परत दर परत

(क्रम जोड़ने के लिए पिछला रविवारीय अंक देखें)

-फिर?
-मैं तो घर पंहुचकर सो चुकी थी पर रात के एक बजे एक पुलिस दल आया और मुझे गिरफ्तार कर लिया और वह भी हत्या के जुर्म में।
बबीना रोने लगी।
मधुसूदन ने पानी का इंतजाम किया। फिर थोड़ा रुककर कहा- बबीना, थोड़ा सोचकर बताना। क्या हाल के समय में तुम्हें होटल में कोई ऐसी बात नजर आई थी, जो सामान्य से अलग थी।
बबीना कुछ देर सोचती रही।
-वहां पर एक नई डेवैलपमेंट हो तो रही थी पर वह पूरी तरह स्पष्ट नहीं थी।
- क्या?
-एक तो मैनेजर साहब वृद्ध हो रहे थे। दूसरे विभा वाले केस के बाद उन्हें लग रहा था कि अनेक बार डांसर को एकत्र करना व व इसे होटल का मुख्य अट्रैक्शन बनाना उचित नहीं है। वे कई बार कहते थे- अन्य तरह से होटल को अच्छा बनाना चाहिए। यह हाल में आया नया बदलाव था।
-ओह!
-जनरली होटल का स्टाफ उनके इस बदलाव से खुश ही था। हम कुछ मुख्य डांसरों की नौकरी तो बनी ही रहनी थी पर आगे होटल में बहुत सी बार डांसर को बुलाने को रोका जाने वाला था, ऐसी कुछ सोच चल रही थी।
-क्या किसी ने इसका विरोध भी किया था?
-ऐसा तो कुछ सुनने में नहीं आया क्योंकि अभी यह बात खुल कर सामने नहीं आई थी। पर चूंकि मैं मैनेजर साहब के नजदीक थी, अत: मुझे पता था कि उनके मन में यह हलचल चल रही है। इतना ही नहीं अपने मित्र एक दो अन्य होटल मालिकों से भी वे इसका जिक्र कर चुके थे कि यार अब यह धन्धा रोक दिया जाए, होटल का काम शराफत से चलाया जाए। जेल से मधुसूदन सीधा होटल में आसिफ  अली के कमरे में पहुंचे।
-आसिफ साहब, मुझे आपसे कुछ मदद चाहिए।
-हुक्म कीजिए।
-वेटर ने मैनेजर साहब की डैड बॉडी कब देखी?
-कोई 11 बजे।
- मुझे सीसीटीवी कैमरे के रिकार्ड चाहिए कि 10:15 से 11 बजे के बीच क्या कोई ऐसे व्यक्ति रेस्त्रां या लॉबी में देखे गए, जो पहले इस होटल में कभी नहीं देखे गए। अगले दिन आसिफ  ने रिकार्ड प्रस्तुत कर दिया। इनमें से एक-दो आदमी तो ठिगने कद के थे। इनमें तो मधुसूदन ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। तीरसा आदमी हट्टा-कट्टा, गोरा, दाढ़ी-मूंछ वाला था। मधुसूदन ने उसका चित्र अपने पास रख लिया।
इसके बाद मधुसूदन पहुंचे अपने एक होटल मैनेजर के पास जो संभ्रांत व्यक्तियों में गिने जाते थे। चर्चा चली तो होटल पैराडाईज की हत्या का भी जिक्र हुआ।
-अरे साहब वे तो बहुत गलत वक्त पर चले गए।
-कैसे?
-पहले तो उन्होंने शहर की होटल इंडस्ट्री को कुछ गलत पहचान ही दी। पर हाल ही के समय वे कहने लगे थे, और अन्य होटल मालिकों को भी समझाते थे कि यार यह जो गंदगी आ गई है, उसे बंद करो। होटल व्यवसाय को शराफत से चलाओ। घर में बहुत थकी हालत में पहुंचने के बाद पहले तो गर्म चाय पी। फिर प्रतिभा से बतियाने लगे - देखो हत्या के दिन रात 10:30 बजे बबीना अपने घर चली जाती है। 10:25 से 10:35 तक रेस्त्रां में एक ऐसा हट्टा-कट्टा, गोरा-चिट्टा, दाढ़ी-मूंछ वाला आदमी नज़र आता है जो होटल में पहले कभी नहीं देखा गया। वह रेस्त्रां में ऐसी जगह बैठता है जहां से होटल में आने-जाने वाले नज़र आएं। जब वह देख लेता है कि बबीना चली गई है तो 10:35 बजे वह वहां से उठता है और टहलते हुए होटल के कमरों की ओर चला जाता है। उसके दस मिनट बाद वह होटल से बाहर जाता नज़र आता है।
इस होटल व अन्य होटलों में वुमैन्स ट्रैफिकिंग एक क्रिमिनल करता है जिसका नाम मोंटू उस्ताद है। विभा की हत्या के बाद पैराडाईज होटल के मैनेजर व मालिक यह कहने लगे थे कि अब होटल को शराफत से चलाना है और गलत धंधों से नहीं। वे अन्य होटल मालिकों को भी इसके लिए तैयार कर रहे थे।
मोंटू उस्ताद को डर लगा कि इस तरह उसका बिजनेस तो एकदम खत्म हो जाएगा। पैराडाईज होटल के मालिक को उसके बहुत डर्टी सीक्रेट्स भी पता थे, कहीं शराफत की राह तलाश करते हुए उसने कुछ लीक कर दिया तो....
