खतरनाक और विषैली होती है मॉरे ईल
मॉरे ईल एक खतरनाक समुद्री मछली है, जो नहाते हुए लोगों, गोताखोरों को मार डालती है। इसके बारे में यहां तक कहा जाता है कि यह पानी में अगर मनुष्य को अकेला पा ले तो उसे कंधों से पकड़ लेती है और घसीटकर पानी के भीतर ले जाती है और तब तक नहीं छोड़ती, जब तक वह मर नहीं जाता। मॉरे ईल के काटने पर बड़े और घातक घाव भी हो जाते हैं।
इसकी लगभग 120 जातियां हैं। अधिकांश जातियों की मॉरे ईलें गर्म सागरों में मूगें की दीवारों के आसपास रहना पसंद करती हैं। यह खुले सागरों में कम मिलती है। इसकी कुछ जातियां विषैली होती हैं। सभी जातियों की शारीरिक संरचना में अंतर होता है। कुछ जातियों की लंबाई 15 सेंटीमीटर होती है जबकि कुछ जातियां 4 मीटर या इससे भी अधिक लंबी होती हैं। इसका सिर और शरीर का अगला भाग शेष शरीर की तुलना में ज्यादा भारी होता है। इसके गलफड़ों की थैली में एक छोटा सा छेद होता है।
मॉरे ईल निशाचर है। यह दिन के समय आराम करती है और रात के समय सक्रिय होती है। यह पेटू मछली है और बहुत अधिक भोजन करती है। यह ऑक्टोपस खाती है। कुछ जातियों की मॉरे ईलें मृत और जीवित दोनों प्रकार के समुद्री जीवों को अपना आहार बनाती हैं। मॉरे ईल को सांस लेने के लिए लगातार मुंह से पानी अंदर लेते रहना पड़ता है, जिसके कारण यह केवल उसी शिकार को अपना आहार बनाती है,जिसे वह सरलता से निगल सके।
मॉरे ईल का समागम और प्रजनन बड़ा रोचक होता है। समागम काल में नर और मादा दोनों के शरीर के रंग अधिक गहरे और चमकीले हो जाते हैं तथा मादा कुछ अधिक मांसल दिखाई देने लगती है। इस समय नर और मादा बहुत अधिक आक्रामक हो जाते हैं तथा मानव के निकट होने पर उस पर आक्रमण कर देते हैं। मॉरे ईल ताजे पानी की ईल के समान प्रजनन हेतु प्रवास नहीं करती। यह प्राय: मूंगे की दीवार के पास कुछ गहराई वाले स्थानों में समागम करती है। मादा मॉरे ईल समागम के बाद नर से अलग हो जाती है तथा शीघ्र ही बहुत बड़ी संख्या में अंडे देती है। इसके अंडों में योल्क की मात्रा बहुत अधिक होती है। कुछ समय बाद मॉरे ईल के अंडे परिपक्व होकर फूटते हैं तथा इनसे लारवे निकलते हैं। इसके नवजात लाखों की लंबाई 5 सेंटीमीटर मीटर से 10 सेंटीमीटर तक होती है एवं ये फीते के आकार के होते हैं।
मॉरे ईल को प्राचीनकाल से ही एक खतरनाक मछली समझा गया। खतरनाक और विषैली होते हुए भी प्राचीनकाल से ही विश्व के अनेक भागों में इसका शिकार किया जाता रहा है और इसका उपयोग भोजन के रूप में किया जा रहा है। हालांकि कुछ जातियां विषैली होती हैं, इसके बावजूद इसका खूब शिकार होता है। कभी कभी यह इतनी आक्रामक हो जाती है, अगर इसे पकड़ लिया जाता है तो यह उल्टा पकड़ने वाले पर ही हमला कर देती है।
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