अमित शाह के बयान ने सिख जगत में पैदा की हलचल

जालन्धर, 4 दिसम्बर (मेजर सिंह): केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में भाई बलवंत सिंह राजोआणा की फांसी की सज़ा रद्द न किए जाने के दिए बयान ने सिख जगत में बड़ी हलचल पैदा की है तथा श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व को समर्पित होकर सिख जगत प्रति सद्भावना दिखाते हुए केन्द्रीय गृह विभाग द्वारा जारी पत्र से मुंह मोड़ लेने के बयान से सिखों में पहले ही चल रही अविश्वास की भावना भी बढ़ी है। यहां तक कि केन्द्र सरकार के फैसले का स्वागत करने वाले पक्षों को भी इस बयान से नामोशी हुई है तथा उन्होंने भी तीखी आलोचना का रुख अख्तियार कर लिया है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के डिप्टी सचिव अरुण सोबती के हस्ताक्षरों में 10 अक्तूबर, 2019 को पंजाब, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक व दिल्ली के मुख्य सचिवों व चंडीगढ़ प्रशासन के प्रशासक के सलाहकार को लिखे पत्र में बड़े स्पष्ट शब्दों में लिखा है कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व मनाते समय भारत सरकार ने 8 सिख कैदियों की मौत की सज़ा को उम्रकैद में बदलने का फैसला किया है। 8 नज़रबंद सिख कैदियों व मौत की सज़ा वाले भाई बलवंत सिंह राजोआणा के नामों की सूची अलग नत्थी की है। गृह मंत्रालय के उक्त पत्र में अगले पहरे में लिखा है कि यह भी फैसला किया है कि 8 सिख कैदियों को संविधान की धारा 161 तहत विशेष माफी देकर रिहा किया जाए। एक कैदी की मौत की सज़ा उम्रकैद में बदलने की तजवीज़ को भारतीय संविधान की धारा 72 अधीन पूरा किया जाए। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के उक्त पत्र पर कार्रवाई करते हुए चंडीगढ़ प्रशासन ने पटियाला जेल में बंद नंद सिंह व सुबेग सिंह कैदी को रिहा कर दिया है तथा पता चला है कि अमृतसर जेल में बंद प्रो. देविन्द्रपाल सिंह भुल्लर का केस दिल्ली, नाभा जेल में बंद लाल सिंह का केस गुजरात सरकार व अमृतसर जेल में बंद गुरदीप सिंह खेड़ा के केस स्वीकृति के लिए उक्त सरकारों के पास हैं तथा इनके मामलों बारे संबंधित सरकारों द्वारा जेल अधिकारियों के साथ खतो-खिताबत भी चल रहा है। उक्त तीनों नज़रबंद उक्त राज्यों में हुईं वारदातों में आरोपी ठहराए गए थे, जबकि शेष तीन कैदी पहले रिहा हो चुके हैं। कानूनी विशेषज्ञों का बताना है कि पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में मौत की सज़ा का सामने करने वाले भाई बलवंत सिंह राजोआणा की सज़ा उक्त पत्र से ही उम्रकैद में नहीं बदल जानी। उनके अनुसार चंडीगढ़ प्रशासन केन्द्रीय गृह विभाग के आदेश अनुसार केस बनाकर वापस मंत्राल को भेजेगा व फिर गृह विभाग बाकायदा संविधान की धारा 72 के हवाले से नोट बनाकर राष्ट्रपति को भेजेगा। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद ही मौत की सज़ा उम्रकैद में तबदील होने पर मोहर लगेगी। सूत्रों का कहना है कि हाल की घड़ी भाई राजोआणा की सज़ा तबदीली की प्रक्रिया चंडीगढ़ प्रशासन में चक्कर लगा रही है। नए हालात में यह प्रक्रिया आगे बढ़ती है या राजीव लौंगोवाल समझौते तहत चंडीगढ़ पंजाब के हवाले करने के फैसले की तरह धूल में ही मिल जाती है, इसका पता आने वाले समय में लगेगा।