प्रसिद्ध कॉमेडियन में पहचान बनाने वाले शेखर सुमन

शेखर सुमन जब मुंबई आये तो उन्हें अपनी एक आंटी की बदौलत शशि कपूर से मिलने का अवसर मिला। हालांकि यह मुलाकात मात्र 15 मिनट की थी, लेकिन इस अल्प अवधि में भी वह शशि कपूर को प्रभावित करने में सफल रहे। शायद इसे ही अंग्रेज़ी में ‘फर्स्ट इम्प्रैशन इज़ द लास्ट इम्प्रैशन’ कहते हैं यानी जो पहली नज़र में किसी की छवि बनती है, वह हमेशा के लिए कायम रहती है। शशि कपूर ने पहली ही नज़र में यह मन बना लिया था कि वह शेखर सुमन को अपनी किसी फिल्म में अवश्य साइन करेंगे। इस तरह बिना किसी संघर्ष के शेखर सुमन को 1984 में फिल्म ‘उत्सव’ में काम करने का अवसर मिला, जिसमें रेखा मुख्य भूमिका में थीं। 
यह सही है कि कुछ लोगों को फिल्मी दुनिया में आसानी से प्रवेश भी मिल जाता है, विशेषकर उनको जिनका परिवार पहले से ही इस संसार का हिस्सा है। लेकिन इस उद्योग में अपने पैर जमाये रखना बहुत टेढ़ी खीर है। ऐसी अनेक कलियां हैं जो खिलते ही मुरझा गईं। औरों की तो बात छोड़िये राज कपूर अपने बेटे राजीव कपूर (राम तेरी गंगा मैली की अपार सफलता के बावजूद), राजेन्द्र कुमार अपने बेटे कुमार गौरव (लव स्टोरी की रिकॉर्ड कामयाबी के बावजूद) और मनोज कुमार अपने बेटे कुणाल गोस्वामी (पेंटर बाबू की औसत सफलता के बावजूद) का करियर स्थापित न करा सके। इसी तरह शेखर सुमन के एक बटेर (उत्सव) तो आसानी से हाथ आ गई थी, लेकिन दूसरी बटेर (फिल्म) के लिए उन्हें नाको चने चबाने पड़े। वह 5 साल तक बेरोज़गार रहे और इस मुश्किल दौर में उनकी पत्नी ने ही उनके घर का खर्च चलाया।
शेखर सुमन जब दिल्ली में पढाई कर रहे थे, तो उनकी मुलाकात अलका से हुई। दोनों को एक-दूसरे से प्यार हो गया। शेखर की फिल्म ‘उत्सव’ जब रिलीज़ हुई तो उन्हें लगा कि अब वह खुशहाल वैवाहिक जीवन बसर कर सकेंगे, बिना किसी आर्थिक तंगी के। लिहाज़ा उन्होंने अलका से शादी कर ली। लेकिन उनके सपने टूट गये। बेरोज़गारी का प्रेत उनकी कुंडली में ऐसा बैठा कि लगभग 5 साल तक वह काम को तरसते रहे। अलका फैशन डिज़ाइनर हैं। बुरे वक्त में वह घर का खर्च उठाने लगीं, जिससे शेखर को काम पाने के लिए संघर्ष करने का अवसर बिना किसी आर्थिक दबाव व ज़िम्मेदारी के मिल गया। उनका संघर्ष आख़िरकार रंग लाया और उन्हें ‘देख भाई देख’ सीरियल में काम करने का मौका मिला। यह सीरियल कामयाब रहा। शेखर को मनोरंजन की दुनिया में शुहरत व पहचान मिल गई। उन्हें टीवी के साथ फिल्मों में भी काम मिलने लगा। इस तरह वह टीवी व फिल्मों के प्रमुख व पॉपुलर कलाकार बन गये, जबकि अब उनका बेटा अध्ययन सुमन भी फिल्मी दुनिया में अपने पैर जमाने के लिए प्रयासरत है। शेखर के बड़े बेटे आयुष का हृदय रोग के कारण मात्र 11 वर्ष की आयु में 3 अप्रैल 1995 को निधन हो गया था।
एक अन्य दिलचस्प किस्सा यह है कि शेखर ने अपने करियर की शुरुआत में ‘मानव हत्या’ नामक एक फिल्म भी की थी। यह छोटे बजट की फिल्म थी। इस फिल्म में माधुरी दीक्षित उनकी हीरोइन थीं। उस समय माधुरी भी खुद को फिल्मों में स्थापित करने की कोशिश में लगी हुईं थीं यानी वो कोई बड़ा नाम न थीं और उनके पास पैसा भी न था। फिल्म का निर्माता भी उनके ट्रांसपोर्ट का खर्च बर्दाश्त करने की स्थिति में न था। इसलिए शेखर माधुरी को उनके घर से अपनी बाइक पर शूट के लिए लेकर आते थे और शूट के बाद उन्हें वापस घर पर छोड़ते थे। एक्टर, एंकर, निर्माता, निर्देशक व गायक शेखर सुमन का जन्म 7 दिसम्बर, 1962 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। शेखर ने अभी तक लगभग 35 फिल्मों में काम किया है, जिनमें ‘संसार’, ‘त्रिदेव’, ‘नाचे मयूरी’, ‘पति परमेश्वर’, ‘रणभूमि’ आदि ही कुछ चर्चित व कुछ सफल रही हैं। लेकिन टीवी पर उन्हें जबरदस्त कामयाबी मिली है, एक्टर, जज व होस्ट के रूप में। 
‘देख भाई देख’ के अतिरिक्त ‘कभी इधर कभी उधर’, ‘छोटे बाबू’, ‘अंदाज़’, आदि उनके सफल सीरियल हैं। ‘मूवर्स एंड शेकर्स’ की उन्होंने कामयाब होस्टिंग की, जिसमें वह सेलेब्रिटीज़ के दिलचस्प इंटरव्यू लिया करते थे और स्टैंडअप कॉमेडी भी किया करते थे। इसी तज़र् पर उन्होंने ‘सिम्पली शेखर’ और ‘कैरी ऑन शेखर’ भी बनाये, लेकिन पहली जैसी सफलता न मिल सकी। शेखर तीन सीजन तक नवजोत सिंह सिद्धू के साथ ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ के जज रहे और बाद में सिद्धू से मतभेद के कारण इस सफल शो से अलग हो गये। इसके अतिरिक्त भी उन्होंने अनेक कॉमेडी शोज़ में जज की भूमिका निभाई। उन्होंने पॉपुलर डांस रियलिटी शो ‘झलक दिखला जा’ के चौथे सीजन में हिस्सा लिया था। शेखर ने गायकी में भी हाथ आज़माया है। ‘कुछ ख्वाब ऐसे’ उनकी म्यूजिक एल्बम है, जिसमें 8 प्रेम गीत हैं। फिल्म ‘हार्टलेस’ (2014) का उन्होंने निर्देशन किया। राजनीति में प्रवेश करके चुनाव भी लड़े और हारे। अब भाजपा में हैं। शेखर की अधिक पहचान कॉमेडियन की है, जिसके लिए वह पुरस्कृत भी हो चुके हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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