कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी से मुकाबले के लिए तैयार किया रोडमैप
हैदराबाद में पिछले सप्ताहांत कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस नेता उत्साहित हैं। वे अब चुनाव में उतरने के लिए तैयार हैं। पार्टी की सर्वोच्च नीति-निर्धारक संस्था सी.डब्ल्यू.सी. ने कई विवादास्पद और संवेदनशील विषयों पर विचार किया और एकजुटता से अपने भविष्य की योजना बनायी। मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद यह पहली बैठक थी। सम्मेलन में सोनिया, राहुल और प्रियंका के शामिल होने से गांधी परिवार की मजबूत उपस्थिति रही। इंडिया विपक्षी गठबंधन की तीन सार्थक बैठकों के बाद कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों ने राहुल गांधी के नेतृत्व और उनके ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को और आगे बढ़ाने के इरादे का समर्थन किया। माहौल आश्वासन भरा था और उसमें सकारात्मकता का भाव था।
विभाजित-तेलंगाना की राजधानी के रूप में हैदराबाद का चयन महत्वपूर्ण है क्योंकि तीन महीने में वहां राज्य विधानसभा चुनाव होने हैं। 2014 के बाद से कांग्रेस दोनों राज्य आंध्र प्रदेश और तेलंगाना हार गयी है। राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा स्थितियों पर विचार करने के बाद, सी.डब्ल्यू.सी. ने जोरदार ढंग से घोषणा की कि वह आगामी विधानसभा चुनावों और 2024 लोकसभा के लिए पूरी तरह से तैयार है। कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के समर्थन से खुद को भाजपा के विकल्प के तौर पर पेश किया।
कांग्रेस नेता इंडिया गठबंधन को लेकर आशावादी हैं। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इंडिया गठबंधन में प्राथमिक भूमिका निभाना चाहती है और उसने सभी मोर्चों पर, खासकर मणिपुर व कश्मीर में मोदी सरकार की विफलता की आलोचना की। 14 प्रस्तावों में से एक में कहा गया है, ‘सी.डब्ल्यू.सी. इंडिया गठबंधन की पहल को वैचारिक और चुनावी सफलता बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी के संकल्प को दोहराती है ताकि हमारा देश विभाजनकारी और ध्रुवीकरण की राजनीति से मुक्त हो, सामाजिक समानता और न्याय की ताकतें मजबूत हों और लोग एक ऐसी केन्द्र सरकार प्राप्त करें जो जिम्मेदार, उत्तरदायी, संवेदनशील, पारदर्शी और जवाबदेह हो।’ संक्षेप में, यही चुनाव अभियान का जोर होगा। यह संदेश अपने गठबंधन सहयोगियों के प्रति पार्टी की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि के रूप में कार्य करता है। खिलाड़ियों के बीच अंतर्निहित विरोधाभासों के कारण इसे लेकर संदेह बना हुआ है।
पार्टी ने तेलंगाना, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए रणनीति बनायी। इसमें चुनौतियों पर ध्यान दिया गया, जिसमें गठबंधन बनाने और इंडिया गठबंधन के कुछ सदस्यों के साथ सीटों के समायोजन पर केंद्रीय नेतृत्व और विशिष्ट राज्य इकाइयों के बीच अलग-अलग विचार शामिल हैं।
आंतरिक आकलन के अनुसार पार्टी को पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल में अपने भीतर से परेशानी की आशंका है। पंजाब और दिल्ली में पार्टी नेता प्रतिद्वंद्वी ‘आप’ का समर्थन नहीं करते हैं। पश्चिम बंगाल में राज्य नेतृत्व का सीधा मुकाबला तृणमूल कांग्रेस से है। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा सत्ता के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। आंतरिक सर्वेक्षणों के अनुसार कांग्रेस पार्टी को छत्तीसगढ़ में थोड़ा फायदा हो रहा है और मध्य प्रदेश में उसकी मज़बूत स्थिति है। पार्टी के अंदरूनी सूत्र यह भी बता रहे हैं कि तेलंगाना में कांग्रेस की पकड़ मज़बूत हो रही है। पार्टी ने 17 सितम्बर को हैदराबाद दिवस मनाने के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया था जो 1948 में शहर के भारत में शामिल होने का प्रतीक दिवस है। संसद में विधायी कार्य के बारे में संकल्प मुख्य रूप से संविधान की समीक्षा के प्रस्तावों को अस्वीकार करने पर केंद्रित थे। पार्टी ने एक तिहाई महिला आरक्षण विधेयक और एस.सी., एस.टी. और ओ.बी.सी. के लिए आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग की। इन उपायों का उद्देश्य विभिन्न मतदाता समूहों का दिल जीतना है।
सी.डब्ल्यू.सी. ने मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्तों के वेतन, भत्ते और सेवा शर्तों में संशोधन के लिए प्रस्तावित विधेयक का भी विरोध करने का निर्णय किया। उनका तर्क था कि यह विधेयक चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंचा सकता है। सी.डब्ल्यू.सी. ने भाजपा के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया है। फिर भी, मोदी सरकार ने लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए सह-अस्तित्व चुनाव कराने की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व में एक समिति की स्थापना की है।
एक प्रस्ताव में भाजपा की हृदयहीनता की आलोचना की गयी। जम्मू-कश्मीर में संकट के दौरान मोदी की जी-20 उपलब्धियों का जश्न मनाने की निंदा की गयी और इसे घाटी में सुरक्षा कर्मियों के बलिदान का अनादर कहा गया। कांग्रेस सतर्क है और यह कहकर विवादास्पद विषयों से बच रही है कि वह सर्व धर्म समभाव के सिद्धांत में विश्वास करती है।
सी.डब्ल्यू.सी. के बाद सार्वजनिक रैली में, सोनिया गांधी ने आगामी तेलंगाना चुनावों के लिए छह वायदे किये, जो इस प्रकार हैं- 1. महिलाओं को 2500 की मासिक राशि प्राप्त होगी, 2. किसानों और बटाईदार किसानों को वार्षिक 15000 की राशि दी जायेगी, 3. जिसे गृह ऋण चाहिए उसे दिया जायेगा, 4. बेघरों को घर के लिए जगह और 5 लाख की राशि मिलेगी, 5. युवाओं को विकास में सहायता के लिए कार्यक्रम लाये जायेंगे, 6. सभी ज़रूरतमंद नागरिकों को चिकित्सा सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। इन लाभों का उद्देश्य मतदाताओं को मुफ्त सुविधाओं से आकर्षित करना था।
हालांकि कांग्रेस ने अभी तक अपनी नई कहानी का खुलासा नहीं किया है, जबकि यह स्पष्ट है कि विचारधारा केंद्रीय मुद्दा है। कांग्रेस को अपनी स्थिति सुधारने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। पार्टी की सफलता सीट साझाकरण, उम्मीदवार चयन, गठबंधन, संसाधन और कार्यकर्ता समर्थन सहित कई कारकों पर निर्भर करेगी। लेकिन नि:संदेह कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा है। (संवाद)