एक ऐसी मछली जो बदलती है अपना रंग

क्या आप जानते हैं कि संसार में एक मछली ऐसी भी पायी जाती है जो अपने शिकार को मूर्ख बनाने के लिए अपना रंग बदलती रहती है। यह बात सुनने में भले थोड़ी अटपटी लग रही होगी और यह बात सुनकर आपको हैरान होने की भी ज़रुरत नहीं है बल्कि यह बात बिल्कुल सत्य है।
आइए, जानते हैं आखिर वह कौन-सी मछली है जो समय-समय पर अपना रंग बदलती रहती है और यह मछली रहती कहां है। वैसे तो गहरे समुद्र की पानी में कई प्रजातियों की मछलियां रहती है। इन सभी की अपनी-अपनी विशेषताएं भी होती हैं। लेकिन हम जिस रंग बदलने वाली मछली की बात कर रहे हैं वह समुद्र में पायी जाने वाली ‘एंगलर’ मछलियों की एक जाति है-‘फ्रागफिश’। इनकी यह विशेषता है कि ये अपना रंग बदलती रहती है। कुछ इनमें पीले रंग की होती है, जो अपना रंग बदलकर ईंटों जैसी लाल भी हो जाती है। इनके मुंह में शिकार को पकड़ने के लिए कांटा लगा रहता है। ‘एंगलर’ की एक और जाति भी है जिसे ‘चमगादड़’ जाति कहते हैं। इनके पास शिकार पकड़ने का कांटा होता है, पर वह कांटा मुंह के अंदर ऊपरी हिस्से के एक ट्यूब में छिपा रहता है। शिकार पकड़ते समय ये उसे बाहर निकाल लेती है। ‘एंगलर’ फिश गहरे एवं छिछले दोनों तरह के पानी में मिलती है, पर बल्व उन्हीं के सिर पर होता है, जो गहरे समुद्र में होती है।
वैसे तो ‘एंगलर’ मछलियों की सारी जातियों में एक आश्चर्यजनक बात यह है कि नर एंगलर बहुत छोटी होती है। इनमें सबसे अनोखी बात यह है कि नर उम्र भर मादा के साथ चिपका रहता है। धीरे-धीरे एक समय ऐसा आता है कि नर-मादा के शरीर से हमेशा के लिए जुड़ जाता है, यानी पूर्ण रुप से पराश्रयी हो जाता है। जो कुछ मादा खाती है वही नर को मिलता रहता है। नर मात्र जनन-उतकों (टिशूस) का पुंज बनकर ही रह जाता है।
‘एंगलर’ मछलियों के लिए तैरना कठिन होता है। इसलिए वह बड़ी मुश्किल से ये धीरे-धीरे हिलती हैं।
 जबकि इनके दांत बहुत तेज़ और अंदर की ओर मुड़े होते हैं, जिनसे ये शिकार को बड़े मजे से चबा जाती है। मजे की बात तो यह है कि अपना शिकार ढूंढ़ने के लिए यह अपना रंग बदलते रहते हैं, ताकि अपने शिकार को आसानी से अपना खुराक बना सके। यह जानकर हैरानी होगी कि ‘एंगलर’ मछली का जीवन भर एक ही उद्देश्य है- ‘खाना’ और अपनी भूख मिटाने के लिए ये अक्सर अपने शिकार को बेवकूफ बनाने के लिए अपना रंग बदलती है। मो-9835053651

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