समय पर उठाया गया उचित कदम
पंजाब सरकार द्वारा लैंड पूलिंग नीति को वापिस लेने की घोषणा से प्रदेश भर के किसान वर्ग द्वारा एक बड़ी राहत महसूस की जा रही है। विगत कुछ महीनों से इस मामले को लेकर सक्रिय रही राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने भी इस फैसले के प्रति सन्तोष प्रकट किया है। इसी वर्ष 14 मई को सरकार द्वारा इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई थी। उस समय से ही प्रदेश में टकराव का वातावरण बन गया था। किसान संगठनों ने इसके विरुद्ध आन्दोलन शुरू करने की घोषणा की थी। राजनीतिक पार्टियों ने भी अपने-अपने ढंग से इस संबंध में आवाज़ उठाई थी, परन्तु इस पूरे समय में सरकार इस नीति को किसानों की भलाई के लिए उठाया गया कदम बताती रही थी, परन्तु जिन किसानों को अपनी ज़मीन छिन जाने का डर था, वे सरकार की इस संबंधी योजनाओं से खुश नहीं थे।
इस संबंध में लगातार अनेक तरह के संशय भी उठाये जाते रहे। यह भी बड़ा सवाल था कि 65 हज़ार एकड़ ज़मीन को लेकर सरकार इस पर विकास कार्यों को कितने समय में और किस ढंग से पूरा कर सकेगी। सवाल यह भी था कि पंजाब सरकार के कार्यकाल का डेढ़ वर्ष का समय शेष रह गया है। इतने समय में इस बड़े कार्य को किसी भी ढंग-तरीके से पूरा नहीं किया जा सकता था क्योंकि पिछले दशकों में ऐसी योजनाओं के लिए सरकारों ने जो ज़मीनें ली थीं, उन पर भी शुरू किए गए प्रोजैक्ट अभी तक पूरे नहीं हो सके। इस योजना संबंधी पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में भी अनेक याचिकाएं दायर की गई थीं जिसके संबंध में हाईकोर्ट ने 7 अगस्त को इस योजना पर 10 सितम्बर तक रोक लगा दी थी। अदालत ने यह भी कहा था कि यह योजना जल्दबाज़ी में बनाई गई है। इस संबंध में मुआविज़ा और प्लाट बांटने की गारंटी स्पष्ट नहीं है। यह भी कि इससे सामाजिक सरोकारों और वातावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का विस्तारपूर्वक अध्ययन नहीं किया गया।
पंजाब की राजनीतिक पार्टियों के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के भीतर भी इस योजना को लेकर ज्यादा उत्साह नहीं था और पार्टी के ज्यादातर नेता इस योजना से संतुष्ट नज़र नहीं आ रहे थे। ज़मीन का इतना बड़ा क्षेत्रफल लेने की इसलिए भी कोई कारण नज़र नहीं आ रहा था, क्योंकि इनमें ज्यादातर ज़मीनें उपजाऊ थीं और भारी संख्या में छोटे किसान और मज़दूर इन ज़मीनों की आय पर निर्भर करते थे। इसके पड़ने वाले प्रभाव संबंधी सरकार की ओर से सर्वेक्षण करवाए गए, जिनमें भी यही बात सामने आई कि जहां यह नीति किसानों के लिए नुक्सानदायक सिद्ध होगी, वहीं इसका समूचे कृषि उद्योग पर भी बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। विगत कुछ समय से इस संबंध में लगातार बढ़ रहे विरोध के दृष्टिगत सरकार को यह फैसला वापिस लेना पड़ा है, जिससे टकराव की बनी यह स्थिति टल गई है और हालात सामान्य होने की उम्मीद की जाती है। नि:संदेह सरकार और प्रदेश के लिए सरकार का, लैंड पूलिंग नीति वापिस लेने का फैसला अच्छा सिद्ध होने की सम्भावना है।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द