बदसूरत मोड़
पिछले दिनों अनिल गर्ग अपने एक परिचित विजय चौहान से मिलने उनके घर गए तो वे अपनी कॉलोनी के गेट पर ही मिल गए। कहने लगे कि सामने की दुकान से कुछ सामान लाना है। आओ आप भी चलो अभी पांच-दस मिनट में वापस आ जाएंगे और फिर आराम से घर चलकर चाय-वाय पीएंगे। अनिल गर्ग भी विजय के साथ हो लिए। दुकान पर पहुंचने से पहले कुछ दूर से अनिल गर्ग ने देखा तो दुकानदार का चेहरा कुछ परिचित-सा लगा। ‘ओह तो इस हज़रत की दुकान यहां पर है,’ अनिल गर्ग ने मन ही मन कहा। अनिल गर्ग उससे रूबरू नहीं होना चाहते थे इसलिए एक बहाना करके थोड़ा आगे चले गए और जब विजय सामान खरीदकर दुकान से बाहर आ गए तो उसके साथ उसके घर आ गए। घर पहुंचकर चाय वगैरा ली। चाय पीने के बाद विजय ने अनिल गर्ग से पूछा, ‘एक बात बताओ अनिल इस नालंदा स्टोर वाले पिंकू गुप्ता से क्या झगड़ा है आपका?’ अनिल गर्ग के ‘कुछ भी नहीं’ कहने पर विजय कहने लगा, ‘मुझसे तो बहुत बुराई कर रहा था आपकी। गालियां निकाल रहा था आपको। बता यार बात क्या है?’ विजय के कई बार कहने पर अनिल गर्ग को उसे वास्तविकता से अवगत करवाना ही पड़ा।
पिंकू गुप्ता कभी अनिल गर्ग के यहां किराए पर रहा करता था। मकान उसकी पत्नी ने अपने नाम से लिया था। उसकी पत्नी किसी प्राइवेट ऑफिस में नौकरी करती थी। जब मकान किराए पर लिया था तो एक महीने का किराया और दो महीने के किराए के बराबर सिक्योरिटी डिपॉज़िट देते समय उसकी पत्नी ने अनिल गर्ग से कहा कि भाई साहब, ये जो सिक्योरिटी डिपॉज़िट है न मैं अपने पास से दे रही हूँ। इस बारे में उन्हें मत बताना नहीं तो वे मुझे ये पैसे वापस नहीं करेंगे। पूछें भी तो कह देना कि सिक्योरिटी डिपॉज़िट अभी देना है। यदि वे खुद ये पैसे देने आएं तो आप ले लेना और मुझे लौटा देना लेकिन इस बात की नौबत ही नहीं आई। एक साल के बाद पिंकू गुप्ता की पत्नी बीमार हो गई और दुर्भाग्य से अपने छोटे-छोटे बच्चों को रोता-बिलखता छोड़कर इस संसार से विदा हो गई। पिंकू गुप्ता का बुरा हाल था। काम करे या बच्चों को संभाले। पत्नी की मौत के कुछ दिन बाद पिंकू गुप्ता अनिल गर्ग के पास आया और रोने लगा। कहने लगा कि मेरी आमदनी बहुत कम है इसलिए मुझे कोई सस्ता मकान किराए पर लेना पड़ेगा।
अनिल गर्ग का मकान बीस हज़ार रुपए महीने के किराए पर था। उसकी परिस्थितियों के कारण अनिल गर्ग को पिंकू गुप्ता से बहुत सहानुभूति हो गई थी अत: कहा, ‘भाई जैसा ठीक समझो कर लेना। यदि इसी मकान में रहना चाहो तो कुछ कम किराया दे दिया करो।’ पिंकू गुप्ता ने कहा कि वो हर महीने दस-बारह हज़ार रुपए से ज्यादा नहीं दे सकता। थोड़ा समझाने पर वो पंद्रह हज़ार रुपए महीना देने पर सहमत हो गया। अगले महीने कुछ विलंब से वो किराए के पंद्रह हज़ार रुपए दे गया लेकिन उसके बाद उसने किराया देना बंद कर दिया। कहने लगा कि हमें ये मकान खाली करना है। उसे किराए पर एक सस्ता-सा मकान मिल भी रहा था लेकिन फिर भी वहां जाने का नाम नहीं ले रहा था। जब इस स्थिति में दो महीने निकल गए तो एक दिन अनिल गर्ग ने कहा, ‘भाई यदि आगे यहीं रहना है तो पिछले दो महीने का किराया दे दो।’ ये कहने पर पिंकू गुप्ता ने कहा कि हम कल ही ये मकान खाली कर रहे हैं। अगले दिन जब वो अपना पूरा सामान ले जाने के बाद चाबी लौटाने आया तो अनिल गर्ग ने कहा कि आओ हिसाब कर लेते हैं। ये सुनते ही वो चीखने-चिल्लाने लगा। कहने लगा कि मेरा तो घर बर्बाद हो गया और तुम्हें पैसों की पड़ी है। तुम्हारा दो महीने का किराया बाकी है, मैं रखूंगा नहीं। जब मेरे पास होंगे दे जाऊंगा।
अनिल गर्ग फिर भी सहज ही बने रहे और पिंकू गुप्ता से कहा, ‘भाई, तुम्हें कुछ नहीं देना है। तुम्हारे सिक्योरिटी डिपॉज़िट के चालीस हज़ार रुपए हमारे पास हैं।’ वैसे तो दो महीने का किराया चालीस हज़ार रुपए ही बैठता था लेकिन अनिल गर्ग अपने वचन की प्रतिबद्धता के कारण दो महीने का किराया तीस हज़ार रुपए ही पिंकू गुप्ता से लेना चाहते थे। बत्तीस सौ रुपए उस महीने के बिजली के बिल के बाकी थे अत: अनिल गर्ग ने उसे छह हज़ार आठ सौ रुपए लौटा दिए। पिंकू गुप्ता ने पैसे झपटते हुए कहा, ‘तुम झूठे हो, बेईमान हो। तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया कि तुम्हारे पास हमारे चालीस हज़ार रुपए जमा हैं।’ उसकी अमर्यादित भाषा और उसका चीखना-चिल्लाना बता रहा था कि उसकी धूर्तता असफल हो गई थी। वास्तव में उसे पता ही नहीं था कि सिक्योरिटी डिपॉज़िट के चालीस हज़ार रुपए अनिल गर्ग के पास जमा हैं। वो तो बस किसी तरह से आखिरी के दो महीनों का किराया लेकर भागना चाहता था लेकिन अपनी पुण्यात्मा पत्नी और अनिल गर्ग के कारण वो इस कलंक से बच गया था। अनिल गर्ग चाहते तो उसे सिक्योरिटी डिपॉज़िट के बारे में न बताकर, उसका दो महीने का किराया माफ करके, उसे यूँ ही जाने देते और अपनी फराखदिली का ढोल पीटते रहते। हां, पिंकू गुप्ता इस काल्पनिक एहसान के बोझ से दबकर जीवनभर सिर नहीं उठा पाता, लेकिन अपनी नकारात्मकता के कारण वो इस अनुकूल स्थिति को भी सही मोड़ नहीं दे पाया।
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