इतने भी बीमार नहीं हैं नितीश कुमार!

बिहार की राजनीति को लेकर इस बात की बहुत चर्चा हुई है कि मुख्यमंत्री नितीश कुमार की सेहत खराब है और वह चुनाव का नेतृत्व करने में सक्षम नहीं हैं। लेकिन जब एनडीए के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे और टिकट देने की बारी आई तो नितीश ने बता दिया कि वह इतने बीमार नहीं हैं, जितना कि उन्हें समझा जा रहा है। उन्होंने सहयोगी दलों और अपनी पार्टी के भी तिकड़म कर रहे नेताओं को चित कर दिया। पहले तो सीट बंटवारे में अपनी पार्टी को निबटाने की तैयारी को उन्होंने समय रहते भांपा और चिराग पासवान को दी जा रही सीटों पर रोक लगवाई। असल में भाजपा और जनता दल (यू) के कुछ नेताओं ने साझा सहमति से चिराग को 29 सीटें दीं। इसका सीधा मकसद चिराग की ज्यादा सीटों पर जीत सुनिश्चित करना था ताकि चुनाव बाद उन्हें नितीश के खिलाफ  इस्तेमाल किया जा सके। उन 29 सीटों की सूची भी जारी की गई, जिसमें जनता दल (यू) की जीती हुई सीटें शामिल थीं। नितीश इस पर भड़के और उन्होंने एकतरफा तरीके से अपने उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह के लेटर देना शुरू कर दिया। नितीश ने उन सभी सीटों पर चुनाव चिन्ह बांट दिए, जो चिराग को दी जाने वाली सूची में शामिल थीं। इस तरह उन्होंने पहला दांव विफल किया। इसके बाद उन्होंने जिस तरह से उम्मीदवार चुने, वह राजनीतिक शिल्पकारी की मिसाल है। सामाजिक समीकरणों के लिहाज से नितीश ने बिहार की सभी पार्टियों से बेहतर टिकट बांटे हैं। 
आखिर कार्ति चिदम्बरम को मिल गई राहत 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम ने हाल ही में कांग्रेस की फजीहत कराने वाले जो बयान दिए हैं, उसका सुफ ल उन्हें मिलने लगा है। उनके बेटे सांसद कार्ति चिदम्बरम को अदालत से बड़ी राहत मिली है। वह आईएनएक्स मीडिया घोटाले सहित कई घोटालों में आरोपी हैं और कुछ समय जेल में बिता चुके हैं। उनका पासपोर्ट पहले अदालत में जमा कराया गया था। अब भी उनको विदेश जाना होता है तो अदालत से पूर्व अनुमति लेनी होती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में उन्हें राहत देते हुए विदेश यात्रा की पूर्व अनुमति लेने की शर्त खत्म कर दी है। अदालत के फैसले पर कोई सवाल नहीं है, लेकिन कार्ति चिदम्बरम को मिली राहत की टाइमिंग और केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। एजेंसियों ने कार्ति को मिलने वाली छूट का अदालत के समक्ष विरोध नहीं किया। यह छूट उनको ऐसे समय मिली है, जब उनके पिता ने कांग्रेस को परेशानी में डालने वाले दो बयान दिए। पी. चिदम्बरम ने अपने एक बयान से हमेशा के लिए कांग्रेस को विदेशी दबाव में झुकने वाली पार्टी के तौर पर स्थापित कर दिया है। उन्होंने कहा कि 2008 में मुम्बई पर हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने अमरीकी दबाव में पाकिस्तान के खिलाफ  कार्रवाई नहीं की। इसी तरह 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर भी चिदम्बरम ने कहा है कि यह एक गलत फैसला था, जिसका खमियाजा इंदिरा गांधी को जान देकर चुकाना पड़ा। हो सकता है कि आने वाले दिनों में वह कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाले और भी बयान दें।
ट्रम्प को जवाब देने में हिचकिचाहट
अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कम से कम 50 बार कह चुके हैं कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान पर दबाव डाल कर युद्ध रूकवाया, लेकिन भारत की तरफ  से एक बार भी नहीं कहा गया कि ट्रम्प झूठ बोल रहे हैं। अब ट्रम्प ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदेगा। इस बारे में भी पूछा जा रहा है तो भारत सरकार की ओर से सीधा जवाब नहीं दिया जा रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों के बीच बुधवार को कोई बातचीत नहीं हुई है। उनसे किसी ने नहीं पूछा था कि बातचीत हुई थी या नहीं। सवाल यह था कि भारत ने अमरीका को ऐसा भरोसा दिया है या नहीं? इसका सीधा जवाब हां या