हरसिमरत के त्याग-पत्र के बाद भी जारी रहेगा अकाली-भाजपा गठबंधन

केन्द्रीय फूड प्रोसैसिंग मंत्री तथा अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने गत दिवस कृषि संबंधी बिलों के विरोध में केन्द्रीय मंत्रिमंडल से त्याग-पत्र दे दिया। जब लोकसभा  में दो बिलों पर विचार-चर्चा हो रही थी तो हरसिमरत ने सदन से वाकआऊट किया था। 
इन बिलों के विरोध में पंजाब में किसानों का आक्रोश फूट पड़ा, जिसे देखते हुए हरसिमरत कौर बादल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना त्याग-पत्र दे दिया। हालांकि उनके पति तथा शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि उनकी पार्टी केन्द्र सरकार के साथ बनी रहेगी परन्तु किसान विरोधी राजनीति का विरोध किया जाएगा। 
बिहार चुनाव
जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक पार्टियों ने भी विभिन्न पक्षों के साथ सम्पर्क करना आरंभ कर दिया है। गत 12 सितम्बर को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने बिहार के मुख्यमंत्री और जे.डी. (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितीश कुमार तथा बिहार के चुनाव प्रभारी भुपेन्द्र यादव एवं उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के साथ बातचीत करके दोनों पार्टियों में सीटों को विभाजन के बारे बात की। सूत्रों के अनुसार एल.जे.पी. के अध्यक्ष चिराग पासवान द्वारा दिये बयान पर नितीश कुमार ने बैठक के दौरान अप्रसन्नता व्यक्त की है। दूसरी तरफ एल.जे.पी.,जो इस बैठक का हिस्सा नहीं थी, का कहना है कि पार्टी एक सम्मानजनक समझौता चाहती है। वर्ष 2015 के चुनावों में 243 सदस्यों के सदन में भाजपा ने 157 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि एल.जी.पी. 42 सीटों पर, जीतन राम मांझी का हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा 21 सीटों पर, जबकि जे.डी. (यू) तथा आर.जे.डी. इकट्ठे 101 सीटों पर और कांग्रेस 41 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। 
भाजपा में विवाद
पश्चिम बंगाल में भाजपा तथा तृणमूल कांग्रेस ने 2021 के विधानसभा चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है परन्तु चुनाव अभियान के कारण भाजपा के नेताओं में विवाद पैदा हो रहा है ताकि स्वयं को बड़ा साबित किया जा सके और अपने खेमे के नेताओं के लिए अधिक से अधिक टिकटें प्राप्त की जा सकें तथा मुख्यमंत्री की दावेदारी पेश की जा सके। हाल ही में भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी कमेटी तथा सांसद सुभाष सरकार द्वारा दिलीप घोष को चुनाव कमेटी तथा अनुशासनात्मक कमेटी बनाने का अधिकार देने की घोषणा की गयी थी। दिलीप घोष पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई के अध्यक्ष भी हैं। 
बदले की कार्रवाई नहीं! 
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी गत सप्ताह पार्टी में बड़ा फेरबदल करने के बाद अपनी वार्षिक मैडीकल जांच करवाने के लिए विदेश गई थीं। कांग्रेस के वरिष्ठ तथा युवा नेताओं की बहुत मांग थी कि सोनिया को पत्र लिखने वाले 23 नेताओं को सज़ा मिलनी चाहिए। हालांकि हाईकमान ने न सिर्फ बदले की भावना की कार्रवाई से इन्कार किया बल्कि यह भी कहा कि वे कांग्रेस के प्रत्येक अहम फैसले में शामिल रहे हैं। सबसे अहम अरविन्दर सिंह लवली का पार्टी का केन्द्रीय चयन कमेटी में दाखिला है। लवली उक्त पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक है। यह वह कमेटी है, जो पार्टी अध्यक्ष तथा कांग्रेस कार्यकारिणी कमेटी के पदाधिकारियों के चयन हेतु भीतरी चुनाव की तैयारी करेगी और इस कमेटी में अरविन्दर सिंह लवली की मौजूदगी इस बात को सुनिश्चित करेगी कि नाराज़ पक्ष पूरी प्रक्रिया या अनियमिताओं से अवगत हैं। यह 6 सदस्यीय कमेटी सोनिया गांधी की सहायता के लिए बनाई गई है, जिसमें मुकुल वास्निक भी शामिल हैं, जो पत्र लिखने वाले नेताओं में शामिल थे। इसके अतिरिक्त कांग्रेस कार्यकारिणी कमेटी में पत्र लिखने वाले नेताओं में से 3 शामिल थे।