भारतीय महिला क्रिकेट की ऐतिहासिक जीत

विश्व के सर्वाधिक उलट-फेर करने में सक्षम खेल क्रिकेट के इतिहास में 50-50 ओवरों वाले एक-दिवसीय संस्करण में विश्व कप-2025 जीत कर देश की बेटियों ने न केवल एक दुर्लभ इतिहास रच दिया, अपितु इस खेल के रोमांच को विश्व-व्यापी बना दिया। भारतीय महिला क्रिकेट की इस वैश्विक उपलब्धि ने वर्ष 1983 में कपिल देव के नेतृत्व में जीती गई विश्व कप ट्राफी की याद ताज़ा कर दी है। बेशक भारतीय क्रिकेट ने इस दौरान वर्ष 2002 में सौरभ गांगुली के नेतृत्व में, वर्ष 2007, 2011 और 2013 में कैप्टन कूल एम.एस. धोनी के नेतृत्व में और फिर कप्तान रोहित शर्मा के नेतृत्व में वर्ष 2024 और 2025 में वैश्विक ट्राफियां जीतीं, किन्तु देश की बेटियों द्वारा इसी वर्ष 2025 में पिछले दिनों सात बार की विश्व-विजेता टीम आस्टे्रलिया को सेमीफाइनल में और दक्षिण अफ्रीका को फाइनल में हरा कर जीती गई एक-दिवसीय महिला क्रिकेट की ट्राफी ने पूरे राष्ट्र का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। यह जीत इसलिए और भी अहम हो जाती है कि लीग मैचों की कड़ी में लगातार तीन पराजयों के बाद देश के करोड़ों क्रिकेट प्रशंसक अनिश्चय के गर्त्त में विचरण करने लगे थे, किन्तु भारतीय लड़कियों ने आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका को जिस गर्वपूर्ण तरीके से पराजित किया, वह अपने आप में एक अनूठा इतिहास बन गया है।
यह एक श्रेय भी भारतीय लड़कियों को जाता है कि जिस आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से लीग मैच हार कर भारतीय टीम के सिर पर प्रतिस्पर्धा से बाहर हो जाने का खतरा मंडराने लगा था, इन्हीं दो टीमों को बड़ी शान से जीत कर उन्होंने देश के राष्ट्र-गान की मधुर धुन के बीच राष्ट्रीय ध्वज को फहराये जाने का अवसर बना दिया। बेशक इस विजयदायी भारतीय पारी में क्रिकेट खेल रही सभी लड़कियों ने अपने अदम्य साहस, एकता और सामूहिकता वाली खेल भावना का परिचय दिया, तथापि भारतीय कप्तान हरमनप्रीत कौर, आल-राऊंडर  शैफाली वर्मा और दीप्ति शर्मा ने मैच को जीतने में अपनी पूरी योग्यता, क्षमता और शक्ति को झोंक दिया था। शैफाली को प्लेयर ऑ़फ द मैच पुरस्कार मिला जबकि दीप्ति शर्मा को प्लेयर ऑफ द टूर्नामैंट चुना गया। दीप्ति शर्मा ने 39 रन के बदले पांच विकेट झटक कर द. अफ्रीका की पराजय की पटकथा में पूर्ण-विराम लगा दिया। अमनजोत कौर ने क्षेत्र-रक्षण में बार-बार कमैंटेटरों की वाह-वाही लूटी। भारतीय विजय को सुनिश्चित करने वाला टर्निंग प्वाइंट लारा वोल्वार्ट की विकेट गिरना रहा। इसके बाद अफ्रीकी टीम फिर उभर नहीं सकी। शुरुआत में शैफाली वर्मा और स्मृति मंधाना की शतकीय पारी ने भी टीम को मज़बूती दी। ऋचा घोष के रूप में भी देश को एक और बल्लेबाज़ी सनसनी मिली है।
नि:संदेह देश की बेटियों की इस उपलब्धि ने सिर्फ देश में ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व क्रिकेट के फलक पर एक नया इतिहास लिख दिया है। भारत दशकों से इस उपलब्धि की प्रतीक्षा कर रहा था। मेहनत से हासिल किया गया फल सचमुच बड़ा मीठा होता है। सम्भवत: इसीलिए शायद विजेता टीम को पुरुष टीम से अधिक 39.5 करोड़ रुपये राशि मिली है। हम समझते हैं कि क्रिकेट खेलती भारतीय बेटियों की इस उपलब्धि को देश चिरकाल तक याद रखेगा। 

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