चुस्कियां चाय की!

अंग्रेजों ने आज़ादी सौंपने से पूर्व हमें जिन अच्छी आदतों से अवगत कराया, उसमें प्रमुख है चाय! हम हिंदुस्थानियों के लिए चाय पीना-पिलाना, आन-बान-शान-मान-पहचान का प्रतिक बन चुकी है। देश के हालात ऐसे हैं कि पानी के बाद सबसे ज्यादा पिए जाने वाला पेय का सम्मान चाय ने हड़प लिया है। आईये चाय की चुस्कियां चढ़ाने वाले चहेतों की चर्चा करते हैं।
चाय पीने का सबका तरीका-सलीका, अलग अंदाज़ होता है। कोई सुबह-सवेरे उठते ही दंतमंजन करने के बदले, सिर्फ कुल्ला करके पूरी शान-शौकत से बेड टी पीना पसंद करता है। अगर कोई ऐसी अशिष्ट कार्यपद्धति पर उंगली उठाता है तो सामने से तुरंत जवाब के बदले रेडीमेड सवाल दागा जाता है, शेर को कभी दातों पर ब्रश करते देखा है? प्रश्नकर्ता उन्हें जानवर मानकर चुप्पी साध लेता है। किसी के नथुनों में जब तक चाय की सौंधी सुगंध नहीं आती, तब तक उनकी आंखें खुलने का सवाल ही नहीं पैदा होता। कुछ लोग तब तक चाय नहीं गटकते, जब तक अखबार नहीं आता। अखबार पढ़ते हुए चाय के सिप इस तरह आहिस्ता-आहिस्ता लेते हैं, मानों चाय पीकर पूरे देश पर कोई उपकार कर रहे हैं। कुछ लोग एक कदम आगे बढ़ाकर, चाय पीकर, अखबार लेकर सीधे गुसलखाने में घुस जाते हैं। कई लोग तब तक चाय नहीं चढ़ाते जब तक घर का लैट्रीन खाली नहीं मिलता। क्योंकि चाय पीने के बाद ही उन्हें प्रेशर आता है। इसलिए उनके लिए लाइन क्लिअर होनी आवश्यक है।
कुछ अतिथि आते ही रिश्तेदारों पर रौब झाड़ते हुए कहेंगे कि मैं तो सुबह की पहली चाय बड़े वाले कप में ही पीता हूँ। ऐसी फरमाईश करने वालों को नि:संदेह घर पर छोटे कप में ही चाय मिलती होगी, ये उसकी भरपाई दूसरों के घर पर करते हैं। कुछ मेहमान बताते हैं कि मैं रोज़ाना सुबह उठते ही एक कप चाय पीता हूं। फिर स्नान करने के उपरांत दूसरा, अंतिम और तीसरा कप नाश्ते के बाद। ऐसी मांगे सुनकर लगता है कि वे चाय की नहीं, किसी डाक्टरी  डोज़ की बात कर रहे हैं। एक अतिथि चाय प्रेम से लबालब रहते थे। कई ऐसे भी होते हैं जो बातों-बातों में अधिकारपूर्वक इशारा करते हैं कि मैं तो हमेशा कड़क चाय, इलायची और अदरक वाली ही पीना पसंद करता हूँ। 
एक मेहमान ने दोपहर के भोजन बाद चाय की मांग कर डाली। हम सभी सकते में आ गए। बड़ी हिम्मत करके उनसे पूछा, दोपहर को चाय कौन पीता है भाई? जब नाश्ता करने के बाद हर कोई चाय पीता है तो फिर दोपहर के भोजन बाद क्यों नहीं? उन्होंने मुस्कुराकर जवाब देने के बदले हमसे ही सवाल पूछकर, हमें निरुत्तर कर दिया। उन्होंने हमें ज्ञान देते हुए बताया कि रात के तीन बजे नींद से जगाकर प्रेमपूर्वक उनसे चाय पूछी जाए तो वे ना नहीं कहते हैं। इसके पीछे उनका तर्क था कि ना कहकर किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए! भगवान बचाए ऐसे चाय के चहेतों से!

-गांधी नगर, कोल्हापुर, महाराष्ट्र 
मो 9421216288

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