अभी तक विपक्ष का नेता नहीं चुन सकी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के छह महीने बाद भी अभी तक कांग्रेस विधायक दल का नेता तय नहीं कर पाई है। कांग्रेस विधानसभा में सबसे बड़ा विपक्षी दल होने के कारण कांग्रेस विधायक दल का नेता ही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष होगा। इस बात को लेकर जहां कांग्रेस को मज़ाक का पात्र बनना पड़ रहा है, वहीं अब कांग्रेस की भारी आलोचना भी हो रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को टिकटों के वितरण से लेकर हर मामले में फ्री हैंड दिया था और प्रदेश में माहौल भी कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रहा था, लेकिन कांग्रेस अपनी गलतियों से सत्ता में आने से वंचित हो गई और भाजपा ने लगातार तीसरी बार प्रदेश में सरकार बना कर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। पिछले चुनाव में भाजपा को 48 व कांग्रेस को 37 सीटें हासिल हुईं जबकि तीन निर्दलीय भी विधायक चुने गए और इनेलो को दो सीटें हासिल हुईथीं। टिकट वितरण में सबसे ज्यादा टिकटें क्योंकि भूपेंद्र हुड्डा समर्थकों को मिली थीं, इसी के चलते सबसे ज्यादा विधायक भी भूपेंद्र हुड्डा समर्थक जीत कर आए थे। विधानसभा चुनाव नतीजों से कांग्रेस आलाकमान खुश नहीं था और हुड्डा के प्रति नाराज हो गया। अब कांग्रेस आलाकमान भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाना चाहता किन्तु ज्यादातर विधायक भूपेंद्र हुड्डा के पक्ष में होने के कारण किसी अन्य के नाम पर सहमति नहीं बन पा रही। विधानसभा चुनाव हुए छह महीने से ज्यादा समय हो चुका है और विधानसभा के दो सत्र भी बिना नेता प्रतिपक्ष के ही निकल चुके हैं।
तय होगा नया कांग्रेस अध्यक्ष
नेता प्रतिपक्ष का निर्णय होने के बाद नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का नाम भी तय होना है। नेता प्रतिपक्ष व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पदों पर जातीय समीकरणों को ध्यान रखा जाना है, इसलिए जब तक नेता प्रतिपक्ष का नाम तय नहीं हो जाता, तब तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का नाम भी तय नहीं हो पा रहा। हरियाणा कांगे्रेस के प्रदेशाध्यक्ष उदयभान अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं और भूपेंद्र हुड्डा के खास विश्वासपात्र हैं। इस बार वह खुद अपना विधानसभा चुनाव हार गए हैं। विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद उन्हें बदला जाना था, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का नाम तय न हो पाने के कारण वह अभी तक अपने पद पर बने हुए हैं। इस कारण कांग्रेस पार्टी की गतिविधियां भी पूरी तरह से ठप्प होकर रह गई हैं। प्रदेश में कांग्रेस की आपसी गुटबाजी के चलते पिछले 11 सालों से पार्टी संगठन का गठन नहीं हो पाया है। कांग्रेस के जिला व हल्का अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी नियुक्त होने तो दूर, अभी तक प्रदेश पदाधिकारी भी तय नहीं हो पाए और लगातार तीसरी बार कांग्रेस की हार का मुख्य कारण भी यही माना जाता है। नेता प्रतिपक्ष सूचना आयुक्त, मुख्य सूचना आयुक्त, सदस्य सेवा अधिकार आयोग व मुख्य आयुक्त सेवा का अधिकार आयोग जैसे अनेक महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों के लिए गठित होने वाली कमेटियों के पदेन सदस्य होते हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का नाम तय न होने के कारण अब कई संवैधानिक पदों पर होने वाली नियुक्यिं भी लटक गई हैं।
23 को गुरुद्वारा कमेटी का चुनाव
हरियाणा सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के लिए पहली बार हुए आम चुनावाें के करीब चार महीने बाद आखिरकार 9 सदस्य नामजद कर दिए गए हैं और नए सदस्यों को शपथ भी दिला दी गई है। लेकिन अभी तक हरियाणा कमेटी के नए अध्यक्ष, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, कनिष्ठ उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव व कार्यकारिणी सदस्यों का चुनाव नहीं हो पाया है। पिछले चुनाव में चुने गए सदस्यों ने मिलकर 9 सदस्य नामजद करने थे। वे सदस्य सर्वसम्मिति से नामजद हो गए हैं। कुल 40 सदस्य वोटों के जरिए पूरे प्रदेश से हरियाणा गुरूद्वारा कमेटी के लिए चुन कर