अनेक रोगों की घरेलू दावा त्रिफला

हरड़, बहेड़ा व आंवला सर्वत्र मिलते हैं। यह हानिरहित तीन फूल हैं जिसमें सैंकड़ों गुण हैं। इन गुणों में कई कीमती  विटामिन और धातु हैं जो मनुष्य के शरीर के लिए अति उत्तम हैं। त्रिफला शरीर में विटामिन सी की कमी से पैदा होने वाले रोगों में बहुत ही लाभप्रद है। आंवला में विटामिन सी प्रचुर मात्र में होता है। इस विटामिन की कमी से कई रोग हो जाते हैं। बिना कारण मसूड़ों से पीप आना, रक्तस्राव, नाक से रक्त बहना, फेफड़ों से रक्त आना आदि में आराम दिलाता है।त्रिफला यकृत को शक्ति देता है और शरीर में लोहे की कमी को पूरा करता है। नया रक्त उत्पन्न करता है, यकृत में दर्द के विकारों को दूर करता है। त्रिफला खिलाते रहने से बच्चों के पेट के कीड़े मर जाते हैं। त्रिफला को किसी बंद बर्तन में जलाकर, राख को पीसकर छान लें। इस राख को दांतों मसूड़ों में मलते रहने से पीप व रक्त आने में आराम मिलता है। हिलते दांत मजबूत हो जाते हैं। मुंह से बदबू आनी बंद हो जाती है। त्रिफला मनुष्य की ग्लैंडों, स्नायु, मस्तिष्क, यकृत, दिल और पाचन अंगों को ताकतवर बनाए रखता है। इसलिए त्रिफला को मधु के साथ खाने से रक्तवाहनियां कोमल और लचकीली हो जाती हैं।  त्रिफला के पानी से सिर और बाल धोते रहने से बाल लम्बे, चमकीले, घने, काले सुन्दर ओर अधिक पैदा होने लगते हैं और समय से पूर्व सफेद नहीं होते। पुराना सिरदर्द, सिर में गर्मी की अधिकता, हाई ब्लड प्रेशर, नाक से रक्त आना रुक जाता है। मस्तिष्क और स्नायु शक्तिशाली हो जाते हैं। त्रिफला पुरानी कब्ज को दूर करता है। भूख न लगना, पेट दर्द, पेट फूल जाना, पेट में वायु की अधिकता, आंत्रशोध भोजन न पचने के कारण सिरदर्द, दिल पर दबाव पड़ने पर दिल का अधिक धड़कना, गैस के कारण नींद न आना में बड़ा लाभकारी सिद्ध हुआ है।  इसके लगातार प्रयोग करने से दिल ताकतवर होजाता है। रक्तवाहिनियां नर्म व लचकीली होने के कारण मनुष्य बड़ी उम्र में चुस्त रहता है। त्रिफला मनुष्य के जीवन को चुस्त रखता है और इस के प्रयोग से बहुत सी बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है। (स्वास्थ्य दर्पण)