तीसरे बड़े युद्ध की सम्भावना
विगत दिवस अमरीका के राष्ट्रपति भवन व्हाइट हाऊस के ‘ओवल आफिस’ में डोनाल्ड ट्रम्प और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदीमीर ज़ेलेंस्की के मध्य रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को लेकर जो टकरावपूर्ण बैठक हुई है, उसने एक बार फिर विश्व भर को बड़े आश्चर्य और चिन्ता में डाल दिया है। यह बैठक इस पृष्ठ-भूमि में हुई है कि अमरीका की रिपब्लिकन पार्टी द्वारा बने नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पूर्व जो बाइडन सरकार की नीतियों में बड़े बदलाव कर दिए हैं। उन्होंने कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध में अमरीका और भारी नुक्सान नहीं उठा सकता। तीन वर्ष के युद्ध में वह यूक्रेन को दी गई आर्थिक और सैन्य सहायता के रूप में 31 लाख करोड़ रुपए का खर्च उठा चुका है। अपने चुनाव अभियान के दौरान भी उन्होंने बार-बार यह कहा था कि वह सत्ता में आने के बाद कुछ समय में ही यह युद्ध खत्म करवा देंगे।
आते ही इस संबंध में उन्होंने बयानों की झड़ी लगा दी थी। यह युद्ध 3 वर्ष लम्बा हो चुका है। इसमें यूक्रेन का एक बड़ा हिस्सा तबाह हो चुका है। मृतकों की सही संख्या बताना कठिन है। लाखों यूक्रेन निवासी अन्य देशों में शरण लिए बैठे हैं। रूस ने अब तक यूक्रेन के लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र पर कब्ज़ा कर लिया है, परन्तु यूक्रेन ने हो रही इस बड़ी तबाही के समक्ष घुटने नहीं टेके। इसका एक बड़ा कारण यह रहा है कि अमरीका, कनाडा और आस्ट्रेलिया सहित पश्चिम यूरोप के दर्जनों देशों ने उसकी प्रत्येक पक्ष से खुले दिल के साथ मदद की थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने सत्ता सम्भालते ही युद्ध के प्रति अपना रवैया बदल लिया तथा उन्होंने यूक्रेन को रूस के साथ युद्ध विराम का निर्देश दे दिया इसके साथ-साथ उन्होंने बड़ी पहल करते हुए रूस के साथ अपने तौर पर ही इस संबंध में बातचीत शुरू कर दी। यूक्रेन सहित उन्होंने इस युद्ध में शामिल सभी सहयोगी देशों के साथ प्राथमिक रूप से भी बातचीत नहीं की। इसी दौरान उन्होंने यूक्रेन को दी गई अमरीकी सहायता के बदले यूक्रेन सरकार को अपने देश के प्राकृतिक स्रोतों संबंधी अमरीका के साथ समझौता करने की मांग भी रख दी।
पहले हिचकिचाहट के बाद स्वयं को बुरी तरह घायल और घिरा हुए महसूस करने के बाद ज़ेलेंस्की ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हो गए, जो मंगलवार को हुई बैठक में किया जाना था। आपसी बातचीत के दौरान ट्रम्प ने ज़ेलेंस्की को यह भी कहा कि वह युद्ध हार रहे हैं, इसलिए रूस के साथ समझौता कर लें। ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन स्थाई शांति चाहता है और इस पर बातचीत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। ट्रम्प ने दबाव डालते हुए कहा कि वह अपने हठ के कारण और लाखों लोगों की जान ़खतरे में डाल रहे हैं और तीसरे विश्व युद्ध को निमंत्रण दे रहे हैं। ज़ेलेंस्की ने फिर कहा कि वह स्थाई शर्तों के अनुसार समझौते के लिए पाबन्द हैं। इस सन्दर्भ में उन्होंने ट्रम्प को वर्ष 2014 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा क्रीमिया पर किए गए हमले संबंधी भी बताया। इस पर दोनों में कड़ी बहसबाज़ी भी हुई और अमरीकी उप-राष्ट्रपति वैनस ने कहा कि ऐसा करके ज़ेलेंस्की राष्ट्रपति और अमरीका का अपमान कर रहे हैं। इसके बाद दोनों देशों में किया जाने वाला उपरोक्त समझौता अधर में ही लटक गया। इस बात की उम्मीद नहीं की जा सकती थी कि अमरीका के राष्ट्रपति द्वारा किसी दूसरे देश के राष्ट्रपति के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाएगा। अमरीकी राष्ट्रपति के ऐसे व्यवहार से ज़ेलेंस्की को इस बैठक से उठ कर जाना पड़ा। इतने विनाशकारी युद्ध संबंधी किए जाने वाले किसी भी सम्भावित समझौते के संबंध में अमरीका की ओर से इस निम्न स्तरीय ढंग से बात करना अमरीकी राष्ट्रपति के लिए शोभनीय नहीं कहा जा सकता।
इसके प्रतिक्रिया स्वरूप अमरीका के मित्र और भागीदार रहे अनेक देशों ने भी इसके बाद ज़ेलेंस्की के साथ डट कर खड़े होने का दम भरा है। इनमें यूरोपीयन आयोग की प्रैज़ीडैंट उरसुला वान भी शामिल हैं, जिन्होंने कहा है कि वह इस समय यूक्रेन के लोगों के साथ खड़ी हैं। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुयल मैक्रों ने रूस को हमलावर करार दिया है। इटली, जर्मनी और स्पेन, लक्ज़मबर्ग, पोलैंड, फिनलैंड, स्वीडन ने भी इस बेहद कठिन समय में यूक्रेन के पक्ष में खड़े होने की बात की है। इस तरह के ढंग-तरीके से यह युद्ध खत्म होने वाला प्रतीत नहीं होता, अपितु इससे तीसरा विश्व युद्ध शुरू होने की सम्भावनाएं बनती दिखाई दे रही हैं, जो परमाणु हथियारों के युग में विश्व भर के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है। इस युद्ध को रोकने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर बड़े देशों को एकजुट होकर और अधिक गम्भीरता और परिपक्वता से शीघ्र यत्न करने की ज़रूरत है। इसकी इस समय बड़ी ज़रूरत महसूस हो रही है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द