ट्रम्प के अमरीका में हलचल
ट्रम्प जिस तरह से मनमाने फतवे लगा रहे हैं, इससे अमरीका की पूर्व निर्मित छवि को काफी धक्का लगा है। एक उदाहरण सामने आ रहा है मनमर्जी टैरिफ का जिससे अनेक देश आहत महसूस कर रहे हैं। दूसरी उनकी नोबेल पुरस्कार पाने की गहरी इच्छा का जिसे वह बार-बार व्यक्त कर रहे हैं। पाकिस्तानी सरकार ने तो इसकी सिफारिश कर शर्मिन्दगी उठा ली। अब चौंकाने वाला उदाहरण फेडरल हाऊसिंग फाइनेंस एजेंसी के निदेशक बिल पुल्टे द्वारा ट्रम्प के प्रमुख आलोचकों-फेडरल रिजर्व बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की सदस्य लिसा कुक, डैमोक्रेटिक सीनेटर एडम शिफ और न्यूयॉर्क की अटॉर्नी जनरल लेटरिया जेम्स के खिलाफ मार्गेज धोखाधड़ी के आरोप लगाने की कोशिश है। पुल्टे ट्रम्प के बड़े दानदाताओं में से एक हैं और इस समय अमरीकी मार्गेज उद्योग सम्भाल रहे हैं। अमरीका में यह बहस काफी तूल पकड़ रही है कि क्या ये आरोप सच्चे हैं? अधिक गम्भीर मुद्दा यह है कि ट्रम्प प्रशासन की अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सुनियोजित तरीके से आपराधिक सबूत तलाशने की रणनीति। यह लोगों को चुन-चुन कर डराने और उनके खिलाफ अभियोजन शुरू करने की रणनीति प्रतिकूल परिणामों का एक सिलसिला शुरू कर सकती है।
अगर अमरीका का यह आत्म-मंथन का दौर है तो यूटा वैली यूनिवर्सिटी में 10 सितम्बर को मेक अमरीका ग्रेट अगेन आन्दोलन की बड़ी शख्सियत चार्ली किर्क की हत्या कर दी गई। किर्क 2016 से राष्ट्रपति ट्रम्प के समर्थक प्रशंसक रहे। ट्रम्प अक्सर उनसे विचार-विमर्श किया करते थे। वह केवल 31 वर्ष के थे और लोग हैरान हैं कि वह राजनीतिक रूप से इतने प्रभावशाली क्यों और कैसे माने गये? 2012 में किर्क ने 18 वर्ष की उम्र में कॉलेज छोड़ दिया और एक संगठन बना लिया जिसका उद्देश्य था अमरीकी कॉलेजों में कंजर्वेटिव विचारधारा की ज़मीन तैयार करना। किर्क समझ रहे थे कि अमरीकी कॉलेज उदारवादी विचारधारा और वामपंथी विचारधारा का अधिक प्रभाव ग्रहण कर रहे हैं। प्रोफैसर भी जेन जी. युवा को वाम उदारवाद की ओर धकेल कर मार्क्सवादी विचारधारा का प्रचार कर रहे हैं। इसे बदलने के लिए टर्निंग प्वाइंट यू.एस.ए. ने कॉलेजों में किर्क के भाषण आयोजित किए। ‘मंगा’ मूवमैंट के विचार भी यही हैं। अमरीका के वर्तमान उप-राष्ट्रपति जे.डी. वैन्स ने 2021 में एक भाषण दिया था जिसका शीर्षक था-‘यूनिवसिर्टिज आर. ई एनिमी। मंगा मूवमैंट का नज़रिया था कि अब अमरीका के कॉलेज और विश्वविद्यालय ़गैर-अमरीकी विचारधारा देने वाली संस्थाएं बन चुकी हैं जो युवा अमरीकियों को प्रभावित कर अमरीका को कमज़ोर बनाने वाली है।
आप देखें कि अमरीका में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संवैधानिक प्रतिबद्धता इतनी अधिक मिली हुई है कि किसी व्यक्ति या समुदाय के बारे में भड़काहट भरी भाषा में बात की जा सकती है। इसे दूसरे शब्चों में इस तरह भी बयां किया जा सकता कि आवश्यक लगने पर अमरीकियों को सख्त और अपमानजनक होने का संवैधानिक अधिकार मिल चुका है। दूसरे संशोधन की बात करें तो पूरी दुनिया की तलाश में अमरीकी लोगों द्वारा बंदूक रखे जाना कानूनी रूप से अधिक आसान है। राजनीति ही नहीं, ऐतिहासिक तौर पर भी कभी भी विध्वंसकारी हो सकती है। कुछ घटनाओं में स्कूल के बच्चे पिस्तौल लेकर स्कूल गए हैं। इतिहास के अनुसार 1880 से लेकर 1910 तक जिमक्रो युग माना गया है जिसमें अश्वेतों पर श्वेतों का वर्चस्व स्थापित करने का काम मिला हुआ था। भेदभाव, नस्लीय हिंसा और लीविंग को जायज़ माना गया। हिंसा का वर्तमान दौर निश्चित रूप से उससे अलग है। इसे राजनीतिक हिंसा कहा जा सकता है। बीते दस सालों में 6 जनवरी 2021 को यू.एस. कैपिटल दंगों सहित अमरीका में विधायकों से जुड़ों लोगों पर हमले देखे गए हैं। अमरीका पहले ही मनमाने फतवों के कारण विश्व भर में आलोचना का केन्द्र बन रहा है। अमरीका में ट्रम्प प्रशासन के विरुद्ध आवाज़ उठने लगी है।



