नए अकाली दल का आ़गाज़
अंतत: नए अकाली दल का आ़गाज़ हो गया है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह को इसका प्रधान बनाया गया है। इस समय यह भी उम्मीद प्रकट की गई है कि नया अकाली दल लोगों की भावनाओं पर पूरा उतरेगा और पंजाब की राजनीति के भीतर सचेत रूप में एक नई जान डालने का यत्न करेगा। शिरोमणि अकाली दल (ब) में पिछले कई वर्षों से नेतृत्व के कामकाज संबंधी असन्तोष प्रकट किया जा रहा था। इसका बड़ा कारण विगत वर्षों में शिरोमणि अकाली दल जो कभी प्रदेश की राजनीति में अहम स्थान रखता था, में बड़ी कमियां आ गई थीं और इसके भीतर विवाद भी पैदा हो गए थे। यही कारण था कि विगत लम्बी अवधि से विवादों में घिरी यह पार्टी डावांडोल अवस्था में आ गई थी।
यहां तक कि प्रदेश की विधानसभा में भी इसकी उपस्थिति नाम-मात्र ही रह गई थी और भिन्न-भिन्न समय में हुए चुनावों में भी इसे निराशा का मुंह देखना पड़ा था। इस समय में ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता पार्टी से अलग हो गए और वे अपना नया गुट बनाने के लिए यत्नशील हो गए। इस समय के दौरान ही अकाली मानसिकता में बहुत-से उतार-चढ़ाव आए भी देखे जाते रहे हैं। अकाल तख्त साहिब चाहे समूची कौम के लिए एक प्रेरणा का स्रोत रहा है परन्तु समूची पंथक स्थिति के दृष्टिगत इसे अकाली कतारों में हस्तक्षेप करना पड़ा और यहां लिए गए निर्णय के अनुसार अकाली दल को पुनर्जीवित करने के लिए पुन: इसके लिए भर्ती अभियान शुरू करके इसका पुनर्गठन करने की प्रक्रिया शुरू की गई परन्तु इसके बावजूद अकाली एक-सुर न हो सके। अकाली दल (ब) ने सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में अपना भर्ती अभियान शुरू करके पुन: उन्हें इसका प्रधान घोषित कर दिया। दूसरी ओर अकाल तख्त साहिब से घोषित की गई कमेटी ने भर्ती अभियान जारी रखा जिसे लगातार भारी समर्थन भी मिलता रहा। इस कमेटी के अनुसार पिछले महीनों में लगभग 15 लाख सदस्यों की भर्ती की गई जिसमें डैलीगेट चुन कर अमृतसर में चुनाव समारोह आयोजित किया गया। इसमें सर्वसम्मति से ज्ञानी हरप्रीत सिंह को प्रधान चुन लिया गया। ज्ञानी हरप्रीत सिंह की धार्मिक और पंथक पृष्ठ-भूमि रही है। वह श्री गुरु ग्रंथ साहिब, सिख इतिहास और अन्य धार्मिक ग्रंथों की जानकारी भी रखते हैं। उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के श्री गुरु गोबिंद सिंह धर्म अध्ययन विभाग में काफी समय अनुसंधान और दार्शनिक अध्ययन में भी गुज़ारा है। वह अच्छे कथावाचक और वक्ता भी हैं, जिनसे सिख पंथ एक बड़ी उम्मीद रख सकता है।
प्रधान बनने के बाद बोलते हुए उन्होंने पंजाब के समूचे अवसान पर चिंता प्रकट की। युवाओं के भटक जाने पर निराशा व्यक्त की और समूची कौम में एक नया उभार लाने की बात की है। यह भी कि अकाली विरासत सभी की सांझी है। इस पर किसी भी तरह का एकाधिकार नहीं होना चाहिए। इसके साथ ही एक पंथक कौंसिल बनाने के लिए भी प्रस्ताव पारित किया गया है, जो शिरोमणि अकाली दल को धार्मिक क्षेत्र में दिशा-निर्देश भी देता रहेगा। हम उम्मीद करते हैं कि यह नया अकाली दल सभी पंथक पक्षों को विश्वास में लेकर राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्र में पूरी तरह सक्रिय होगा और विगत अवधि में इन क्षेत्रों में रह गई त्रुटियों को दूर करने के लिए यत्नशील रहेगा। इसका व्यवहार अन्य अकाली दलों और पंथक गुटों के प्रति सकारात्मक होगा, ताकि आज तक आ चुके बिखराव में कोई सर्व-सांझा मार्ग ढूंढा जा सके, जो समूचे पंथ और पंजाब के लिए हितकार सिद्ध हो सके। ऐसी ही उम्मीद हम नये अकाली दल से करते हैं और इसे अपनी शुभकामनाएं देते हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द