अत: मोंटू उस्ताद ने उसे मारने का निश्चिय किया। हत्या के दिन रात के 10 बजे वह पैराडाईज होटल से ला गया, यह कहकर कि घर जा रहा हूं। पर वह घर नहीं गया। वह पास के एक अन्य रेस्त्रां में गया। वहां के बाथरूम में कपड़े बदले, दाढ़ी-मूंछ लगाई और सूट-बूट में पैराडाईज लौट आया। यहां उसने जैसे ही कन्फर्म कर लिया कि बबीना जा चुकी है उसने मैनेजर के कमरे में जाकर उसका गला घोट दिया व स्वयं चुपचाप होटल से चला गया जैसे बस कॉफी पीकर जा रहा हो। अब आगे मुझे इंस्पेक्टर सोनकर के पास जाना होगा।
रात को जब मोंटू उस्ताद के घर पर इंस्पैक्टर एक सहयोगी पुलिसकर्मी के साथ पंहुचे तो मोंटू ने अपने को संयत रखने का पूरा प्रयास किया।
-अरे इंस्पैक्टर साहब इतनी रात गए आपने क्यों तकलीफ  की। मुझे फोन कर देते तो मैं स्वयं हाज़िर हो जाता। -मुझे तो तुमसे बस इतना पूछना है मोटू कि तुमने पैराडाईज के मैनेजर की हत्या क्यों की? क्षितिज ने नोट किया कि मोंटू का चेहरा एकाएक सफेद हो गया। फिर भी उसने स्थिति संभालते हुए, मुस्कराने की कोशिश करते हुए कहा -अरे आप मुझसे मजाक तो नहीं कर रहे हैं। इस केस में कभी की बबीना की गिरफ्तारी हो चुकी है।
-नहीं मोंटू मैं बिल्कुल सीरियस हूं। यह देखो सीसीटीवी से प्राप्त हत्यारे का फोटो। अब इतना ही आलीशान सूट-बूट पहन कर, दाढ़ी-मूंछ लगाकर तुम्हें हमारे सामने आना है। ताकि सारी स्थिति और क्लीयर हो जाए। अब छिपाए हुए यह सूट-बूट, दाढ़ी-मूंछ खुद निकालते हो या मैं तलाशी शुरू करूं। ोंटू छलांग लगाकर उठा और उसने सिरहाने के नीचे पड़ी रिवाल्वर उठा ली। फिर दोनों पुलिसकर्मियों पर तानते हुए बोला - इतना आसान नहीं है मोंटू उस्ताद को पकड़ना। दोनों हाथ ऊपर कर ऐसे ही बैठे रहो नहीं तो गोलियों से भून दूंगा।
यह कहकर वह दरवाजे की ओर बढ़ने लगा। जैसे ही उसने दरवाजा खोला उस पर चार पुलिसकर्मी झपट पड़े जो उसके इंतजार में घात लगाए बैठे थे।
आज मधुसूदन का जन्मदिन है। उसने घर में एक छोटी सी पार्टी में केवल चार मित्रों को ही बुलाया - मनीष, सुनीता, बबीना और आसिफ। -आप यह सोच रहे होंगे कि कि आज मैंने केवल आपको ही क्यों बुलाया है। एक तो यह है कि मुझे इतनी खुशी कभी नहीं होती है जब मैं किसी निर्दोष को सजा से बचाने का माध्यम बनता हूं। तो आप को मिलकर मैं अपने जन्मदिन की इस खुशी को और तरोताजा करना चाहता था, पर इसके साथ मुझे आप लोगों का अन्य जानकारियां भी देनी हैं।
-क्या? सुनीता ने बहुत उत्सुकता से पूछा।
-वह यह है कि इन दो केसों के सुलझने के बाद सरकारी तंत्र में ट्रैफिकिंग रोकने के लिए अधिक सक्रियता हुई है और एक्शन प्लान तैयार हो रहा है।
-वाह! मनीष ने बहुत उत्साह से कहा।
-दूसरी बात जो आपको बतानी जरूरी है वह यह है कि जब हम अपनी छानबीन कर रहे थे, उस समय वास्तविक हत्यारों ने निर्दोष कैदियों को और गहरा फंसाने का काफी कुप्रयास किया। यह गबरू और वीरू ने भी किया पर उससे कहीं अधिक मोंटू उस्ताद ने किया। यह सब मुझे कुछ  बाद में पता चला और इससे मेरा यह विश्वास और दृढ़ हुआ कि सभी विचाराधीन कैदियों को अपने बचाव पक्ष को रखने का भरपूर अवसर अवश्य मिलना चाहिए। (समाप्त)