बढ़ता प्रदूषण हमारे जीवन के लिए संकट का संकेत

प्रदूषण ने मानव जीवन को संकटकालीन परिस्थितियों में डाल दिया है। विशेषता वायु प्रदूषण ने अब बेहद खतरनाक रूप धारण कर लिया है । हमारे चारों ओर प्रदूषण ही प्रदूषण है। जल, वायु एवं जनोपयोगी प्रत्येक क्षेत्र में प्रदूषण इस कदर हावी हो गया है कि मानव जाति के लिए यह अशुभ संकेत है। जीव-जंतुओं का जीना दूभर हो गया है। बढ़ते प्रदूषण से इनकी अनेक प्रजातियां खत्म होने के कगार पर हैं। पृथ्वी, सागर व आसमान प्रदूषण से अछूते नहीं रहे। सुबह भी अब शुद्ध नहीं रही। प्रात:काल के समय सैर करना भी लाभकारी नहीं रहा। उस समय भी आक्सीजन की बेहद कमी देखने को मिल रही है। हमारे देश में वायु प्रदूषण से अनगिनत मौतें हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए आंकड़े बताते हैं कि हमारे देश के महानगरों में प्रदूषण की मात्रा इतनी अधिक है कि इनमें रहने वाले लोगों को एलर्जी, कफ, आंखों में जलन एवं हृदय रोग जैसी खतरनाक बीमारियों से जूझना पड़ रहा है पर प्रदूषण की रोकथाम के लिए कोई भी राज्य ठोस कदम नहीं उठा रहा है। देश के समूचे नागरिकों के स्वास्थ्य से वायु प्रदूषण के कारण खिलवाड़ हो रहा है। लोगों को शुद्ध हवा मिलनी असंभव है। सिगरेटनोशी, तम्बाकू का सेवन वायु प्रदूषण में अत्यधिक इजाफा कर रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रदूषण आज समूचे विश्व के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह एक प्रकार की गंभीर चुनौती कही जा सकती है। प्राकृतिक एवं पर्यावरण प्रेमी इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं। आज प्रदूषण की गिरफ्त में न केवल प्राणी मात्र बल्कि समस्त जीव-जन्तु भी आ गए हैं। इसीलिए इसके दुष्परिणाम समूचे क्षेत्र में देखने को मिल रहे हैं। वायु और जल प्रकृति द्वारा दिए गए हमारे लिए अनमोल उपहार है। जीव-जंतुओं का जीना इन्हीं जीवनदायी वस्तुओं पर निर्भर है। लेकिन, अफसोस दोनों वस्तुओं का निरन्तर दूषित होना जारी है। हमारी गलतियों से हवा में कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मानोआक्साइड जैसे प्रदूषित तत्व बहुत भारी भरकम मात्रा में मिलते जा रहे हैं। नदियों, झीलों, तालाबों व समुद्रों का पानी प्रतिदिन दूषित होता चला जा रहा है। इनमें कूड़ा-कचरा, रासायनिक पदार्थों से युक्त गंदा पानी बह कर प्रदूषण में अत्यधिक बढ़ौतरी कर रहा है। प्रदूषण जल व वायु का शुद्धिकरण पहल के आधार पर हो। प्रदूषण की रोकथाम के लिए अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, बायो गैस, सी.एन.जी. एल.पी.जी. इत्यादि वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोतों को अपनाया जाना भी समय की मुख्य मांग है। अत: प्रदूषण की रोकथाम के लिए जन जीवन में जागृति लानी होगी। सामूहिक प्रयासों से ही सार्थक परिणाम निकल सकते हैं और तभी हम इस भयावह स्थिति से निपट सकते हैं । अगर हम इस विश्वव्यापी विकराल समस्या से निजात पाने के लिए इच्छित परिणाम शीघ्र अति शीघ्र चाहते हैं तो ओजोन, सल्फ र नाइट्रस ऑक्साइड एवं अपने वाहनों तथा औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ भवन निर्माण पर रोक लगानी होगी।