राज्य के पर्यावरण में फैला ज़हर

ज़ीरकपुर, 19 मई (हरदीप सिंह हैप्पी पंडवाला): दूषित हो रही आबो-हवा ने मानवीय जीवन के लिए बड़ी चिंता उत्पन्न कर दी है। अनुसंधान संस्थाओं के अनुसार पंजाब के पानी व हवा में ज़हरीले तत्व बढ़ने के दिल दहला देने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जिनके अनुसार जीवन देने वाला पानी व हवा ही लोगों के लिए ज़हर बन गए हैं। आज पंजाब का पर्यावरण पूरी तरह जल रही है, परंतु सरकार इस ओर बेखबर अपनी लीला में व्यस्त है। प्रदेश में हज़ारों की संख्या में कैमिकल फैक्टरियां, पोल्ट्री फार्म, मीट प्लांटों के प्रदूषण ने प्राकृतिक स्रोतों को अमृत से ज़हर बना दिया है। हालात यह बन गए हैं कि किसी भी हैंडपम्प या ट्यूबवैल का पानी पीना मौत के आगमन का प्रतीक है। कैमीकल फैक्टरियों द्वारा प्राकृतिक नदियों, नालों व घग्गर के ज़रिये छोड़ा जाता यह ज़हरीला पानी जहां से भी गुजरता है, न केवल दुर्गंध के कारण वातावरण प्रदूषित करता है, बल्कि भूमिगत जल के अमीर भंडारों को भी ज़हरीला बना रहा है जोकि प्रदेश की फसल पैदा करने में सहायक सिद्ध हो रहा है। वैकल्पिक स्रोत न होने के कारण लोगों को यही पानी हैंडपम्पो, मोटरों के ज़रिये निकालकर पीना पड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप कैंसर, आंत्र शोध, सांस व चमड़ी, गर्भपात, मानसिक विकार, बच्चेदानी का कैंसर, हड्डियों के रोग, बच्चों की छोटी आयु में मौत आदि बीमारियों ने मानवीय नरसंहार का दौर शुरू कर दिया है। दूषित पानी के सेवन से पशुओं की नस्लें भी प्रभावित हुई हैं। प्रदेश के 6500 गांवों में ज़मीन की ऊपरी सतह के पानी का स्तर पीने योग्य नहीं है। हाल ही में पंजाब के ग्रामीण जल सप्लाई व सैनीटेशन विभाग के आंकड़ों के अनुसार  ज़िला पटियाला, मोहाली व रूपनगर के पानी में फ्लरोइड, लोहा व नाइट्रेट की मात्रा अधिक मिकदार में होने के आंकड़े सामने आए थे, जोकि चिंता का विषय है। कुछ वर्ष पहले घग्गर दरियाओं का पानी पीने योग्य था परंतु आज गहरे ट्यूबवैल भी ज़हरीली झाग छोड़ रहे हैं। घग्गर दरिया, प्राकृतिक नाले व नदियों में जब से कैमिकल युक्त पानी आना शुरू हुआ है, तभी से ही जानलेवा बीमारियों का प्रकोप बढ़ा है।
उद्योगपति प्रोजैक्ट रिपोर्ट व जल शुद्धिकरण वाला उपकरण सार्वजनिक करें :किसी भी उद्योग मेें प्रोजैक्ट रिपोर्ट के अनुसार तकनीकी नियमों पर आधारित काम होते हैं परंतु इन रिपोर्टों की विभाग कभी जांच नहीं करता, जिससे उद्योगपतियों के हौसले बुलंद रहते हैं। प्रदूषण विभाग को चाहिए कि कैमीकल फैक्टरियों के दस्तावेज़ तलब करने पर कमियां पाये जाने पर कड़ी कार्रवाई अमल में लाएं। आबो-हवा में फैले ज़हर से दुखी लोगों ने ‘अजीत समाचार’ के साथ बातचीत हुए कहा कि प्रदेश के गत विधानसभा चुनावों में किसी भी पार्टी ने वातावरण के मुद्दे पर चुनाव नहीं लड़ा, बल्कि सभी उम्मीदवार एक-दूसरे के राजनीतिक पर्दे उजागर करते रहे। लोगों ने आरोप लगाया कि फैक्टरियों द्वारा ज़हरीला कैमीकल रात के अंधेरे में टैंकरों के ज़रिये प्राकृतिक स्रोतों या लिंक सड़कों पर छोड़ा जाता है। जब इन तत्वों की शिकायत की जाती है तो जान से मारने की धमकियां शिकायतकर्त्ताओं का रास्ता रोक लेती हैं। उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार यदि उद्योगपति दूषित पानी का शुद्धिकरण वाला उपकरण सार्वजनिक करें तो उनकी सही नीयत स्पष्ट हो जाएगी। इस संबंधी जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू से बातचीत करनी चाही परंतु उनके साथ सम्पर्क नहीं हो सका।