भोजन में स्वाद बढ़ाये, सुगंध मिलाये तेजपत्ता

ऐसी कोई रसोई नहीं होगी जिसमें गृहिणी अपने मसालेदानी में लौंग, इलायची, सौंफ के साथ तेजपत्ता न रखे। पुलाव, दम आलू और बंगाली व्यंजन पायेश की महक बिना तेजपत्ते के अधूरी होती है। तेजपत्ते को बोटेनिकल भाषा में लॉरेस नोबिल्स कहा जाता है। इसकी लंबाई 3 इंच तक होती है, यह दिखने में हरा और चमकदार होता है। हमेशा हरे रहने वाले तमाल वृक्ष के पत्ते, जिन्हें संस्कृत में तमालपत्र कहा जाता है, बोलचाल की भाषा में इसे तेजपत्ता या तेजपात भी कहा जाता है। 
किस्में : इसकी तीन किस्में पायी जाती हैं- कैलीफोर्निया तेजपत्ता- इसकी पत्तियां, भूमध्यसागरी तेजपत्ते के समान होती हैं, लेकिन इनका स्वाद ज्यादा कड़क होता है। भारतीय तेजपत्ते का स्वाद और खुश्बू दालचीनी जैसी होती है। इंडोनेशियाई तेजपत्ता- यह आमतौर पर इंडोनेशिया से बाहर इस्तेमाल नहीं होता, वहां इस जड़ी बूटी को मांस और सब्जियों में इस्तेमाल किया जाता है। हमारे देश में यह सिक्किम, हिमालय, मणिपुर और अरूणाचल प्रदेश में पैदा होते हैं। तमाल वृक्ष के पत्तों को तोड़कर सुखाकर बेचा जाता है। इसका स्वाद तीखा होता है, यह उष्ण, चिकना और तैलीय होता है। आयुर्वेद में इसका काफी इस्तेमाल किया जाता है। 
इतिहास : तमाल वृक्ष को सदियों से उगाया जा रहा है। इसके पेड़ ठंडी जलवायु में नहीं पनपते। यूरोप और उत्तरी अमरीका में सदियों से पाक क्रिया में इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल होता आ रहा है। तेजपत्ते से सुगंधित तेज यूजेनोल निकाला जाता है। वहां इसका इस्तेमाल सूप, मांस, समुद्री भोजन और सब्जियों के व्यंजनों में किया जाता है।
औषधीय महत्व : पाचन से जुड़े रोग में चाय में तेजपत्ते का इस्तेमाल करके कब्ज, एसिडिटी या मरोड़ से मुक्ति पा सकते हैं। इसका इस्तेमाल टाइप-2 डायबिटीज में करना फायदेमंद होता है। यह हमारे शरीर में ब्लड शुगर को सामान्य बनाये रखता है और दिल की कार्यप्रणाली पर सकारात्मक असर डालता है। किडनी के स्टोन और किडनी से जुड़ी समस्याओं के लिए तेजपत्ते का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। यह एक दर्दनिवारक है। दर्द प्रभावित जगह पर इसके तेल की मालिश करने से फायदा पहुंचता है। सिर में दर्द हो तो इसके तेल की मसाज करनी चाहिए। यह अल्जाइमर, बांझपन, खांसी-जुकाम, जोड़ों के दर्द, ठंड लगने जैसे अनेक रोगों में उपयोगी होता है। 
तेजपत्ते की फल और पत्तियों से मिलने वाले तेल में सिनोल, जिरेनोल होता है, इसकी महक बहुत तीखी होती है। इसके फल से निकलने वाले तेल से जोड़ों के दर्द और मांसपेशियों की ऐठन को कम किया जा सकता है। इसके तेल का इस्तेमाल इत्र और साबुन बनाने में भी किया जाता है। 
भोजन परोसने के बाद : अपनी रसोई में भोजन पकाने में अगर तेजपत्ते का इस्तेमाल किया जाता है तो इन्हें पूरे पत्तों के रूप में ही डाला जाता है और भोजन परोसने से पहले इसे हटा दिया जाता है। कई व्यंजनों में तेजपत्ते को खाना पकाने से पहले कुचला या पीसा जाता है। कुचलकर तेजपत्ता जब डाला जाता है तो वह ज्यादा खुश्बू देता है, लेकिन उन्हें पके भोजन से हटाना मुश्किल होता है इसलिए एक मलमल के बैग या चाय की थैली में रखकर इसका इस्तेमाल किया जाता है। अगर इसे बिना निकाले भोजन परोस दिया जाता है तो चबाने पर यह स्वाद में कड़वा लगता है और मुंह में चुभता है, इसलिए जिस भोजन में इसे डाला जाये, परोसने से पहले इसे निकाल देना चाहिए। क्योंकि इसे भोजन का स्वाद और सुगंध बढ़ाने के लिए ही इस्तेमाल किया जाता है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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