैलेंट शो का भी आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय टैलेंट का भरपूर प्रदर्शन होता है। बूंदी उत्सव हर साल कार्तिक महीने में आयोजित होता है, इसलिए आमतौर पर यह अक्तूबर या नवम्बर में ही पड़ता है। यह उत्सव राजस्थान की लोककला, परंपरा और संस्कृति को दिल खोलकर दर्शाता है। यही वजह है कि हर साल इस कला उत्सव के दौरान यहां विदेशी पर्यटक भी बड़ी तादाद में आते हैं। बूंदी उत्सव के पैकेज में कई और आकर्षण भी हैं। तारागढ़ किला और गढ़ पैलेस का पर्यटन, नीले घरों के समूह का अवलोकन, अमरूद, आम, अनार और संतरे के व्यवस्थित बागान और मैन मेड छोटी-छोटी झीलें, जो राजस्थान के रेगिस्तान को अपनी-अपनी जगहों पर नखलिस्तान बनाने की कोशिश करती हैं।
बूंदी मेला राजस्थान की समृद्धि संस्कृति के साथ-साथ लोगों की वेशभूषा को भी देखने, समझने और उसमें मौजूद रंगीनियत का एहसास करने का समय है। इस साल यानी 2024 में जब बूंदी महोत्सव 18 से 20 नवम्बर 2024 को मनाया जा रहा है, तब यहां के कलेक्टर अक्षय गोदारा ने बूंदी महोत्सव कार्यक्रम को अपनी तरफ से जितना भव्य बनाया जा सकता है, हर तरह के इसके लिए आदेश दिए हैं। बूंदी महोत्सव जिन प्राइवेट कंपनियों द्वारा मनाया जाता है, वहां कार्यक्रमों को भव्य बनाने के लिए एक रोडमैप भी तैयार किया जाता है। यही रोडमैप न सिर्फ भविष्य की पीढ़ियों को कला और उसकी विविधता का संदेश देता है बल्कि एहसास कराता है कि भारत कितना सरस, कितना सहृदय और कितना उत्सवमना देश है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर