आओ, मनाएं बेटियों की लोहड़ी

हर तीज-त्योहार दीआं हकदार हण बेटियां
लोहड़ी ते वी पुत्तां वांग हक रखदियां हण बेटियां।
महिला जागरूक हो चुकी है और यह महिला सशक्तिकरण का युग है। जिसमें शिक्षा और सोशल मीडिया का महत्त्वपूर्ण योगदान है। लोग जागरुक हो रहे हैं। उनकी बेटियों के प्रति सोच बदल रही है। बेटी समाज की नींव है। उनको भी वह वह सभी अधिकार प्राप्त हैं जो पुरुष समाज को हैं। रीति-रिवाज हो या त्योहार, नव वर्ष के पहले सामाजिक त्योहार लोहड़ी पर बेटियों का भी उतना ही अधिकार है जितना बेटों का है। आओ, हम मिल-जुल कर नवजन्मी बेटियों की लोहड़ी मनाएं और समाज को एक सन्देश दें ‘बेटियां और बेटे’ एक समान हैं ताकि एक संतुलित समाज का सृजन किया जा सके। बहुत गर्व की बात है कि कोई भी क्षेत्र उनकी उपलब्धियों से अछूता नहीं है। नन्हीं परियां अब सीमा की पहरेदार बन चुकी हैं। 
कुछ पुरानी सोच के लोग और समाज के स्वार्थी वर्ग ने बेटियों-बेटों के बीच अंतर डाल दिया है ताकि महिला का हमेशा शोषण होता रहे और लोग हमेशा इसका लाभ उठाएं।
बहुत-से बुद्धिजीवियों ने और समाज सुधारकों ने दुनिया की सृजनहार के साथ हो रहे व्यवहार के विरुद्ध आवाज़ उठाई। बेटियों को भी शिक्षा का ज्ञान देने पर ज़ोर डाला। अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होने के साथ-साथ लोगों ने आत्म-निर्भर होना शुरू किया और अपने आत्म-विश्वास को बढ़ाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि आज के माता-पिता बेटियों पर गर्व कर रहे हैं। उनको मंज़िल तक पहुंचाने के लिए बहुत उत्साह भरपूर समर्थन दे रहे हैं। आवश्यकता है आज बेटियों को दुनिया दिखाने की न कि गर्भ में मारने की। उनको भी ‘जी आयां करें’। घर की रौनक होती हैं बेटियां। समय बदलने से लोगों की सोच बदल रही है। 
बेटियों की लोहड़ी मनाने का मतलब उनके सपनों को पंख लगाना है। जब बड़ी होकर वह अपनी इन यादों को देखे तो कहीं भी स्वयं को कमजोर या बेचारी न समझे। ऐसे त्योहारों में जहां बेटियों की बेटों के साथ समान सांझ होती है उनका हौंसला और हिम्मत बुलंद करके आगे बढ़ने के लिए नया उत्साह और जज़्बात भर देते हैं। शिक्षित और सफल बेटी का पिता भी दूसरे लोगों के लिए एक उदाहरण होता है। लोग धूमधाम से बेटियों की लोहड़ी भी बेटों की तरह मना रहे हैं और बेटा-बेटी के अंतर को खत्म कर रहे हैं। 
लोहड़ी बेटी की हो या बेटे की यह घर के प्रांगण से निकल कर होटलों और पैलेसों तक पहुंच गई है। स्कूल-कालेजों और समाज-सेवी संस्थाओं द्वारा भी बेटियों की लोहड़ी बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। जहां नवजात बेटी को उपहार दिए जाते हैं, वहां उनके माता-पिता को सम्मानित किया जाता है ताकि समाज में परिवर्तन लाया जा सके, जो हो भी रहा है।  विभिन्न क्षेत्रों में सम्मान बढ़ाने वाली बेटियों का भी मान-सम्मान किया जाता है। इस अवसर पर मूंगफली, रेवड़ियां, गच्चक बांटी जाती है। बेटियों की लोहड़ी के गीत गाये जाते हैं। बेटियों की लोहड़ी मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि यह प्रकृति का अनमोल उपहार है। जिनके बिना संसार की कल्पना नहीं की जा सकती। इनके बिना दुनिया अधूरी है, इसे पूरा करने के लिए बेटियों की लोहड़ी मनाएं, लिंग भेद को जड़ से मिटाएं।