नहीं में हो सकता है। ट्रम्प ने भी यह नहीं कहा कि उनकी बात मोदी से हुई है। उन्होंने कहा कि मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है और इसी के साथ उन्होंने कहा कि भारत में नियुक्त अमरीकी राजदूत सर्जियो गोर ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। क्या पता गोर से मुलाकात में ऐसी कोई बात हुई हो? अगर ट्रम्प कह रहे हैं कि उनको भरोसा दिलाया गया है तो भारत सीधे कहे कि ऐसा कोई भरोसा नहीं दिया गया है। इसी तरह रूस से तेल खरीदना बंद करने के सवाल का भी इतना घूमा कर जवाब दिया गया है कि सिर चकरा जाए। कहा जा रहा है कि यह डिप्लोमेसी है। 
असम में भाजपा को एक और झटका
असम में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद के चुनाव में भाजपा और उसकी सहयोगी यूपीपीएल की हार के बाद सत्तारूढ़ भाजपा को एक और बड़ा झटका लगा है। पार्टी के चार बार के सांसद और नरेंद्र मोदी की सरकार में रेल राज्यमंत्री रहे राजन गोहेन ने पार्टी छोड़ दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि भाजपा की सरकार में असमिया अस्मिता का अपमान हो रहा है और असमिया संस्कृति को कमज़ोर किया जा रहा है। यह बड़ा आरोप है क्योंकि असम में भाषा और सांस्कृतिक पहचान को लेकर लोग बेहद संवेदनशील हैं। असम की वजह से ही केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर अमल को काफी समय तक रोक कर रखा था क्योंकि वहां माना जा रहा था कि सीएए लागू होने से असम में बांग्ला भाषा और संस्कृति मजबूत होगीए जबकि असमिया संस्कृति कमजोर होगी। राजन गोहेन ने अहोम संस्कृति के गौरव की बात उठाई है। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सरकार के एक फैसले को लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई ने भी अहोम संस्कृति के सम्मान का मामला उठाया था। गौरतलब है कि असम के लोग अहोम साम्राज्य के गौरव के साथ जीते हैं। लेकिन राज्य की किताबों में एक रणनीतिक संधि के बारे में लिखा गया कि अहोम सेना हार कर पीछे हट गई थी। इस पर गोगोई ने सवाल उठाया था। बहरहाल, राजन गोहेन ने कांग्रेस या किसी दूसरी पार्टी में जाने की बात नहीं कही है, लेकिन उनके पार्टी छोड़ने का तो भाजपा को नुकसान होगा ही। छह महीने बाद असम में चुनाव होने वाले हैं।
भाजपा के स्टार प्रचारक भोजपुरी कलाकार 
भाजपा ने बिहार में इस बार चुनाव प्रचार के लिए अपनी पार्टी के दिग्गज नेताओं से ज्यादा भोजपुरी कलाकारों को महत्व दिया है। पार्टी ने स्टार प्रचारकों की जो सूची जारी की है, उसमें बिहार और उत्तर प्रदेश के भाजपा से जुड़े सारे भोजपुरी कलाकारों के नाम हैं। एक लोक गायिका मैथिली ठाकुर को तो भाजपा ने उम्मीदवार ही बना दिया है। वह बिहार मूल की हैं, लेकिन उनका बिहार से कोई लेना-देना नहीं है। इसीलिए उनके भाजपा में शामिल होने के बाद से ही उनका विरोध शुरू हो गया। फिर भी भाजपा ने उन्हें टिकट देकर चुनाव में उतारा है। अब भी उनका विरोध जारी है, जिससे उनके चुनाव जीतने पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। बहरहाल, भाजपा ने अपने स्टार प्रचारकों की सूची में पवन सिंह को भी शामिल किया है, जो कुछ दिन पहले ही भाजपा से जुड़े हैं। पहले उनके चुनाव लड़ने की चर्चा थी, लेकिन अब कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद उन्हें एडजस्ट किया जाएगा। दिल्ली से लोकसभा सांसद मनोज तिवारी को भी स्टार प्रचारक बनाया गया है। भोजपुरी के एक बड़े स्टार और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सांसद रवि किशन को भी भाजपा ने बिहार में स्टार प्रचारक बनाया है। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से एक बार लोकसभा का उप-चुनाव जीते दिनेश लाल यादव निरहुआ को भी भाजपा ने अपना स्टार प्रचारक बनाया है। निरहुआ प्रचार करेंगे तो अनके साथ आम्रपाली दुबे होंगी ही और अक्षरा सिंह ने भी पिछले दिनों गिरिराज सिंह के साथ फोटो खिंचवाई थी।

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