जासूसी के नये हथकंडे और स्लीपर सेल

अभी तो यह अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है। यह नारा हिंदी फिल्मों में इतनी बार सुना जा चुका है कि यह अब हक मांगने का लोकप्रिय सांग बन चुका है। लेकिन इसे अगर आतंकवाद के संदर्भ में देखें तो यह उन लोगों पर सटीक बैठता है जो धन और शोहरत के लिए अपने देश से गद्दारी कर रहे हैं। आतंकवाद के मसीहा पाकिस्तान ने आतंकवाद को सुरक्षा देने के लिए आईएसआई के अतिरिक्त तमाम कई ऐसे रास्ते अख्तियार किए हैं, जो उसे मदद करते हैं। इनमें सोशल मीडिया और हनी ट्रेप ऐसे टूल बनकर सामने आए हैं, जो भारत जैसे देश के लिए एक नई मुसीबत पैदा कर रहे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से अब तक एक दर्जन से अधिक जासूस पंजाब, हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश से पकड़े जा चुके हैं।
जब भी भारत ने राष्ट्रविरोधी तत्वों के खिलाफ अभियान छेड़ा है तो ऐसे लोग सामने आए हैं जिनके लिए पैसा ही सबकुछ है, इसके लिए वह कुछ भी कर रहे हैं। हाल में जासूसी के आरोप में पकड़ी गई यू-ट्यूबर ज्योति मल्होत्रा इसका ऐसा शर्मनाक उदाहरण है, जो जयचंद की याद दिलाता है। ज्योति जैसे लोगों की गिरफ्तारी से एक बात यह भी उभरकर सामने आ रही है कि कहीं इस तरह की हरकतें करने वाले स्लीपिंग मॉड्यूल के सहयोगी तो नहीं हैं, जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही तरह से पाकिस्तान को ऐसी सामग्री उपलब्ध करा रहे हैं, जो भारत को हानि पहुंचा सकती है। आज जब सोशल मीडिया के फेसबुक रील तथा यू-ट्यूब शार्ट वीडियो कमाई का जरिया बन रहे हैं तो यह लाइक-सब्सक्राइब के लालच में ऐसी हरकतें कर रहे हों। वैसे इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि आतंकवादियों को सहयोग देने वाले स्लीपिंग मॉड्यूल देश में गुपचुप तरीके से काम कर रहे हैं। इस तरह के 142 व्यक्ति उत्तर प्रदेश में गत आठ वर्षों में गिरफ्तार हो चुके हैं। 
पाकिस्तान प्रत्यक्ष तो आज तक भारत क्या किसी दूसरे देश से भी नहीं लड़ सका, लेकिन उसने सोशल मीडिया या उस जैसे दूसरे टूल का सहारा लेकर खुद को आतंक की दुनिया में जिंदा रखने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। आतंक को सहयोग करने वाले, देश की सूचनाएं लीक करने वाले और ज्योति जैसे रहस्यमयी सोशल मीडिया एडिक्टों की गिरफ्तारी तो ऐसे ही लोगों के लिए एक अंगड़ाई है, उसके जैसे जासूसों को राष्ट्र के भीतर से खोजना आगे और लड़ाई है। 
ज्योति ने क्या किया और कैसे किया यह बात हर नागरिक को उसी सोशल मीडिया से पता चल चुकी है जिसका सहारा लेकर वह आज चर्चित हुई। एक-एक कर उसके विषय में जो बातें सामने आ रही हैं, वह बताती हैं कि किस तरह से पाकिस्तान ने हथियारों के अतिरिक्त दूसरे माध्यमों से भारत को डराने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। खैर! बात पाकिस्तान के उन जासूसों की है, जो आज गली-गली में पनप रहे है और पाकिस्तान को समर्थन देने के लिए कुछ न कुछ कर रहे हैं। एक को पकड़ा जाता है, तो दूसरा सामने आ जाता है। कोई सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ लिखता है तो कोई सेना के मूवमेंट की वीडियो बनाकर रील या शॉर्ट फिल्म के रूप में प्रसारित करता है। कुछ ऐसे समर्थक भी हैं, जो पाकिस्तान द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों को प्रसारित करने के लिए तैयार बैठै रहते हैं। ताजमहल पर हमले का फेक समाचार भी इसी तरह की अफवाहों में आता है। 
जब सरकार स्पष्ट रूप से कह चुकी है कि हमें ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए जो सेना अथवा भारत को नुकसान पहुंचाती हों। इसमें सोशल मीडिया पर कुछ भी डालने से पहले गंभीरता से ध्यान रखें, मूल मंत्र है, इसके बाद भी रोज ऐसे लोग सामने आ रहे हैं जो पाकिस्तान को लाभ पहुंचाने वाली हरकत कर रहे हैं। चिंतनीय बात तो यह है कि जब भारत सरकार ने पाकिस्तान के कई ऐसे माध्यम प्रतिबंधित कर दिए हैं, जो भारत के खिलाफ नफरती माहौल बनाते हैं। तब भी यह सोशल मीडिया एडिक्ट किसी न किसी तरह से उस सामग्री को कैसे ला पा रहे हैं जो किसी भी तरह से देशहित में नहीं है? एक दूसरा प्रश्न यह है कि यू-ट्यूब, इंस्टाग्राम और उस जैसे दूसरे माध्यमों पर कैसे इन नफरती-जासूसों को लाखों की संख्या में सब्सक्राइबर्स मिल जाते हैं। इसके साथ ही चिंता इस बात की भी है कि जिस तरह से ज्योति की गिरफ्तारी के बाद उसके साथ संबंध रखने वाले भी संदेह के घेरे में आ रहे हैं, तो कहीं यह चेन सिस्टम तो नहीं जो पूरे देश में फैलाने का विचार हो। 
वैसे यह एक सबक भी है कि जिस माध्यम से भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करने वाले नेम-फेम पा सके अब उसी माध्यम से उनकी जगहंसाई भी हो रही है। अभी तक सेना और उसके प्रतिष्ठानों की जासूसी, देश की दूसरी सूचनाओं के लिए हनी ट्रैप ही एक ऐसा माध्यम था, जिससे खतरा रहता था। लेकिन अब लगता है कि इस हनी ट्रैप जैसी धोखाधड़ी के बाद अब दूसरे हथकंडे चलन में अधिक आ गए हैं। सोशल मीडिया का माध्यम पाकिस्तान का ऐसा हनी ट्रैप सिस्टम हो सकता है, जो थोड़े से लालच में सोशल मीडिया एडिक्टों को हनी ट्रैप कर रहा हो। जहां तक सोशल मीडिया पर देश विरोधी गतिविधियों पर रोक लगाने की बात है तो यह तभी संभव है, जब हम उस चेन सिस्टम को तोड़ें जो पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां बनाने के लिए हर हथकंडा अपना रही हैं। अब जब हमारे बीच में कोई तो है जो हमारे लिए खतरा हैं, तो हमें खुद ही अपने लिए वह रास्ता चुनना पड़ेगा, जिससे हम किसी भी उन गतिविधियों से बच सकें जो राष्ट्रविरोधी धारा में गिनी जाती है। राजनीतिक विभाजन, सामाजिक विभाजन और धर्म विरोधी सूचनाएं ऐसी जानकारियां हो सकती हैं जो किसी को भी उन सोशल मीडिया एडिक्टों का शिकार बना सकती हैं, जिनकी उन्हें खुद के लाभ के लिए तलाश रहती है,उनसे बचना ही पाकिस्तान को सबक देने का रास्ता भी हो सकता है। 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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