51वें खजुराहो नृत्य महोत्सव पर थिरकेगी शास्त्रीय संस्कृति
खजुराहो नृत्य समारोह पर विशेष
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट खजुराहो में एक हजार वर्ष प्राचीन मंदिरों की पृष्ठभूमि में 51वां नृत्य समारोह आगामी 20 फरवरी से 26 फरवरी 2025 तक, मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग, उस्ताद अलाउद्दीन खां, संगीत एवं कला अकादमी और मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल के माध्यम से आयोजित होगा। भारतीय नृत्यशैलियों पर केंद्रित यह देश का शीर्षस्थ नृत्य महोत्सव है, जो राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात है। इस समारोह में देश ही नहीं पूरी दुनिया के शास्त्रीय नर्तक व नर्तकियां अपनी प्रस्तुतियां देने आते हैं। साल 1975 से आयोजित इस समारोह में, भारत की सभी प्रसिद्ध नृत्यशैलियों जैसे- भरतनाट्यम, ओडिसी, कत्थक, मोहिनीअट्टम, कुच्चिपुड़ी, कथकली, यक्षज्ञानम और मणिपुरी आदि के अनेक युवा और वरिष्ठ नृत्य कलाकार अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पूरे साल समारोह की बाट जोहते हैं।
पिछले साल यानी 2024 में खजुराहो नृत्य समारोह का 50वां साल था। इसलिए यह बेहद ऐतिहासिक समारोह था। पिछले साल समारोह की स्वर्ण जयंती के मौके पर दुनियाभर के 1484 कलाकारों ने अपनी कला का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था, जिसमें सबसे बड़ा कत्थक नृत्य प्रदर्शन का गिनीज बुक्स ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना था। नृत्य के विख्यात विश्व धरोहर स्थल, कत्थक कुंभ का रिकॉर्ड स्थापित करने वाला यह प्रदर्शन उज्जैन तथा ग्वालियर आयोजनों के बाद लगातार तीसरा प्रदर्शन था, जिसे गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने मान्यता दी। जब उज्जैन में यह नृत्य समारोह सम्पन्न हुआ था, उस दौरान 11 लाख 71 हजार 78 दीये जलाये गये थे। जबकि ग्वालियर में सम्पन्न तानसेन समारोह के दौरान ग्वालियर के किले में ताल दरबार के दौरान कुल 1600 तबला कलाकारों ने इस नृत्य की बंदिश बजायी थी। खजुराहो नृत्य महोत्सव हर गुजरते साल, कला की दुनिया का एक भव्य प्रदर्शन बनकर उभर रहा है।
आगामी 20 फरवरी को शाम 6 बजकर 30 मिनट पर इस महोत्सव के तहत शास्त्रीय नृत्य मैराथन की भव्य शुरुआत मंदिर प्रांगण से होगी, जिसका विशेष आयोजन खजुराहो में जनजातीय आदिवर्त एवं लोककला राज्य संग्रहालय द्वारा होगा। पहले दिन कथकली, मोहिनीअट्टम और ओडिसी नृत्यों की प्रस्तुतियां संपन्न होंगी। कथकली की प्रस्तुति इंटरनेशनल सेंटर फॉर कथकली, दिल्ली द्वारा दी जायेगी जबकि मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति केरल की पल्लवी कृष्णम करेंगी और ओडिसी की समां कल्याणी वैदेही भगरे बांधेंगी, जोकि मध्य प्रदेश की हैं। समारोह में अगले दिन 21 फरवरी को मणिपुरी नृत्य की प्रस्तुति महाराष्ट्र की दर्शना झावेरी, इसी दिन भरतनाट्यम की प्रस्तुति महाराष्ट्र की ही डा. संध्या पुरेचा तथा छाउ नृत्य की प्रस्तुति झारखंड के शशधर आचार्य देंगे। इसके अगले दिन यानी 22 फरवरी को नृत्य प्रदर्शनों की शुरुआत कुच्चिपुड़ी नृत्य से होगी और इसकी प्रस्तुति तेलंगाना की दीपिका रेड्डी देंगी। इसके बाद इसी दिन केरल की गायित्री मधुसूदन मोहिनीअट्टम और केरल के ही सदानम के. हरिकुमार कथकली नृत्य का परफोर्मेंस करेंगे।
