ट्रम्प की दादागिरी के आगे नहीं झुकेगा भारत

अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने भारत से आने वाली चीज़ों पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ  लगा दिया है, जिससे यह बढ़ कर अब 50 प्रतिशत हो गया है। अनुमान यह है कि इससे टेक्सटाइल, मरीन (समुद्री) व चमड़ा सेक्टर्स के भारतीय निर्यात पर गहरा असर पड़ेगा। ट्रम्प ने यह अतिरिक्त टैरिफ जुर्माने के तौर पर लगाया है, क्योंकि नई दिल्ली ‘प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष’ तौर पर रूस से तेल आयात कर रही है। हालांकि चीन व तुर्की भी रूस से आयात कर रहे हैं, लेकिन ट्रम्प ने अतिरिक्त टैरिफ या जुर्माना केवल भारत पर ही लगाया है। चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ और तुर्की पर 15 प्रतिशत टैरिफ भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ से बहुत कम है। भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रम्प की इस ‘हरकत’ को ‘अनुचित, अन्यायपूर्ण व अतार्किक’ बताते हुए कहा है कि अमरीका द्वारा भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाना दुर्भाग्यपूर्ण है और अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने के लिए भारत सभी आवश्यक कदम उठायेगा। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी स्पष्ट कह दिया है कि हम किसानों के हितों से समझौता नहीं करेंगे। 
ट्रम्प के इस एग्जीक्यूटिव आर्डर के कारण अब से तीन सप्ताह बाद अमरीकी बाज़ार में ब्राज़ील के अतिरिक्त भारत सबसे अधिक टैरिफ वाला विक्रेता बन जायेगा। एक सप्ताह पहले जब ट्रम्प का लहज़ा दोस्ताना से विरोधी जैसा हो गया था, संभवत: उसी समय भारत सरकार ने अंदाज़ा लगा लिया था कि यह सब होने जा रहा है। ट्रम्प ने 8 जुलाई, 2025 को भारत के साथ व्यापार समझौता होने की संभावना पर कहा था, ‘हम भारत से डील करने के बहुत करीब हैं’ और 30 जुलाई, 2025 को उन्होंने 25 प्रतिशत आयात ड्यूटी लगा दी, इस धमकी के साथ कि अनिर्दिष्ट जुर्माना भी लगेगा जिसका अब सस्पेंस खत्म हो गया है। ट्रम्प के तर्कों को समझना नामुमकिन नहीं तो मुश्किल अवश्य है। शुरू से ही अंदाज़ा यह था कि उनके टैरिफ युद्ध का निशाना चीन है। वाशिंगटन का सबसे अधिक गुड्स व्यापार घाटा बीजिंग के साथ ही है। 2024 में लगभग 295 बिलियन डॉलर। एक समय में ट्रम्प ने चीन पर 145 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया था, लेकिन जैसे ही चीन ने जवाब में दुर्लभ पृथ्वी धातुओं की सप्लाई पर रोक लगा दी तो ट्रम्प को समझ आ गई कि ड्रैगन से पंगा महंगा पड़ेगा। 
अब चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ है। अगर ट्रम्प को रूस के तेल से परेशानी है तो चीन व तुर्की भी तो इस तेल के बड़े खरीदार हैं, इसके बावजूद उन पर कोई ‘जुर्माना’ नहीं लगाया गया है। अमरीका खुद भी तो बहुत सी चीज़ें रूस से आयात करता है, लेकिन ट्रम्प का कहना है कि उन्हें इस बारे में ‘कुछ नहीं मालूम’। अजीब राष्ट्रपति है, जो यह भी नहीं जानता कि उसका देश कहां से क्या चीज़ ले रहा है। तभी एक अमरीकी टिप्पणीकार ने कहा कि नासमझ ट्रम्प नहीं हैं बल्कि अमरीका के नागरिक हैं, जिन्होंने एक बार आज़माने के बावजूद ट्रम्प को दोबारा अपना राष्ट्रपति चुना।
शायद ट्रम्प यह सोचते हैं कि तेल राजस्व रोकने से पुतिन वार्ता मेज़ पर आ जायेंगे। चूंकि इस समय ट्रम्प चीन को स्पर्श करने की स्थिति में नहीं हैं व तुर्की नाटो का सदस्य है, इसलिए शायद उन्हें भारत सॉफ्ट टारगेट प्रतीत हो रहा है। लेकिन यही ट्रम्प की बहुत बड़ी गलती है। उन्हें मालूम होना चाहिए कि ‘हम वो नहीं जो डर कर कहते हम हैं ताबेदारों में’। पिछले लगभग 80 वर्षों से भारत का इतिहास रहा है कि वह किसी की दादागिरी के आगे झुकता नहीं है। 1971 में अमरीका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने सातवां बेड़ा भेजने की धमकी दी थी, जिस पर भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि जो करना हो कर लो, हम बांग्लादेश को आज़ाद करवाकर रहेंगे और यही हुआ भी। अब भी भारत ने ट्रम्प की हरकत को ‘अनुचित, अन्यायपूर्ण व अतार्किक’ कहते हुए कहा है कि वह ‘अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठायेगा’।
यहां यह बताना आवश्यक है कि रुसी तेल पर वर्तमान डिस्काउंट इतना कम है कि भारत साल में 2 बिलियन डॉलर से अधिक की बचत नहीं कर पाता है। भारत आसानी से पश्चिम एशिया से तेल ले सकता है, लेकिन उससे जो क्रूड के दामों में वृद्धि होगी, उससे सभी प्रभावित होंगे। इसके अतिरिक्त, अगर भारत दुकानदार बदलेगा भी तो ऐसा ट्रम्प की शर्तों पर नहीं होगा। हालांकि अमरीका से व्यापार समझौते की वार्ता जारी रहेगी, लेकिन भारतीय निर्यातक दबाव में हैं, इसलिए नई दिल्ली को चाहिए कि अन्य देशों से व्यापार समझौतों को वरीयता दे। विदेशी मुद्रा अर्जित करने के लिए भारत को गुड्स निर्यात से इतर भी देखना चाहिए, मसलन पर्यटन की ओर। एक अन्य बात को भी समझना आवश्यक है। नया संसार बहुत अधिक प्रतिरोधी हो गया है। अमरीका व चीन व्यापार के हर पहलू को हथियार बनाने पर तुले हुए हैं। ऐसे में भारत उन पर मिशन-क्रिटिकल टेक्नोलॉजी व प्रोडक्ट्स के लिए निर्भर नहीं रह सकता। 
अत: इस अनिश्चित नये संसार में भारत के लिए आवश्यक है कि वह आत्मनिर्भर बने और सभी देशों से व्यापार समझौते करे तभी ट्रम्प की दादागिरी को मुंहतोड़ जवाब देना आसान होगा। 

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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