इज़रायल-हमास समझौता

अन्तर्राष्ट्रीय मंच से एक बेहद अच्छा समाचार यह आया है कि मध्य पूर्व में इज़रायल तथा हमास के बीच चल रहे युद्ध संबंधी समझौता पूर्ण हो गया है। इज़रायल की सुरक्षा कैबिनेट ने भी समझौते को स्वीकृति दे दी है। गाज़ा पट्टी में 15 मास से जारी इस युद्ध से बेहद तबाही हुई है। अनुमान के अनुसार अब तक लगभग 50 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं, इनमें आधे से अधिक महिलाएं, बच्चे एवं बुजुर्ग शामिल हैं। मध्य पूर्व में दशकों पहले उप-निवेशवादियों की ओर से इज़रायल देश की स्थापना की गई थी। इसके बाद अरब देशों में इसे लेकर लगातार तनाव बना रहा है। इस मामले पर अब तक कई युद्ध हो चुके हैं। इज़रायल को खत्म करने के लिए ईरान ने सौगन्ध खाई है। उसकी शह पर यहां कई ऐसे संगठन बने हुए हैं, जिन्होंने अरब देशों से हथियार और आर्थिक सहायता लेकर इज़रायल के विरुद्ध युद्ध छेड़ रखा है।  पहले हुए एक समझौते के तहत पश्चिमी किनारे और दूसरी तरफ गाज़ा पट्टी में फिलिस्तीनियों को बसाने की योजना बनाई गई थी, परन्तु समय-समय पर छिड़े युद्धों के कारण इज़रायल ने कुछ अरब देशों एवं पश्चिमी किनारे पर बसे फिलिस्तीनियों के स्थान पर  कब्ज़ा करके अपने स्थायी आवास बना लिए, जिससे यह मामला और भी जटिल बनता गया। दूसरी तरफ गाज़ा पट्टी के छोटे-से क्षेत्र में लगभग 23 लाख फिलिस्तीनी बसे हुए थे जो इज़रायल के दायरे में ही थे, परन्तु वहां इज़रायल के विरुद्ध बने लड़ाकू संगठन हमास ने कब्ज़ा करके अपना प्रशासन स्थापित कर लिया था। 
पिछले लगभग 10 वर्ष से हमास की हर तरह से सहायता कुछ अरब देश भी कर रहे हैं, जिससे वह अपनी शक्ति बढ़ाता रहा है, जो इज़रायल के लिए हमेशा चिन्ताजनक बात रही है। कंटीली तार लगा कर गाज़ा पट्टी से हमास की इज़रायल के विरुद्ध गतिविधियों को रोकने का बड़ा यत्न किया गया था, परन्तु 7 अक्तूबर, 2023 को हमास के प्रशिक्षित और हथियारबंद आतंकवादियों ने इज़रायल की सीमाओं को पार करके ड्रोन एवं अन्य हथियारों से हमला कर लगभग 1200 इज़रायलों को मार दिया था तथा लगभग 250 व्यक्तियों को बंधक बना कर वह अपने क्षेत्र में ले गये थे। उसके बाद वहां इज़रायल ने गाज़ा पट्टी में पहले तो लगातार हवाई हमले किये तथा उसके बाद अपनी थल सेना द्वारा हमला किया। इन हमलों में हज़ारों ही लोग मारे गए। इज़रायल की ओर से सीमा से किसी तरह की खाद्य सामग्री गाज़ा पट्टी में जाने नहीं दी गई, जिससे वहां लोग भूखे मरने लगे और बहुत बड़ा दुखांत पैदा हो गया। इस संबंध में अमरीका सहित विश्व भर के देशों ने इज़रायल को ऐसा करने पर कड़ी फटकार भी लगाई परन्तु उसकी ओर से यह हमले लगातार जारी रखे गए। इज़रायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने लगातार यह बयान दिए और कहा कि वह गाज़ा से हमास का प्रशासन खत्म कर देगा तथा उससे जुड़े आतंकवादियों को भी पूरी तरह से तबाह कर देगा। इन हमलों की संयुक्त राष्ट्र और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं और विश्व भर के ज्यादातर देशों की ओर से कड़ी आलोचना की जाती रही है। ऐसे हमलों में जन-साधारण के मारे जाने को अन्तर्राष्ट्रीय कानूनो ंके विपरीत बताया जाता रहा है। इस पूरे घटनाक्रम में बहुत से पश्चिमी देशों ने इज़रायल की पूरी सहायता की परन्तु वह इज़रायल को अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन करने से न रोक सके। इस समय दौरान कतर सहित कुछ अरब देशों ने इस युद्ध को खत्म करवाने के लिए भारी यत्न किए, जिसमें अमरीका भी उनका भागीदार बना। अब समझौता होने के समाचार आने से यहां शांति की उम्मीद की जाने लगी है। समझौते के अनुसार पहले चरण में गाज़ा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए 33 इज़रायलियों को रिहा किया जाना है, इसके बदले इज़रायल द्वारा भारी संख्या में फिलिस्तीनी कैदी रिहा किए जाएंगे।
42 दिनों के लिए युद्ध बंद रहेगा। दूसरे एवं तीसरे चरण में भी बंधकों का आदान-प्रदान जारी रहेगा। इस समय के दौरान कतर, अमरीका और मिस्र समझौते की निगरानी करेंगे और इसके साथ ही गाज़ा पट्टी में नये प्रशासन को स्थापित किया जाएगा। यहां तक गाज़ा पट्टी का संबंध है, यह बड़ी सीमा तक तबाह हो चुकी है। यहां लगभग 90 प्रतिशत लोग अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। जिनका सब कुछ तबाह हो चुका है। किसी भी तरह का समझौता सफल होने के बाद गाज़ा पट्टी को पुन: बसाने के लिए बड़े यत्नों की ज़रूरत होगी, जिसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं सहित भारत एवं अन्य देशों को इसके पुनर्निर्माण में पूरी सहायता करनी होगी और इसके  साथ-साथ अमरीका, भारत एवं अन्य बड़े देशों को इस बात के लिए भी यत्नशील होना पड़ेगा कि फिलिस्तीनियों के लिए भी एक अलग प्रभुसत्ता सम्पन्न देश वहां बनाया जाए। इसी ढंग से ही इस क्षेत्र में दशकों से छिड़े हुए युद्ध को स्थायी रूप से खत्म करने के यत्न सफल हो सकेंगे।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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