खिलाड़ी वर्ग को मान और सम्मान देने की ज़रूरत

कितने स्कूलों-कालेजों के नाम खिलाड़ियों के नामों को आधार बनाकर रखे गए हैं। है कोई शहर जिसका नाम खिलाड़ी के नाम पर हो? गांवों के नाम रखते समय भी क्या कभी किसी ने खिलाड़ी वर्ग को महत्त्व दिया है? हम मानते हैं कि राजनीति के क्षेत्र में देश की सेवा करना महान है। सरहदों पर लड़ते देश के लिए जान देना, कुर्बान हो जाना, शहीद होना बहुत बड़ा कारनामा है, लेकिन देश के लिए खेल के मैदान में पसीना बहाना, संघर्ष करना, खून-पसीना एक करने को भी तो कम न गिना जाए। खेलों के इन राजदूतों का दूसरे क्षेत्रों में योगदान डालने वालों की तरह ही सम्मान होना ज़रूरी है। गांव की पंचायत से लेकर देश की केन्द्र सरकार तक को इस पक्ष से सुचेत होने की ज़रूरत है, अगर भारत खेल के क्षेत्र में किसी खेल क्रांति के अर्थ ढूंढना चाहे।देश की अवाम और सरकार उन दिग्गज खिलाड़ियों के परिवारों की भी सुध ले, जिनका जीवन हमेशा खेलों को समर्पित रहा। कई आर्थिक मजबूरियों के कारण परिवार चाहे बिखरते रहे, फिर भी उन्होंने खेलों का मैदान नहीं छोड़ा। जीवित रहते हुए भी आर्थिक तंगी का शिकार रहे। बाद में उनका परिवार वहीं आर्थिक अभाव भोगता रहा। खेलों के प्रति वचनबद्धता निभाने वाले यह खेल हीरो कई-कई वर्ष अपने परिवारों से भी दूर रहे। याद रखो! अगर हमने अपने वैटर्न, दिग्गज खिलाड़ियों और उनके परिवारों का बनता सम्मान न किया तो आने वाली नस्ल खेलों से बेमुख हो जाएगी और खेलों से यह बेरुखी किसी भी देश के सेहतमंद, तंदरुस्त होने की निशानी नहीं होगी। दूसरे क्षेत्रों में चाहे कोई देश जितनी मर्जी तरक्की कर ले। वैटर्न खिलाड़ी भी अपनी खेल को उत्साहित करने के लिए लगातार गतिशील हों। इसलिए सरकार ही नहीं, बल्कि अवाम की ओर से भी छोटी उम्र के खिलाड़ियों को उत्साहित करने के लिए व्यक्तिगत प्रयास होने चाहिएं। खिलाड़ियों को प्रायोजित करने के लिए गांवों, शहरों में कुछ संस्थाएं बननी चाहिएं। कार्पोरेट घराने भी इस पक्ष से ईमानदारी से आगे आएं। नि:संदेह शिक्षा संस्थाएं और खेल विभाग बेहतरीन खिलाड़ियों की पढ़ाई का खर्च, होस्टल, रिहायश, रोटी-पानी/खुराक का खर्च वहन करते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ हम सबका फज़र् भी बनता है कि खेलों के हित के लिए, बेहतरी के लिए, खिलाड़ियों के खेल करियर को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए जहां उनका मान-सम्मान करें, वहीं उनकी आर्थिक परेशानियों का भी कुछ बोझ उठाएं, भिन्न-भिन्न ढंगों से, अलग-अलग तरीकों के ज़रिए।