23 फरवरी के नृत्य प्रदर्शनों की शुरुआत मध्य प्रदेश की पलक पटवर्धन द्वारा कत्थक की प्रस्तुति से होगी तो उसके बाद ओडिसा के प्रर्वत कुमार सोइन ओडिसी और दिल्ली की अदिती मंगलदास इस दिन का समापन कथक की प्रस्तुति से करेंगी। सभी समारोह शाम के 6:30 बजे शुरु होंगे। 24 फरवरी को दिल्ली की भारती शिवानी, मोहिनीअट्टम की प्रस्तुति देंगी तो दिल्ली की ही शोभना नारायण कत्थक और ओडिसा के रविकांत महापात्र ओडिसी की प्रस्तुति से दिन में नृत्य कार्यक्रमों का समापन करेंगे। 25 फरवरी की शुरुआत मध्य प्रदेश की कामना नायक, भरतनाट्यम से, असम के गुरु जतिन गोस्वामी, सत्रिया और पश्चिम बंगाल की गुरु कलावती बिंबावती देवी, मणिपुरी की प्रस्तुति के साथ इस दिन के सत्र का समापन करेंगी। 26 फरवरी और इस अंतर्राष्ट्रीय नृत्य समारोह में आखिरी दिन की शुरुआत महाराष्ट्र के पीयूष राज- सुनील संकरा द्वारा दी जाने वाली कत्थक नृत्य की प्रस्तुति से होगी और महाराष्ट्र की ही मीनाक्षी शेषाद्री और दिल्ली के राजा रेड्डी के कुच्चिपुड़ी प्रस्तुति के साथ समारोह का समापन होगा।
इस बेहद भव्य और कलाओं के विख्यात महोत्सव में नृत्य प्रस्तुतियों के साथ साथ हर दिन कला वार्ताएं, कला प्रदर्शनियां, व्याख्यान, संवाद, सहप्रदर्शन, नाद, चित्रकथन, रूपकंर कलाकृतियों की प्रदर्शनी, सृजन, हुनर और संवाद की एक से एक बढ़कर प्रदर्शनियां साथ-साथ चलेंगी।
स्वाद में देशभर के व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है। हुनर के तहत पारंपरिक शिल्पों के प्रदर्शन और उनका अवलोकन तथा विक्रय किया जाता है। जबकि सृजन दीर्घा में पारंपरिक शिल्प निर्माण तकनीक का प्रदर्शन होता है, रूपंकर दीर्घा में मध्य प्रदेश राज्य, रूपंकर कला पुस्कार में चयनित कलाकृतियों की प्रदर्शनी होती हैं तो चित्रकथन दीर्घा में नृत्योत्सव का सजीव चित्राकंन किया जाता है। जैसा कि हम जानते हैं, नाद भारतीय लोक एवं शास्त्रीय संगीत में सबसे ज्यादा अनुभूत की जाने वाली ध्वनि है। खजुराहो नृत्य समारोह के दौरान नाद दीर्घा में भारतीय लोक एवं शास्त्रीय संगीत में उपयोगी वाद्यों की प्रदर्शनी होती है। व्याख्यान और संवाद सहप्रदर्शन मंडप में विभिन्न कला विषयों पर व्याख्यान और उन व्याख्यानों पर प्रश्नों का सत्र चलता है। प्रणाम दीर्घा में किसी वरिष्ठ नर्तक या नृत्यांगना को समर्पित होता है। इस साल वरिष्ठ भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्म विभूषण डा. पद्मा सुब्रमणयम, जीवन एवं कला अवदान पर एकाग्र प्रदर्शनी आयोजित की जायेगी। इस तरह एक सप्ताह का यह अंतर्राष्ट्रीय खजुराहो नृत्य महोत्सव महज नृत्य उत्सव नहीं है। यह समस्त कलाओं का महोत्सव है। यहां सारी कलाएं मिलकर उत्सव मनाती हैं और इनके दर्शक, श्रोता, सहभागी, हर पल इस सांस्कृतिक वर्षा से सिंचित और समृद्ध होते हैं। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर