पानी को डिस्टिल करता है मुसेल घोंघा

मुसेल एक द्विआवरणधारी समुद्री घोंघा है। मुसेल शब्द लैटिन भाषा के मस्कुलस से बना है। मस्कुलस का अर्थ होता है छोटा चूहा। लेकिन चूहे से इस जीव का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है। मुसेल उत्तरी गोलार्ध के उप उष्णकटिबंधीय और समशीतोष्ण सागरों के अधिकांश तटों पर पाया जाता है। यह भाटे की सीमा में चट्टानों और कीचड़ में पड़े पत्थरों पर भी मिलता है। उत्तरी गोलार्ध के काला सागर से भूमध्य सागर, उत्तर-अमरीका के दोनों तटों और जापान के सागर तटों पर इनकी संख्या बहुत अधिक है। मुसेल आर्कटिक सागर में नहीं मिलता। मुसेल सागर तटों से लेकर 30 फुट तक की गहराई वाले भागों में बहुत बड़ी संख्या में मिलता है। सागर में इतनी बड़ी संख्या में कम घोंघे ही मिलते हैं। मुसेल बहुत बड़े-बड़े झुंडों में रहने वाला जलचर है। एक किलोमीटर लंबी पट्टी में इसके दो-दो करोड़ के झुंड देखे गए हैं। मुसेल कम खारे पानी में भी रह सकता है।  इसकी लंबाई प्राय: 5 सेंटीमीटर से लेकर 12 सेंटीमीटर तक होती है। कुछ मुसेल 5 सेंटीमीटर से भी छोटे होते हैं। मुसेल की अधिकतम लंबाई 22.5 सेंटीमीटर तक हो सकती है। इससे लंबे मुसेल अभी तक नहीं देखे गए। मुसेल का रंग नीला अथवा बैंगनी होता है। कभी-कभी कत्थई रंग के मुसेल भी देखने को मिल जाते हैं। इसका प्रमुख भोजन प्लैंकटन में पाए जाने वाले पौधे एवं मृत जीवों के सड़े-गले मांस के अति सूक्ष्मकण है। इसके साथ ही यह डाइएटम जैसे छोटे-छोटे तैरने वाले सूक्ष्मजीव भी खाता है।  सागर तल पर स्थायी निवास बनाते समय मुसेल की लंबाई आधे मिलीमीटर से लेकर एक मिलीमीटर तक होती है। पांच मिली मीटर का होने पर यह तैरना अथवा घूमना-फिरना कम कर देता है। इसके बाद वयस्क होने पर यह पूरी तरह एक स्थान पर बस जाता है तथा घूमना-फिरना पूरी तरह बंद कर देता है। दो से तीन वर्षों के मध्य इसका आकार 5 सेंटीमीटर तक हो जाता है तथा यह वयस्क एवं प्रजनन के योग्य हो जाता है।  समुद्री जीवों में मुसेल की सबसे बड़ी शत्रु है तारा मछली। यह अपनी एक भुजा मुसेल के आवरण के भीतर डालकर उसके मुलायम शरीर को चूस लेती है। मुसेल बड़ा उपयोगी जलचर है। यह समुद्र के भीतर चट्टानों या इसी प्रकार के ठोस आधारों से चिपकने के लिए एक विशेष प्रकार के धागे के गुच्छे तैयार करता है। यह धागा सोने जैसा चमकीला और बहुत मजबूत होता है। प्राचीनकाल में इससे बहुमूल्य कपड़े तैयार किए जाते थे, जिनका उपयोग अति सम्पन्न लोग करते थे। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

#पानी को डिस्टिल करता है मुसेल घोंघा