भोपाल की पहचान ही नहीं, जान भी है  भोजताल

जिस तरह हैदराबाद का नाम लेते ही चार मीनार और आगरा का नाम लेते ही आंखों के सामने ताजमहल की तस्वीर घूमने लगती है, उसी तरह भोपाल का नाम लेते ही एकदम से आंखों के सामने सुकून देने वाला यहां का बड़ा तलाब या भोजताल का दृश्य घूम जाता है। जहां तक आंखें देख सकती हैं, वहां तक फैली अथाह जलराशि, किनारे खड़े हरेभरे विशाल पेड़, पानी पर कलरव करते पक्षियों के समूह और छोटी-छोटी नावों या डोंगियों पर जल विहार करते पर्यटक। बड़ा तलाब या भोजताल भोपाल की एक मुकम्मिल पहचान है। वैसे झीलों के शहर मध्यप्रदेश की इस राजधानी में कई और तलाब और कई दूसरी विश्व प्रसिद्ध जगहें भी हैं, जैसे-कला और संस्कृति का नायाब केंद्र भारत भवन, मानव के विकासक्रम को संबोधित ‘मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय’, एशिया की विशाल मस्जिदों में से एक ऐतिहासिक ताज उल मस्जिद और वन विहार राष्ट्रीय उद्यान। लेकिन भोपाल की जो पक्की पहचान बड़ा तलाब या भोजताल से बनती है, वैसी पहचान किसी और चीज़ से नहीं बनती। एक हजार साल पहले बने भोपाल के इस तलाब को ‘अपर लेक’ भी कहते हैं। यह एशिया का सबसे बड़ा तालाब है। इसी की बदौलत भोपाल का नाम विश्व के उन चुनिंदा शहरों में शुमार है, जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और झीलों के लिए जाने जाते हैं। यह तलाब रोज़ाना भोपाल के लाखों लोगों की प्यास बुझाता है। वैसे यह भोपाल में मौजूद अकेला तालाब नहीं है, यहां कुल सात तालाब हैं, जिनमें पांच ऐतिहासिक हैं और सभी तालाबों के बनने की अपनी अलग-अलग कहानियां हैं। लेकिन पीने के लिए सिर्फ बड़े तलाब के पानी का उपयोग किया जाता है।
जैसा कि हम सब जानते हैं भोपाल के इस बड़े तलाब या भोजताल को परमार राजा भोज ने मालवा के राजा (1005-1055) के रूप में करीब 970 से 1020 साल पहले बनवाया था। इतिहासकारों के मुताबिक राजा भोज चर्म रोग से ग्रस्त हो गये थे, उनके शरीर में जगह-जगह से खून और मवाद निकलता था, जिससे वह बहुत परेशान थे। देश दुनिया के तमाम वैद्यों और हकीमों ने उनका अपनी-अपनी तरह से इलाज किया, लेकिन राजा का चर्म रोग दूर नहीं हुआ। कहते हैं उन्हीं दिनों राजा भोज एक साधु से मिले और उन्हें अपनी समस्या से निजात दिलाने की प्रार्थना की। इस पर साधु ने राजा भोज से कहा कि 9 नदियों और 99 नालों के पानी को जमा करें और उससे रोज़ नहाएं तो यह रोग दूर हो जायेगा। यह उपाय अपने आपमें असंभव सा लग रहा था, लेकिन राजा भोज के वजीर कल्याण सिंह अपने जमाने के महानतम आर्किटेक्ट थे। उन्होंने 9 नदियों और 99 नालों के पानी को एकत्र करने के लिए एक बड़ा तलाब बनवाने का काम शुरु किया। चूंकि कल्याण सिंह को पता था कि वर्तमान भोपाल की श्यामला हिल्स से लेकर मंडीदीप, दाहोद डैम, ओबेदुल्लागंज, दिवटिया और भीम बैठका के पहाड़ों के बीच पानी के कई जलस्रोत मौजूद हैं, जिनमें कुछ जमीन के ऊपर स्पष्ट रूप से दिखते हैं और कई जमीन के अंदर दबे थे। 
