जवानी में ही बच्चे थुलथुले क्यों ?

आज के युग में मानव जीवन नकली सा हो चुका है। बच्चे घण्टों टीवी, इन्टरनेट और टी.वी गेम्स के कारण बैठ रहते हैं। उनके जीवन से कसरत, योगा, जिम समाप्त हो चुके हैं। हर छोटे काम के लिए मशीन, यंत्र, वाहन का सहारा लेते हैं।
विलासिता, आराम, सुविधाओं ने बच्चों और युवाओं को पंगु और अपाहिज बना दिया है। जवानी तक बच्चों की टर्म बढ़ जाती है। शरीर पर चर्बी जमने के कारण मोटापा बढ़ जाता है। शारीरिक श्रम, सैर, साइकिलिंग से उनके जीवन से दूर भाग जाती है, अत: उनकी चुस्ती-फुर्ती-शक्ति सामर्थ्य व रोग प्रतिरोध शक्ति कम हो जाती है। स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी पाई जाती है आज के युवाओं में।
प्रात: देर से उठना, रात्रि देर तक टीवी देखना स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है। लड़का हो या लड़की, उसकी टमी बाहर को झांक रही हो तो न उसे कपड़े जंचते हैं और उसकी पर्सनेलिटी भी क्षीण पड़ जाती है। एक्सट्रा फैट हमारे पेट की अंदरूनी दीवारों पर परत बना लेता है। पेटू लोगों का पेट उनके लिए अभिशाप बन जाता है। निठल्ले टीवी के सामने बैठे रहने से पेट बढ़ जाता है। 
संसार में एक अरब लोग मोटापे से ग्रसित हैं। भारत में बीस करोड़-लोग मोटापे से पीड़ित हैं। मोटे लोगों के दिल को ज्यादा काम करना पड़ता है। आज का नियम है कि थोड़ा खाओ और अधिक जियो। जीने के लिए खाओ, खाने के लिए नहीं जियो। हमें ध्यान में रखना चाहिए कि हम मुंह में क्या डालते हैं और मुंह से बाहर क्या निकालते हैं।
* तला हुआ घी युक्त भोजन मत खाएं। जो नहीं पचता, उसे मत खाएं।
* प्रतिदिन प्रात: सैर करें, भागें और कसरत करें क्योंकि जैसी वायु, वैसी आयु बनती है। 
* स्कूटर की जगह साइकिल चलाएं। 
* भूख लगने पर ही खाएं। भूख से कम खाएं। हर समय खाते न रहें। लंच-डिनर के अंतराल में कुछ मत खाएं।
* सलाद ज्यादा खाएं। पानी 8 गिलास पिएं। कब्ज न होने दें। भोजन कम खाएं।
* अपने भार के प्रति जागरूक रहें। तोंद को मत बढ़ने दें।
* भोजन में घी-मक्खन, तेल, मलाई को खाना बंद कर दें।
* जागिंग कसरत करें। जिम जाएं और कम खाएं। फल सब्जियां खाएं। अंकुरित अनाज खाएं।
-विजेन्द्र कोहली ‘गुरदासपुरी’
 (स्वास्थ्य दर्पण)

#जवानी में ही बच्चे थुलथुले क्यों ?