आए हैं और 9 सदस्य नामजद होने के बाद कुल सदस्यों की संख्या 49 हो गई है। नामजद किए गए सदस्यों में हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व कमेटी की धर्म प्रचार समिति के प्रधान जत्थेदार बलजीत सिंह दादूवाल व शाहबाद मारकंडा से बीबी करतार कौर शामिल हैं। गुरुद्वारा कमेटी के पदाधिकारियों का चुनाव करवाने के लिए जगाधरी वार्ड नंबर 9 से कमेटी सदस्य जोगा सिंह को प्रोटेम अध्यक्ष बनाया गया है और उन्होंने अब गुरुद्वारा कमेटी के पदाधिकारियों का चुनाव करवाना है। पदाधिकारियों का चुनाव पहले 21 मई को होना था, लेकिन इसे स्थगित कर दिया गया। अब चुनाव के लिए 23 मई की नई तारीख तय की गई है।
फिर सक्रिय हुए बिश्नोई
हरियाणा का आदमपुर विधानसभा क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भजनलाल परिवार का गढ़ माना जाता रहा है। आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से लगातार 56 सालों तक चुनाव जीतने के बाद चौधरी भजनलाल का परिवार पहली बार पिछला विधानसभा चुनाव हारा है। इस हार से चौधरी भजनलाल परिवार की प्रतिष्ठा व राजनीतिक विरासत को गहरा झटका लगा है। पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भजनलाल के छोटे बेटे और भिवानी व हिसार से सांसद रहे कुलदीप बिश्नाई पिछले विधानसभा चुनाव में लगे इस गहरे झटके से उभरने के लिए प्रदेश की राजनीति में फिर से सक्रिय नजर आने लगे हैं। 1968 में पहली बार आदमपुर से भजनलाल विधायक चुने गए थे और इसके बाद 2024 तक आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से सिर्फ भजनलाल का परिवार ही चुनाव जीतता रहा। आदमपुर से भजनलाल के अलावा उनकी पत्नी जसमादेवी, उनके बेटे कुलदीप बिश्नोई व पौत्र भव्य बिश्नोई भी विधायक बनते रहे लेकिन 56 साल के बाद पहली बार भजनलाल के पौत्र और कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई चुनाव हार गए। भव्य बिश्नोई भाजपा टिकट पर आदमपुर से चुनाव लड़े थे और उन्हें कांग्रेस उम्मीदवार ने चुनाव में हराया। इस हार से भजनलाल परिवार को गहरा झटका लगा। हालांकि भजनलाल के बड़े बेटे व पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन 2024 के विधानसभा चुनाव में पंचकूला विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीत गए थे। अब आदमपुर में चुनाव हारने के बाद भजनलाल का परिवार विशेषकर उनके छोटे बेटे कुलदीप अपनी खोई हुई राजनीतिक जमीन हासिल करने के लिए फिर से सक्रिय हो गए हैं।
हरियाणा में पानी का संकट
हरियाणा में पानी के संकट को लेकर प्रदेश के सभी राजनीतिक दल बेहद सक्रिय हो गए हैं। पंजाब सरकार द्वारा भाखड़ा के पानी मेें कटौती करने के बाद प्रदेश के कई जिलों में पीने के पानी का संकट खड़ा हो गया है। हरियाणा के विपक्षी दल इस मुद्दे पर बेहद सक्रिय हो गए हैं। जेजेपी ने पार्टी अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला व पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व में मंगलवार को इस मुद्दे पर हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को ज्ञापन देने के बाद पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया को भी ज्ञापन दिया और उन्हें हरियाणा के पेयजल संकट बारे अवगत करवाया। अगले दिन बुधवार को इनेलो प्रतिनिधिमंडल ने भी इसी मुद्दे पर अभय चौटाला के नेतृत्व में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मिलकर ज्ञापन दिया। दूसरी तरफ कांग्रेस भी इसी मुद्दे को प्रमुखता से उठा चुकी है। एक तरफ जहां विपक्षी दल जल संकट को लेकर सक्रिय नजर आ रहे हैं, वहीं प्रदेश सरकार भी इस गंभीर मुद्दे की गंभीरता को समझती है और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर पूरे विपक्ष को इस मामले में भरोसे में ले चुके हैं। इसके अलावा प्रदेश की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी और जन स्वास्थ्य मंत्री रणबीर गंगवा ने भी निरंतर विभागीय अधिकारियों की बैठकें करके इस संकट से निपटने के लिए अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि अगर कहीं हालात गंभीर नजर आए तो उसी समय पानी के टैंकरों व ट्यूबवैलों के जरिए स्थिति को नियंत्रित किया जाए ताकि लोगों को परेशानी न हो।
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