वजीर कल्याण सिंह के नेतृत्व में इन जलस्रोतों से पानी इकट्ठा किया गया। लेकिन अभी भी 9 नदियों की संख्या पूरी नहीं हो पा रही थी, जिसके लिए भदभदा के पास एक कृत्रिम नदी खोदी गई और उसे बेतवा से जोड़ा गया। इस कृत्रिम नदी को कलियासोत नाम दिया गया। बेतवा नदी के जलस्रोतों को बड़े तलाब तक पहुंचाने के लिए भोजपुर में एक डैम बनाया गया और श्यामला हिल्स तथा फतेहगढ़ की पहाड़ी के बीच भी एक और छोटा डैम बना, जो आज कमला पार्क के नाम से जाना जाता है। इस तरह बड़ा तलाब बनकर तैयार हुआ, जिसमें 9 नदियों और 99 नालों का पानी एकत्र किया गया। कहते हैं इस पानी में कुछ महीनों नहाने से ही राजा भोज का चर्म रोग पूरी तरह से दूर हो गया। राजा भोज ने अपने इस बड़े तलाब का नाम भीमकुंड रखा था। चूंकि इस तालाब के पानी में सल्फर, गंधक, जिंक ऑक्साइड, मुर्दा शंख सहित कई और भी खनिज तत्व थे, जिस वजह से राजा भोज का चर्म रोग कुछ ही महीनों में गायब हो गया था। 
हालांकि आज भी 35 किलोमीटर लंबे और लगभग 361 वर्ग किलोमीटर के जलग्रहण क्षेत्र वाले इस बड़े तलाब में तरह-तरह का पानी एकत्र होता है, लेकिन इसका इस्तेमाल अब चर्म रोग जैसी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए नहीं होता। आज यह विशाल तालाब न सिर्फ लाखों पशुओं, पक्षियों और इंसानों की प्यास बुझाता है बल्कि हजारों वनस्पतियों और परिस्थितिकी तंत्र को भी जीवनदान देता है। इसके एक हिस्से में 500 मछुआरों के परिवारों को भोपाल नगर निगम मत्स्य पालन का पट्टा देता है और भोपाल से सटे सीहोर ज़िले के 87 से ज्यादा गांव इस बड़े तलाब के पानी से शानदार लहलहाती कृषि करते हैं। यह बड़ा तलाब या भोजताल वर्तमान में भोपाल की सबसे प्रतिनिधि पहचान है, जो भी पर्यटक भोपाल आता है, वह बिना बड़ा तलाब या भोजताल देखे यहां से वापस नहीं जाता। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के कारण यह पर्यटकों को चुंबक की तरह खींचता है। 
सालों पहले नेशनल सेलिंग स्कूल की स्थापना इसके पूर्वी हिस्से में स्थित बोट क्लब में की गई थी। यह क्लब विभिन्न जल क्रीड़ाओं जैसे कायकिंग, कैनोइंग, रॉफ्टिंग, वाटर स्कीइंग, पैरासेलिंग की सुविधा मुहैय्या कराता है। इन दिनों कई ऑपरेटर पाल, पैडल और मोटर बोट की जल क्रीड़ा की भी सुविधा प्रदान करते हैं। इस तालाब के दक्षिण पूर्वी किनारे पर स्थित वन विहार राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों को रोमांचित करता है, जब वे यहां से गुजरते हुए देखते हैं कि एक तरफ जंगली जानवर अपने प्राकृतिक आवास में विचरण कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ विशाल झील या बड़े तलाब का नैसर्गिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है। इसके किनारे स्थित भोपाल का चिड़ियाघर आगंतुकों को सम्पूर्ण मनोरंजन प्रदान करता है। देश के कुछ गिने चुने चिड़ियाघरों की तरह इसे बिल्कुल प्राकृतिक तरीके से रखा गया है।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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# जान भी है  भोजताल