उत्तर भारत में नकली दुग्ध पदार्थों का अवैध कारोबार
पंजाब और पड़ोसी प्रांत हरियाणा व राजस्थान आदि में दुग्ध-पदार्थों के लिए परीक्षण हेतु लिए गए नमूनों में से 47 प्रतिशत से अधिक के फेल हो जाने से नि:संदेह प्रदेश की भावी संतति के स्वास्थ्य और भविष्य के लिए चिन्तित होने का अवसर बन जाता है। पंजाब देश के कुछ समृद्ध माने जाते राज्यों में शुमार है, और कि पंजाब के लोग खान-पान के शौकीन माने जाते हैं, किन्तु पंजाब में दूध से बने पदार्थों जैसे कि खोया, पनीर, बरफी आदि में परीक्षण के दौरान कई प्रकार के रासायनिक पदार्थ अर्थात कैमिकल पाये गये हैं। यहां तक कि स्वयं दूध के लिए गये नमूनों में से भी 50 प्रतिशत से अधिक परीक्षण में घटिया किस्म के पाये गये हैं। दूध के नमूनों में कास्टिक सोडा और अन्य कई प्रकार के रासायनिक पदार्थों के तत्व पाये गये हैं। बहुत स्वाभाविक है कि इस रासायनिक दूध से बने पदार्थों में भी बाहरी तत्वों की मिलावट पाई गई है। पंजाब और हरियाणा की अनेक प्रयोगशालाओं से एकत्रित जानकारी के परीक्षण के बाद तैयार की गई एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में दूध और अन्य दुग्ध-पदार्थों में मिलावट का यह धंधा हरियाणा में भी इसी अनुपात से पाया गया है। हरियाणा में प्रयोगशालाओं से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार विगत तीन वर्षों में 1451 नमूने एकत्रित किये गये जिनकी जांच के दौरान अधिकतर नमूने विफल पाये गये। यहां तक कि इनमें 529 पदार्थों के नमूने मानव हेतु खाने के लिए नहीं पाये गये। इनमें रासायनिक तत्व सामान्य से अधिक मात्रा में पाये गये। इन प्रयोगशालाओं के अनुसार उत्तर प्रदेश में भी इसी काल-अवधि के दौरान 12,945 प्राप्त किये गये नमूनों में से 8,299 नमूने फेल सिद्ध हुए पाये गये। इसी तरह राजस्थान और दिल्ली से जुड़े क्षेत्रों में भी दूध से बने अधिकतर पदार्थ नकली सामान और रसायनों से बने पाये गये। स्वास्थ्य विभाग के एक सुरक्षा दल ने इस दौरान पंजाब के राजपुरा में 1378 किलो नकली और मिलावटी पनीर पकड़ा। तीन-चार मास बाद पुन: इस क्षेत्र से पहले से अधिक मात्रा में अर्थात 1640 किलो नकली एवं मिलावटी पनीर पकड़ा गया जो अधिकतर मानवीय खाने के लिए अनुकूल नहीं पाया गया। विभागीय जांच के दौरान पाया गया कि इस बरामद सामान को पंजाब और हरियाणा के कई ज़िलों में भेजा जाना था।
इस गोरख-धंधे का एक अधिक चिन्तनीय बड़ा पक्ष यह भी है कि दूध में मिलावट के लिए जिस पानी का उपयोग किया जाता है, वह भी दूषित और गंदला पाया गया। इस पानी में भी घातक रासायनिक तत्वों का बड़ा मिश्रण पाया गया। विभागीय जानकारी के अनुसार समय-समय पर खाद्य पदार्थों खासकर दूध और अन्य दुग्ध-पदार्थों में मिलावट और इनके औचित्य की जांच की जाती है। इस जांच के दौरान विगत कुछ वर्षों में पाया गया है कि उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और राजधानी दिल्ली के साथ जुड़े क्षेत्रों में नकली दूध और इनसे बनने वाले खोया, पनीर तथा दही आदि तैयार करने हेतु बाकायदा एकाधिक आपराधिक गिरोह सक्रिय हैं जिनका संजाल देश के कई प्रदेशों में फैला हुआ है। यह भी पता चला है कि पंजाब के अन्य प्रदेशों से जुड़े सीमा क्षेत्रों में कुछ अवैध फैक्टरियां सक्रिय हैं, किन्तु प्रदेश में अधिकतर नकली माल पड़ोसी राज्यों की सीमा-पार से तस्करी करके लाया जाता है।
हम समझते हैं कि बेशक किसी भी खाद्य पदार्थ में मिलावट अथवा उसका नकली पाया जाना आपराधिक कृत्य होता है किन्तु दूध जैसे अति मानवोपयोगी और अत्यावश्यक पदार्थ के नकली होने और इस हेतु अवैध फैक्टरियां पाया जाना एक घृणित, राष्ट्र-विरोधी कार्य है। दूध और दुग्ध-पदार्थों का नकली और घातक पाया जाना राष्ट्र और सम्पूर्ण मानवता के विरुद्ध एक अक्षम्य अपराध जैसा हो जाता है। भारतीय राज्यों की सरकारों का यह दायित्व बन जाता है कि वे अपने राज्यों में ऐसे असामाजिक और आपराधिक तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करें और भविष्य में इनकी गतिविधियों पर दृढ़ता से अंकुश लगायें। पंजाब में ऐसा अधिकतर सामान दूसरे प्रदेशों से आता है, अत: थोड़ी-सी चौकसी और सतर्कता बढ़ा कर इस अपराध को रोका जा सकता है। यह कार्य जितना शीघ्र किया जाएगा, उतना ही देश, प्रांत और जन-साधारण के लिए अच्छा होगा।

