आतंकवाद का स्थायी समाधान चाहते हैं घाटी के लोग 

पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों द्वारा 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या करने के पीछे दो मुख्य कारण प्रतीत होते हैं। एक, कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करना, क्योंकि पिछले साल कश्मीर में लाखों की तादाद में पर्यटक गये थे और दशकों के आतंकवाद के बाद घाटी की आर्थिक स्थिति पटरी पर आने लगी थी। दूसरा, यह कि आतंकी व सीमा पार बैठे उनके आका चाहते थे कि पूरे भारत में सांप्रदायिक हिंसा फैल जाये, गृह युद्ध जैसी स्थिति हो जाये। इसलिए उन्होंने पर्यटकों के नाम व धर्म पूछ कर उन पर गोलियां चलाईं। आतंकियों के इन नापाक मंसूबों को ध्वस्त करने व मुंहतोड़ जवाब देने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि पूरे देश में सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखा जाए। इस संदर्भ में सराहनीय व प्रेरणादायक काम अभिनेता अतुल कुलकर्णी ने किया है। जब उन्होंने देखा कि पहलगाम हमले के बाद कश्मीर के लिए ट्रेवल बुकिंग लगभग 90 प्रतिशत कम हो गई है, वह भी पीक सीजन में, तो वह 27 अप्रैल, 2025 को पहलगाम पहुंच गये। उन्होंने कहा कि कश्मीर हमारा है, हम यहां आयेंगे। बड़ी तादाद में आयेंगे।
इसमें कोई दो राय नहीं कि पहलगाम में सुरक्षा में चूक हुई, जिसे सर्वदलीय बैठक में सरकार ने स्वीकार भी किया है, लेकिन इस दुखद घटना से एक बात अवश्य साबित हुई है कि कश्मीर बदल गया है। कश्मीरियों ने अपनी जान पर खेलकर पर्यटकों को सुरक्षा प्रदान करने की कोशिश की, जिसमें एक घोड़ा चालक सैयद आदिल हुसैन शाह की जान भी चली गई, जब उसने एक आतंकी से उसकी राइफल छीनने की कोशिश की थी। 
कश्मीरियों ने न सिर्फ पर्यटकों के लिए अपने दिल व घर के दरवाज़े खोले, बल्कि उन्हें अपनी पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थानों की तरफ  लेकर भागे। टैक्सी चालकों व होटल मालिकों ने पर्यटकों से पैसे नहीं लिए और उन्हें सुरक्षित उनके घर पहुंचाने की व्यवस्था की। देखने वाली बात यह भी रही कि आतंकवाद व पाकिस्तान का विरोध करने के लिए बहुत बड़ी तादाद में कश्मीरी सड़कों पर उतरे। इस तथ्य को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी पहलगाम हादसे की निंदा करने के लिए 28 अप्रैल, 2025 को बुलाये गये जम्मू-कश्मीर विधानसभा के विशेष सत्र में स्वीकार किया। ऐसा पिछले चार दशक में पहली बार देखने को मिला जबकि कुछ जानकारों का कहना है कि 1948 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है।  
कश्मीरियों ने आतंक व पाकिस्तान को अपना जवाब दे दिया है। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने एक स्वर में पहलगाम घटना की निंदा की है। नेशनल कांफ्रैंस के प्रमुख फारुक अब्दुल्ला चाहते हैं कि अब ऐसी कार्रवाई हो कि पहलगाम जैसी घटना दोबारा हो ही न। इस दुखद घटना कांग्रेस सहित देश के सम्पूर्ण विपक्ष ने अपनी भूमिका ज़िम्मेदारी से निभायी है, इस पर राजनीति न करके सरकार के फैसला का पूर्ण समर्थन करने का वायदा किया है।
आठ साल (2014 से 2021) में राज्य में निवेश ने कभी भी 900 करोड़ रुपये को स्पर्श नहीं किया था, लेकिन 2022-23 में वह 2,150 करोड़ रुपये से पार कर गया और पिछले वित्त वर्ष में 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंचा। लोगों की आय में वृद्धि हो रही थी, रोज़गार के नये अवसर उत्पन्न हो रहे थे। लेकिन पहलगाम के कारण भविष्य पर काले बादल छा गये हैं। रिपोर्टों के अनुसार उक्त घटना के बाद लगभग 90 प्रतिशत पर्यटक बुकिंग रद्द कर दी गई हैं। एक होटल एसोसिएशन का कहना है कि केवल अगस्त माह की 13 लाख बुकिंग रद्द हुई है। पर्यटन ही जम्मू-कश्मीर का सबसे बड़ा उद्योग है, जो उसकी आय का लगभग 8.5 प्रतिशत हिस्सा प्रदान करता है। 2021 से 2024 में जम्मू में आने वाले पर्यटकों में लगभग 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि कश्मीर में 425 प्रतिशत का इजाफा हुआ यानि 6.7 लाख से 35 लाख। विदेशी पर्यटक की संख्या भी 1,614 (2021) से बढ़कर 43,654 (2024) हुई। इसलिए केन्द्र व राज्य सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिएं जिससे कश्मीर भारत का प्रमुख पर्यटक स्थल बना रहे और देशी तथा विदेशी पर्यटक इसकी ओर आकर्षत होते रहें। 
यह अच्छी बात है कि कुछ पर्यटकों ने पहलगाम लौटने का साहस दिखाया है। कश्मीरियों ने हमले की निंदा करके बता दिया है कि वे उनके शुभचिंतक हैं। अगर सरकार सुरक्षा व्यवस्था को चाकचौबंद कर दो पर्यटक पुन: बड़ी तादाद में कश्मीर पहुंचने लगेंगे।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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