बहुत दिलकश होती है बॉलीवुड की होली

महबूब खान की 1940 में एक फिल्म ‘औरत’ आयी थी, जो उन्होंने बाद में ‘मदर इंडिया’ के रूप में भी बनायी। यह एक ऐसी साहसी महिला की कहानी थी, जो महिलाओं के सम्मान के लिए अपने ही बेटे को गोली मार देती है। इस फिल्म में होली के एक नहीं बल्कि दो गीत थे, जो ज़बरदस्त हिट हुए और आज तक गाये जाते हैं। इनसे हिंदी फिल्मों में होली के गीत देने का ऐसा ट्रेंड शुरू हुआ, जो अब तक कायम है। इनमें से पहला गीत था ‘जमुना तट श्याम खेले होरी’ और दूसरा था ‘आज होली खेलेंगे साजन के संग’। महबूब खान ने ‘मदर इंडिया’ में भी होली का गीत रखा जिसके बोल थे ‘होली आयी रे कन्हाई रंग बरसे’।
महबूब खान के इन प्रयासों से न केवल हिंदी फिल्मों में होली के गीत शामिल करने की परम्परा आरंभ हो गई बल्कि बॉम्बे (अब मुंबई) के फिल्मोद्योग में भी होली मनाने का चलन शुरू हो गया, हालांकि होली मुख्यत: उत्तर भारत का त्यौहार है। फलस्वरूप कुछ सितारों के होली खेलने के आयोजन बहुत मशहूर हो गये बल्कि वर्ष के आवश्यक हिस्सा बन गये, जिनमें से कुछ तो अभी तक जारी हैं और कुछ अब केवल याद बनकर रह गये हैं। राजकपूर की होली बहुत मशहूर हुई और हर छोटा बड़ा सितारा इसका निमंत्रण मिलने पर खुद को गौरान्वित महसूस करता था, उसे लगता था कि वह भी फिल्मोद्योग का अभिन्न अंग बन गया है। यह एक तरह से उसके लिए बॉलीवुड का सदस्य होने का ‘सर्टिफिकेट’ बन जाता था। राज कपूर की होली का आयोजन उनके आरके स्टूडियो में किया जाता था, जहां एक हौज़ में ही रंग घोल दिया जाता था। इस हौज़ में ही सभी आमंत्रित कलाकारों को डुबकी लगवायी जाती थी। लेकिन इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता था कि किसी भी महिला कलाकार के साथ कोई बदतमीज़ी न हो। इस आयोजन में भांग की ठंडाई, खाने पीने व शराब के जमकर दौर चलते थे। गौरतलब है कि आर.के. स्टूडियो की स्थापना चेम्बूर, मुंबई में भारत की स्वतंत्रता के एक साल बाद यानी 1948 में की गई थी और यह 17 सितम्बर 2017 को बंद हो गया, जिसके साथ इसके होली आयोजन भी अब बस याद बनकर रह गए हैं। अब तो राजकपूर का बंगला भी 100 करोड़ रूपये में बेच दिया गया है। बहरहाल, राजकपूर की परम्परा को एक तरह से अब अमिताभ बच्चन अपने प्रतीक्षा नामक बंगले में जारी रखे हुए है। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर