मुझको ठंड लग रही है!

पूरे भारतवर्ष में शीत लहर का कोप जारी है। सर्द मौसम कहीं कम, तो कहीं ज्यादा है। ऐसे ठंडे मौसम में नहाना किसी कसरत से कम नहीं लगता है मुझे। कंपकंपी के दिनों में बचपन के वे बुरे दिन यद आते हैं, जब मां पकड़-पकड़कर और रगड़-रगड़कर नहलाती थी। मैं तो बद्दुआ देता हूँ उनको जिन्होंने जाड़े में भी नहाना अनिवार्य बनाया होगा। मेरा बस चले तो ठंड और बारिश के मौसम में नहाने पर प्रतिबंध लगवा दूं। जिस शब्द में पहले ‘न’ और आखिर में ‘ना’ है, उसे ये ज़ालिम दुनियावाले ‘हा’ में बदलने पर क्यों तुले हुए रहते हैं।
श्रीमती जी ने रात को फरमान जारी कर दिया कि कल मकर संक्रांति के शुभ दिन पर नदी में स्नान करने से और दान करने से पुण्य मिलता है। कल रविवार आपके छुट्टी का दिन है। सुबह-सवेरे नदी पर नहाने चलते हैं। अब पत्नी को कौन समझाए कि दान का तो दिल खोलकर समर्थन करता हूँ। लेकिन नदी में नहाने की कल्पना मात्र से कांपता-घबराता-डरता हूँ। जाड़े के दिनों में गर्म पानी उपलब्ध न हो तो नहाना टाल जाता हूँ। सर्दियों में जब मैं ठंडे पानी के संपर्क में आता हूँ तो थरथराने लगता हूँ। मुख स्नान जैसे-तैसे कर लेता हूँ। ठंड से एलर्जी के कारण मैंने तैरना भी नहीं सीखा। मैंने बड़ी हिम्मत दिखाते हुए पत्नी को जवाब दिया, ‘कल मैं आराम से उठूंगा। घर पर ही नहाकर पुण्य कमा लूंगा।’ श्रीमती जी को ना सुनने की आदत नहीं। हमेशा की तरह भड़ास निकालते हुए कहा, ‘विवाह से पहले तो बड़ी डींगें हांकते थे कि मैं भी हमेशा ठंडे पानी से ही नहाता हूँ। अब मैं तुम्हारी एक न सुनूंगी, नदी पर चलना ही होगा।’ अब श्रीमती जी को कौन समझाए कि वो तो तुम्हें प्रभावित करने के लिए बोला गया सफेद झूठ था। वैसे आपको बता दूं कि मेरी पत्नी पूरे 365 दिन ठंडे पानी से नहाती है। भगवान ने स्त्री होने के बावजूद उसे गेंडे जैसी सख्त चमड़ी दी है और मुझे पुरूष होने पर भी नर्म, नाज़ुक शरीर दिया है। रात भर करवटें बदलता रहा। कंपकंपा देने वाली ठिठुरन सारे शरीर में जमने लगी। रजाई, कंबल भी ठंडे लग रहे थे। ऐसा लग रहा था कि सुबह नदी में नहाकर कुल्पी न बन जाऊं!
मैंने सुना है कि युरोप के कई देशों में जहां ज़बरदस्त जाड़ा रहता है। बर्फबारी होती है। सुरज भैया के महीनों तक दर्शन तक नहीं हो पाते हैं, वहां लोग रोज़ाना नहीं नहाते हैं। ऐसा कोई ‘दुस्साहसी’ मिल जाए तो उसकी खबर अखबार में छपती है। मुझे तो विश्वास है लेकिन मेरी पत्नी इसे मनगड़ंत मानती है। पिछले वर्ष हापुड़ में 9 साल के बच्चे ने हेल्पलाइन पर फोन करके पुलिस को अपने घर बुलाया था। बच्चे ने पुलिस से शिकायत करते हुए बताया कि उसके माता-पिता उसे नहलाने के लिए जोर- ज़बरदस्ती कर रहे हैं। उस बच्चे को तो पुलिस ने बचाया होगा। लेकिन मुझ बदनसीब को नदी पर जाकर नहाने से बचाने कौन सा फरिश्ता आएगा? 

-गांधी नगर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र 
मो. 9421216288

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