मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता की चुनौतियां  

भारतीय जनता पार्टी ने फिर एक बार दिल्ली मुख्यमंत्री के रूप में श्रीमती रेखा गुप्ता के नाम को लेकर न केवल चौंकाया, बल्कि एक तीर से अनेक निशाने साधे हैं। इस चौंकाने वाले फैसले के पीछे भाजपा की कई रणनीतियां हैं, एक तरफ जहां जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश है, वहीं दूसरी तरफ  नेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा को भी खत्म किया गया है। रेखा गुप्ता के रूप में भाजपा ने एक ऐसे चेहरे को आगे बढ़ाया है जो महिला सशक्तिकरण का प्रतीक भी है। रेखा गुप्ता भले ही पुरानी संघ के जुड़ी नेता रही हो, लेकिन उनका राजनीतिक अनुभव कोई बहुत ज्यादा नहीं रहा है।  निश्चित ही अन्य राज्यों की भांति दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता भी नया इतिहास का सृजन करते हुए विकास की नई गाथा लिखेंगी। दिल्ली से पहले भाजपा शासित 13 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। दिल्ली में चौथी मुख्यमंत्री के रूप में भले ही रेखा गुप्ता का नाम राजनीति गलियारों में व्यापक चर्चा का विषय बन रहा हो, लेकिन राजनीति में महिलाओं के वर्चस्व को बढ़ाने की यह कोशिश अभिनन्दनीय एवं सराहनीय है। 
 रेखा गुप्ता शालीमार बाग सीट से जीतकर पहली बार विधायक बनी हैं। निश्चित ही दिल्ली का नया मंत्रिमण्डल सशक्त एवं कार्यक्षम है। वैसे एक बड़ी सच्चाई तो यही है कि दिल्ली की जीत अगर किसी एक चेहरे पर हुई थी, तो वह नरेंद्र मोदी थे। दिल्ली की जनता से मोदी ने जो वायदे किये हैं, उनको पूरा करने के लिये वह स्वयं सक्रिय रहेंगी। उम्मीद है कि उनका मार्गदर्शन एवं नेतृत्व दिल्ली के विकास की नई गाथा लिखेगा। 
मुख्यमंत्री के रूप में रेखा गुप्ता का सफर चुनौतीपूर्ण रहने वाला है, क्योंकि उनका उन सारी घोषणाओं और वादों को पूरा करना है, जो चुनाव के दौरान तीन किश्तों में जारी चुनाव घोषणा पत्र में किए थे और जिसे सभाओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने बार-बार दोहराया था। इनमें यमुना की सफाई, स्वच्छ पेयजल, प्रदूषण रहित पर्यावरण दिल्ली को देना, प्रति वर्ष 50 हज़ार नई नौकरियों का सृजन, महिलाओं को प्रति माह 2500 रुपये देना, वृद्धों को पैंशन, मुफ्त बस यात्रा, नालों, गलियों व सीवर की सफाई, सड़कों की मरम्मत, ट्रैफिक जाम से निजात समेत पिछली ‘आप’ सरकार की मुफ्त बिजली पानी जैसी लोकलुभावन योजनाओं को जारी रखना शामिल होगा। इसके साथ ही रेखा गुप्ता को उप-राज्यपाल और केंद्र सरकार के साथ तालमेल बिठाते हुए भी यह संदेश भी देना होगा कि वह कठपुतली मुख्यमंत्री नहीं हैं। इसके लिए उन्हें शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज का उदाहरण सामने रखकर नयी रेखाएं खिंचनी होगी। भले ही मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ रेखा गुप्ता दिल्ली के दिलों पर छा गईं हों, उन्होंने दिग्गजों को पछाड़ा हो, लेकिन असली परीक्षा अब होगी और वह परीक्षा है, उनका काम करने का तरीका एवं दिल्ली को दुनिया की अव्वल राजधानियों में शुमार करना। 
रेखा गुप्ता के सामने विपक्षी दल आम आदमी पार्टी के आक्रामक विरोध से निपटने की भी चुनौती होगी। ‘आप’ विधानसभा के भीतर बाहर सरकार के विरोध में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इन बाहरी चुनौतियों के साथ ही पार्टी के भीतर वे नेता जिनकी नज़र मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थी, उनके भीतरघात से भी सजग रहने व निपटने की चुनौती होगी।  आखिरी सबसे बड़ी चुनौती नौकरशाही पर सार्थक नियंत्रण और उसे जनोन्मुखी बनाने की होगी। साथ ही दिल्ली के सभी वर्गों और क्षेत्रों में संतुलन साधते हुए विकास करने की होगी। 
दिल्ली का विकास केजरीवाल सरकार के दौर में अवरुद्ध रहा है। जीत के बाद विजयी भाषण में प्रधनमंत्री मोदी ने यमुना को लेकर कई बड़े वादे किए हैं, जिन पर रेखा गुप्ता की सरकार को खरा उतरना होगा। निर्धारित सीमा पर यमुना का जीर्णोद्धार हो पाए, इसका इंतजार दिल्ली की जनता कर रही है। दिल्ली की जनता यमुना नदी को अहमदाबाद की साबरमती नदी की तर्ज पर सौन्दर्यकरण के साथ विकसित होते हुए देखने को उत्सुक है। दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में इस वक्त सड़क कॉरिडोर प्रस्तावित है। इसके अलावा दिल्ली में कई स्थानों पर सड़कों का बुरा हाल है। इन सड़कों को दुरुस्त कराना भी एक बड़ी जिम्मेदारी होगी। दिल्ली में पूर्ववर्ती ‘आप’ सरकार ने चार अस्पताल बनाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसे पूरा नहीं किया जा सकता है। वहीं, आयुष्मान आरोग्य से जुड़ी योजना भी लागू करना होगा। 
दिल्ली में जिस प्रकार सार्वजनिक परिवहन की ज़रूरत बढ़ती जा रही है, उस अनुरूप बसों की संख्या बढ़ानी होगी। दिल्ली में कूड़े के पहाड़ और वायु प्रदूषण बड़ी समस्या रही है। भाजपा इन मुद्दों पर ‘आप’ पर हमलावर रही है, लेकिन अब जब खुद भाजपा सत्ता में आ गई है तो इसके लिए कोई बहाना दिल्ली की जनता के आगे नहीं चलेगा। वायु प्रदूषण के कारण न केवल लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि बच्चों के स्कूल भी बंद कराने पड़ते हैं। भाजपा ने चुनाव के वक्त अपनी पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। रेखा गुप्ता अपनी टीम की छवि कितनी साफ, अहंकारमुक्त एवं पारदर्शी रख पाती हैं, यह भी उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। ‘आप’ सरकार में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच कराना भी इसकी ज़िम्मेदारी होगी। महिलाओं एवं युवाओं के मुद्दों को लेकर भी उन्हें संवेदनशीलता दिखानी होगी। निश्चित ही मुख्यमंत्री का ताज फूलों से ज्यादा कांटोंभरा होता है, लेकिन रेखा गुप्ता दिल्ली के शासन को एक नई आभा देकर सभी चुनौतियों से कैसे निपटेंगी, यह भविष्य बताएगा।

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