किस तरफ जा रहा है देश ?
लगता है कि सौ साल पुरानी बात दोहराई जा रही है जब देश में विभाजन की शुरुआत राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक आधार पर हुई थी, जो अंतत: भौगोलिक विभाजन में बदल गई थी। इस समय भी वही होता दिख रहा है। धर्म की राजनीति मंदिर और मस्जिद से आगे बढ़ कर धर्मिक ग्रंथों तक पहुंच गई है। अयोध्या में नवनिर्मित राम मंदिर पर ध्वज फहराए जाने के बाद पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने बेलडांगा में बाबरी मस्जिद की नींव रखी। इसमें बड़ी संख्या में दूर-दूर से मुसलमान ईंटें लेकर पहुंचे। राम मंदिर के लिए भी एक समय ऐसे ही शिलापूजन हुआ था। हुमायूं कबीर ने शिलान्यास के लिए 6 दिसम्बर का दिन चुना, जिस दिन बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था। इसके अगले दिन कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में पांच लाख लोगों ने गीता पाठ किया। इसमें राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस, रामदेव और धीरेंद्र शास्त्री भी शामिल हुए। ऐसा लग रहा है कि यह एक बार का शो नहीं था। अब पूरे देश में इस तरह के काम होने जा रहे हैं। हुमायूं कबीर ने कहा है कि वह फरवरी में ‘कुरआन ख्वानी’ कराएंगे, जिसमें एक लाख लोगों को भोजन करवाया जाएगा।
उधर हैदराबाद में 28 दिसम्बर को ‘किराअत’ यानी कुरआन का पाठ कराया जाएगा। इसके लिए मस्जिद-ए-कुतुबशाही में कुरान पाठ का प्रशिक्षण कराया जा रहा है। मुस्लिम समूहों की इन तैयारियों के विपरीत वहां गीता पाठ या कोई धार्मिक समारोह करवाए जाने की संभावना है। अत: कोलकाता से हैदराबाद तक कुरआन और गीता का पाठ होगा। सब अपने-अपने हिसाब से भोज कराएंगे और इस तरह पाला खींचता जाएगा। सौ साल पहले में विभाजन की शुरुआत ऐसे ही हुई थी।
गरीब ओडिशा में विधायकों की ऐश
ओडिशा में वह हुआ है जो पहले कभी नहीं हुआ। राज्य में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नवीन पटनायक ने अपने करीब 25 साल के शासन में विधायकों के वेतन-भत्तों में कोई खास बढ़ोतरी नहीं की थी। जिस समय सारे देश के विधायक और सांसद भी अपने वेतन-भत्तों आदि में बढ़ोतरी कर रहे थे, उस समय भी ओडिशा में विधायकों के वेतन-भत्तों में कछुआ चाल से बढ़ोतरी हुई। लेकिन उनकी सरकार जाते ही राज्य में बहुत कुछ बदलने लगा। बीजू जनता दल को हरा कर सत्ता में आई भाजपा ने एक बार में विधायकों के वेतन में तीन गुना से ज्यादा बढ़ोतरी कर दी है।
अभी तक ओडिशा के विधायकों को एक लाख रुपये महीना मिलता था, जिसे बढ़ा कर 3.45 लाख रुपये कर दिया गया है। यह देश में विधायकों को मिलने वाला सबसे बड़ा सैलेरी पैकेज है जबकि ओडिशा की गिनती देश के गरीब राज्यों में होती है। बहरहला मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और पूर्व विधायकों की पेंशन में भी लगभग तीन गुना बढ़ोतरी कर दी गई है। इसके लिए लाया गया विधेयक बीते मंगलवार को विधानसभा में पारित हो गया। मुख्यमंत्री को 3.74 लाख रुपये महीना वेतन मिलेगा।
तीन जजों के खिलाफ महाभियोग
संसद में अरसे बाद जजों के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव आए हैं। एक प्रस्ताव आया तो उसका सिलसिला ही शुरू हो गया। बड़ी जद्दोजहद के बाद दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार की ओर से लोकसभा में महाभियोग का प्रस्ताव पेश हुआ। इस पर स्पीकर ने जांच कमेटी का गठन कर दिया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद संसद में उस पर चर्चा होगी और अगर उससे पहले जस्टिस वर्मा का इस्तीफा नहीं होता है तो उनको महाभियोग के ज़रिए हटाया जाएगा। वह अभी इलाहाबाद हाई कोर्ट में जज हैं। उनके घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने के आरोप लगे हैं। इस बीच अब विपक्ष की ओर से मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के जज जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश हुआ है। उन पर धार्मिक सद्भाव बिगाड़ने वाले फैसले देने का आरोप डीएमके, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी आदि ने लगाया है। उन्होंने सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर के अधिकारियों को वहां एक दरगाह के पास स्थित स्तंभ पर दीप जलाने की अनुमति दी है। उनके खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव पर 107 सांसदों ने दस्तखत किए हैं। महाभियोग के लिए 50 सांसदों के दस्तखत की ज़रूरत होती है। डीएमके नेता कनिमोझी के मुताबिक स्पीकर ओम बिरला ने कहा है कि वह इस पर विचार करेंगे। इसी तरह सांप्रदायिक टिप्पणी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव के खिलाफ राज्यसभा के 50 सांसदों ने महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है। हालांकि यह प्रस्ताव दस्तखत में गड़बड़ी की वजह से विवाद में फंस गया है।
शिंदे की पार्टी को भाजपा बचाएगी
आमतौर पर भाजपा पर दूसरी पार्टियों को तोड़ने का आरोप लगता है और कहा जाता है कि वह अपनी विरोधी पार्टी को ही नहीं बल्कि अपनी सहयोगी पार्टी को तोड़ने में भी कोई संकोच नहीं बरतती। लेकिन यह पहला मौका है जब उसे अपनी एक सहयोगी पार्टी को टूटने से बचाना पड़ेगा। मामला महाराष्ट्र का है, जहां भाजपा के साथ सरकार में शामिल एकनाथ शिंदे की शिव सेना पर टूटने का खतरा मंडरा रहा है। महाराष्ट्र में बहुमत का आंकड़ा 145 का है। भाजपा ने अकेले 132 सीटें जीती हैं और शिव सेना व एनसीपी को मिला कर उसके पास प्रचंड बहुमत है। बताया जा रहा है कि भाजपा की ओर से लगातार इस बात की कोशिश हो रही है कि उसका अपने दम पर बहुमत हो जाए। लेकिन क्या यह बहुमत शिंदे की शिव सेना को तोड़ कर बनेगा? कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की शिंदे के साथ खटपट चल रही है, लेकिन शिंदे को दिल्ली से भाजपा के बड़े नेताओं का समर्थन हासिल है। मुश्किल यह है कि अगर भाजपा अपने को मज़बूत करने के लिए शिव सेना को तोड़ती है तो फिर उसका मौजूदा विशाल बहुमत नहीं रह पाएगा, क्योंकि शिंदे के कुछ विधायक टूट कर भाजपा में जाएंगे तो बचे हुए विधायक और पार्टी उद्धव ठाकरे के साथ चली जाएगी। फिर उद्धव ठाकरे की शिव सेना का रिवाइवल हो जाएगा। भाजपा ऐसा नहीं होने दे सकती है। इसलिए एकनाथ शिंदे की शिव सेना का अस्तित्व बचा रहेगा।





