आओ, कीमती जानें बचाएं, रक्तदान के लिए आगे आएं

आज विज्ञान बहुत सक्षम हो चुका है और अब तो लेबोरेटरी में तमाम तरह की दवाएं, वैक्सीन और एंटीबायोटिक भी तैयार की जाती हैं लेकिन जिंदा रहने के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी खून को अभी तक नहीं बनाया जा सका है। खून का कोई विकल्प नहीं है। खून की कमी को केवल रक्तदान के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है। इसलिए रक्तदान को महादान कहा जाता है। हर वर्ष विश्व रक्तदान दिवस रक्त की कमी को पूरा करने और अधिक से अधिक रक्त दाताओं को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित करते हेतु पूरे विश्व में 14 जून को मनाया जाता है। भारत में भी इसके लिए समय-समय पर खासतौर पर अक्तूबर महीने में विभिन्न स्तरों पर सम्बद्ध विभागों द्वारा प्रचार-प्रसार,जागरूकता कार्यक्रमों और रक्तदान शिविरों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर अधिक से अधिक रक्तदान करने के लिए रक्त दाताओं को प्रेरित किया जाता है जिससे विभिन्न रोगों जैसे— एचआईवी, हैपेटाइटिस, बी, हैपेटाइटिस-सी, दुर्घटना के कारण होने वाली सर्जरी, कैंसर आदि के उपचार में खून की आवश्यकता को पूरा किया जा सके। बिना किसी आर्थिक लाभ के रक्तदान करने के लिए आगे आने से कई मासूम लोगों की जान बच सकती है। एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में औसतन 10 यूनिट रक्त होता है, जिसमें से व्यक्ति एक यूनिट रक्तदान कर सकता है, लेकिन जागरूकता की कमी की वजह से व्यक्ति रक्तदान करने से डरता है या हिचकिचाता है। जरा सोचिए हमारे देश को हर साल करीब 120 लाख यूनिट ब्लड की आवश्यकता होती है, लेकिन केवल 90 लाख यूनिट ब्लड ही उपलब्ध हो पाता है। ऐसे में देश 30 लाख यूनिट ब्लड की कमी से जूझता है, जबकि 38000 से अधिक ब्लड यूनिट की हर रोज ज़रूरत होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार केवल दो प्रतिशत और अधिक रक्तदाताओं का रक्तदान के लिए आगे आना कई लोगों की जान बचा सकता है, लेकिन खून देने के फायदे के बारे में जानकारी न होने से व्यक्ति रक्तदान करना नहीं चाहता है। साथ ही व्यक्ति के मन में रक्तदान से जुड़े कई भ्रम भी होते हैं इस वजह से लोग रक्तदान नहीं करते, पर शायद आप यह नहीं जानते हैं कि आप के द्वारा जो रक्तदान किया जाता है वह किसी को जीवनदान देता ही है साथ ही इससे आप भी स्वस्थ रहते हैं। रक्तदान का फायदा मरीज के साथ-साथ रक्तदाता को भी होता है। एक वयस्क व्यक्ति के शरीर में 5-6 लीटर खून होता है और अच्छी बात यह है कि अपने खून की इस मात्रा से साल में कम से कम चार बार रक्तदान किया जा सकता है बिना किसी शारीरिक नुकसान के। दूसरे शब्दों में कहें तो एक स्वस्थ शरीर के इंसान में लगभग 10 यूनिट रक्त होता है जिसमें से वह एक यूनिट रक्त (350 मिली) आराम से दान कर सकता है । एक नियमित रक्तदाता तीन महीने बाद फिर से अगला रक्तदान कर सकता है। रक्त चार प्रकार के तत्वों से निर्मित होता है। रेड ब्लड सेल्स, व्हाइट ब्लड सेल्स,  प्लेटलेट्स और प्लाज्मा। जब कोई व्यक्ति रक्तदान करता है, तो दो से तीन दिनों के भीतर उसके शरीर में प्लाज्मा का दोबारा निर्माण हो जाता है। जबकि रेड ब्लड सेल्स को बनने में एक से दो महीने लग सकते हैं। इस तरह कोई व्यक्ति तीन महीने बाद दुबारा रक्तदान कर सकता है। 16 वर्ष से 60 वर्ष की आयु वर्ग का कोई भी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है, उसका जिसका वजन 45 किलो से अधिक हो तथा वह हेपेटाइटिस बी,सी या ए, एचआईवी पॉजिटिव न हो।  भारत में हर वर्ष 12 हज़ार से भी ज्यादा लोग खून की कमी के चलते अपनी जान गंवा देते हैं, जबकि 6 लाख यूनिट खून ब्लड बैंकों और अस्पतालों के बीच तालमेल न होने के कारण बर्बाद हो जाता है। हमें और हमारी सरकारों को इस बात पर गम्भीरता से विचार करना होगा। सिर्फ दिवस मनाकर खानापूर्ति करने से कुछ हासिल नहीं होगा। इसके लिए समाज के सभी वर्गों को चाहे वह समाजसेवी संस्थाएं हों, आम लोग या फिर युवा सभी को अपना बनता योगदान डालना होगा। समाज के सभी वर्गों से मेरी यही अपील है कि वह अधिक से अधिक रक्तदान करें ताकि इससे कीमती जानें बचाई जा सकें। रक्तदान जीवनदान है। इस बात का अहसास हमें तब होता है जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। सबसे अच्छी बात यह है कि रक्त देने से जरूरतमंद लोगों को जीवन दान मिलता है, बल्कि रक्तदाता को स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं। आइये मिल कर इस अभियान को आगे बढ़ाते हैं और जरूरतमंद लोगों की सहायता करते हैं।